Pig Farming: 18 साल की नमृता पढ़ाई के साथ-साथ कर रही सूअर पालन, अपनाई उन्नत तकनीकें
युवाओं की पसंद बन रहा है सूअर पालन
वर्तमान में सूअर पालन युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय व्यवसाय बना हुआ है। वैज्ञानिक तकनीक से सूअर पालन करने को अधिक फ़ायदेमंद माना जाता है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट 2021- 2022 के अनुसार भारत में कुल सूअरों की संख्या 9.06 मिलियन है।
सूअर पालन से कई युवा जुड़ रहे हैं। बतौर पेशा इसमें कई संभावनाएं देख रहे हैं। एक ऐसी ही युवती हैं असम के गुवाहाटी की रहने वाली नमृता कुमारी। नमृता कक्षा दसवीं में 87 प्रतिशत अंक के साथ पास हुई। कक्षा दस पास करने के तुरन्त बाद अपने पिता के सहयोग से सूअर पालन करने लगी और पढ़ाई भी कर रही हैं।
राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र से ली ट्रेनिंग
नमृता ने गुवाहाटी के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र (ICAR-NRCP) से सूअर पालन पर ट्रेनिंग ली। नमृता खुद को एक उभरते हुए कृषि उद्यमी के रूप में देख रही हैं जिस अवधि में लोगों का आकर्षण उद्यमी के क्षेत्र में कम होता है, उस समय इन्होंने राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र से वैज्ञानिक तकनीक से सूअर पालन और कृत्रिम गर्भाधान की व्यावहारिक ज्ञान की ट्रेनिंग लेकर अपने व्यवसाय को एक नई उड़ान दी। नम्रता के पास 2 नर सूअर जिन्हें मांस उत्पान के लिए रखा जाता है। ऐसे नर सूअरों को यौन परिपक्कता तक पहुंचने से पहले ही बधिया कर दिया जाता है। 4 वयस्क मादा सूअर जिनका प्रयोग प्रजनन के लिए किया जाता है और 12 उत्पादक सूअर हैं।
सूअर पालन के साथ अजोला की खेती भी
नमृता सूअर पालन में लगने वाले लागत मूल्य को कम करने के लिए स्थानिय बाज़ार में मिलने वाले चावल की पॉलिश (Rice polish), मछली बाजार में मछलियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग करती हैं, जो कम दर पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। नम्रता एकीकृत सूअर पालन के साथ अजोला की खेती (Azolla cultivation) कर रही हैं। उत्पादित अजोला को सूखाकर सूअरों को साप्ताहिक पोषण के रूप में देती हैं, क्योकि अजोला में पशुओं के लिए सदाबहार पौष्टिक आहार प्रदान करने की क्षमताएं होती हैं। इसमें एमिनो एसिड, विटामिन ए, विटामिन बी12, बीटाकेरोटिन, कैल्सियम, फॉस्फोरस, पोटाश, लोहा, मैग्निशियम इत्यादि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अजोला के शुष्क मात्रा के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज और 7-10 प्रतिशत एमिनोअम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं जैव पोलिमर्स इत्यादि पाये जाते हैं।
नम्रता को राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र (National Pig Research Center) में एससीएसपी कार्यक्रम (SCSP program) के दौरान जैव सुरक्षा किट और कृषि उपकरण जैसे कृषि इनपुट भी दिए गए थे। उन्होंने फ़ार्म में नियमित रूप से साफ-सफाई और अफ्रीका सूअर फिवर के रोकथाम में इनका इस्तेमाल किया। नम्रता ने बीते साल सूअर के 32 बच्चों को बेंचकर 1 लाख 44 हज़ार की आमदनी की और दो अतिरिक्त फिनिशर को 60 हजार रूपएं में बेंच कर अतिरिक्त आय प्राप्त की।
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