सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) से आत्मनिर्भर बन रहीं लक्षद्वीप (Lakshadweep) की महिलाएं

बिखरे हुए द्वीपों वाले लक्षद्वीप में मछली पालन के अलावा, ख़ास तौर पर महिलाओं के लिए, वैकल्पिक आय का कोई स्रोत नहीं था। अब ICAR-NBFGR ने सजावटी झींगा पालन के रूप में उन्हें आजीविका का नया साधन दिया है।

सजावटी झींगा पालन

सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation): समुद्री इलाकों में रह रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बनता जा रहा है। केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में तो ये बहुत लोकप्रिय है। लक्षद्वीप देश का एकमात्र इलाका है जहां 10 द्वीप बसे हुए हैं। ये सब अरब सागर में फैले हुए हैं। लक्षद्वीप के स्थानीय लोगों की आजीविका का मुख्य साधन टूना मछली पालन (Tuna Fish Farming) और नारियल के उत्पाद तैयार करना है। इसके अलावा उनके पास आमदनी का कोई दूसरा ज़रिया नहीं है। खासतौर पर महिलाओं के लिए तो आजीविका के साधन बहुत कम हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए ICAR-NBFGR ने सामुदायिक एक्वाकल्चर इकाई स्थापित की है। यहाँ महिलाओं को सजावटी झींगा पालन और अन्य सजावटी समुद्री जीव पालन का प्रशिक्षण दिया गया, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें। आमतौर पर द्वीपवासियों के लिए अपनी आमदनी बढ़ाना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि उनके पास ज़मीन ना के बराबर होती है। ऐसे में समुद्री जीवों के ज़रिए ही उन्हें आय के वैकल्पिक स्रोत प्रदान किए जा सकते हैं।

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सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation)
सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) तस्वीर साभार- ICAR

ICAR-NBFGR की इनोवेटिव पहल

स्थानीय द्वीप वासियों, ख़ास तौर पर महिलाओं को आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से ICAR-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (NBFGR), लखनऊ ने अगत्ती द्वीप में समुद्री सजावटी जीवों के लिए एक सुविधा केंद्र स्थापित किया। इनमें समुद्री सजावटी अकशेरूकीय (marine ornamental invertebrates) और सामुदायिक एक्वाकल्चर इकाई (community aquaculture units) के लिए जर्मप्लाज्म संसाधन केंद्र शामिल हैं।

इन केंद्रों का  रखरखाव स्थानीय महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। इसके तहत वैकल्पिक आय के लिए समुद्री सजावटी जीवों जैसे मछली, झींगा, और समुद्री एनीमोन को बाज़ार में बेचने योग्य आकार तक बढ़ने तक उनका पालन किया जाता है। सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) इसका एक अहम हिस्सा है।

सर्वे में झींगा की नई प्रजाति खोजी गई

अलग-अलग द्वीपों पर किए गए सर्वे में द्वीप की जैव विविधता के साथ ही झींगे (Prawns) की तीन नई प्रजातियों का भी पता लगा। इसके अलावा, कैप्टिव स्थितियों के तहत बीज उत्पादन तकनीक को वैश्विक स्तर पर पहली बार दो संभावित समुद्री सजावटी झींगा, थोर हैनानेन्सिस और एंकिलोकारिस ब्रेविकार्पलिस के लिए मानकीकृत (Standardise) किया गया।

सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation)
सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) तस्वीर साभार- ICAR

एक महीने का प्रशिक्षण
समुद्री सजावटी जीव पालन पर ICAR – NBFGR द्वारा एक महीने का ‘हैंड्स ऑऩ लर्निंग’ प्रशिक्षण दिया गया। इसमें 82 लोगों को प्रशिक्षित किया गया जिसमें से  77 महिलाएं शामिल थीं। उन्हें समुद्री सजावटी जीवों से आय और सामुदायिक एक्वाकल्चर के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण लेने वाले लाभार्थियों को कैप्टिव-ब्रेड झींगा बीज दिए गये थे।  उन्हें इसे बाज़ार  में बेचने योग्य आकार बढ़ने तक पालना था। ICAR की इस पहल से आजीविका बढ़ने के साथ ही देशी जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा मिला।

समुद्री सजावटी जीव पालन
समुद्री सजावटी जीव पालन पर ICAR – NBFGR द्वारा एक महीने का ‘हैंड्स ऑऩ लर्निंग’ प्रशिक्षण (तस्वीर साभार- ICAR)

सामुदायिक एक्वाकल्चर इकाइयों की स्थापना
संस्थान ने अगत्ती द्वीप में चार सामुदायिक एक्वाकल्चर इकाइयों की स्थापना की, जहां 45 महिलाओं ने सफ़लतापूर्वक सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) किया। उन्हें एक माह के झींगा बीज दिए गए, जिन्हें ढाई से तीन महीने तक पालना था। जब यह  बड़े हो जाएं तो इन्हें सीधे बाज़ार में बेचा जा सकता है।

बाज़ार में झींगे की कीमत 175 से 200/- प्रति नग तक मिल जाती है। लक्षद्वीप में रहने वाले ICAR-NBFGR के परियोजना से जुड़े कर्मचारी नियमित रूप से समुद्री जीव पालन करने वाली इकाइयों के कामकाज की देखभाल करते हैं। यही लोग ज़रूरत पड़ने पर स्थानीय लोगों को तकनीकी जानकारी और सहयोग भी देते हैं।

समुद्री सजावटी जीवों की लिए सामुदायिक एक्वाकल्चर केंद्र एक नई तरह की पहल है।  यह  द्वीप पर रहने वाले लोगों,  ख़ास तौर पर महिलाओं के लिए आमदनी के नए रास्ते खोलेगी। यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली पहल है, साथ ही इससे जैव विविधता के सरंक्षण में भी मदद मिलेगी।

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