Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
कृषि विज्ञान केन्द्र krishi vigyan kendra in india कृषि विज्ञान केंद्र
न्यूज़, लाईफस्टाइल

KVK: आख़िर कैसे किसानों के बेहतरीन दोस्त बनते चले गये कृषि विज्ञान केन्द्र?

देश के 742 ज़िलों में से अब तक 731 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हो चुके हैं। सरकारों ने KVK में अनेक बुनियादी सुविधाएँ, जैसे दलहन बीज हब, मिट्टी परीक्षण किट, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, एकीकृत कृषि प्रणाली, कृषि मशीनरी और उपकरण, ज़िला कृषि मौसम इकाई आदि को बदलते दौर के साथ मज़बूत किया है। हालाँकि, अभी तक 657 कृषि विज्ञान केन्द्र ही ऐसे हैं जिनके पास अपना प्रशासनिक भवन है, तो 521 ऐसे KVK भी हैं जिनमें किसानों के लिए हॉस्टल की भी सुविधा है।

Trichoderma ट्राइकोडर्मा
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Trichoderma: जानिए पौधों के सुरक्षा-कवच ‘ट्राइकोडर्मा’ के घरेलू उत्पादन और इस्तेमाल का तरीका

ट्राइकोडर्मा ऐसे सूक्ष्मजीव आमतौर पर कार्बनिक अवशेषों पर स्वछन्द रूप से भी पाये जाते हैं। ये ऐसे मित्र फफूँद हैं जो जैविक उर्वरक और रोगनाशक की दोहरी भूमिका निभाते हुए पौधों के विकास तथा पैदावार को बढ़ाने में मददगार बनते हैं। ट्राइकोडर्मा की मौजूदगी से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों का अपघटन तेज़ होता है तथा रासायनिक कीटनाशकों से प्रदूषित तत्वों का दुष्प्रभाव ख़त्म करने में मदद मिलती है।

करेले की खेती bitter gourd farming
एग्री बिजनेस, न्यूज़

करेले की खेती (Bitter Gourd Farming): साल भर करें करेले की खेती, कमायें कम लागत में बढ़िया मुनाफ़ा

करेला की ऐसी किस्में मौजूद हैं जिन्हें कहीं भी और किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। करेले की खेती में लागत के मुकाबले बढ़िया भाव मिलता है। करेला की प्रति एकड़ लागत 20-25 हज़ार रुपये होती है। इससे 50-60 क्विंटल तक उपज मिल जाती है। इसका बाज़ार में करीब 2 लाख रुपये का भाव मिल जाता है। इस तरह करेला की खेती से किसानों को अच्छा फ़ायदा मिलता है।

ग्लिरिसिडिया (Gliricidia)
न्यूज़

Gliricidia: हरी पत्तियों की खाद ‘ग्लिरिसिडिया’ से बढ़ाएँ मिट्टी की क्षमता और पैदावार, पाएँ ज़्यादा उपज और कमाई

ग्लिरिसिडिया को छोटे और सीमान्त किसानों के लिए सबसे अच्छी खाद बताया गया है। हरी पत्तियों की खाद ‘ग्लिरिसिडिया’ रासायनिक खाद का भी विकल्प है। यह पौधा सूखे का मुकाबला करने और मिट्टी में नमी को सुरक्षित रखने के अलावा उसे पोषक तत्वों से भरपूर बनाता है। हरेक खेत के किनारे बाड़ में रूप में ग्लिरिसिडिया उगाने से खेतों को बहुत फ़ायदा होता है।

नीम का पेड़ के लाभ कीटनाशक (neem tree benefits
जैविक खेती, जैविक/प्राकृतिक खेती, न्यूज़

नीम का पेड़ क्यों है सर्वश्रेष्ठ जैविक कीटनाशक (Organic Pesticide), किसान ख़ुद इससे कैसे बनाएँ घरेलू दवाईयाँ?

जैविक या प्राकृतिक में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग वर्जित है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने जैविक खेती में इस्तेमाल के लिए नीम से बनने वाले विभिन्न उत्पादों को बनाने और उसके इस्तेमाल की प्रक्रिया का मानकीकरण (standardisation) किया है। इसे नीम की पत्तियों और इसके बीजों से बने उत्पादों के रूप में बाँटा गया है। नीम का पेड़ किस तरह से किसानों के काम आ सकता है, जानिए इस लेख में।

कुट्टू की उन्नत खेती
कृषि उपज, न्यूज़

कुट्टू की उन्नत खेती (Kuttu Farming): पहाड़ी इलाकों के लिए बेहद उपयोगी फसल

धान, गेहूँ और अन्य मोटे अनाजों की तुलना में कुट्टू में पोषक तत्वों की मात्रा ख़ासी ज़्यादा होती है। लेकिन कुट्टू की देश में पैदावार ज़्यादा नहीं है। इसीलिए इसका आटा, गेहूँ के मुकाबले दो-तीन गुना महँगा बिकता है। इसीलिए कुट्टू की खेती में किसानों के लिए कमाई की काफ़ी सम्भावनाएँ मौजूद हैं।

जानिए कैसे छोटे किसानों के लिए वरदान बन सकती है मल्टी लेयर फार्मिंग (multi layer farming)?
अन्य खेती, टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

बहुस्तरीय खेती (Multilayer Farming): जानिए कैसे छोटे किसानों के लिए वरदान बन सकती है मल्टी लेयर फार्मिंग (multi layer farming)?

मल्टी लेयर फार्मिंग से सभी मौसम में अनेक फ़सलों की पैदावार, आमदनी और रोज़गार सुनिश्चित होता है। ये सीमित ज़मीन पर भी अधिकतम उत्पादकता देती है। इससे उपज को होने वाले नुकसान का जोखिम कम होता है। ये सीमित खेत और संसाधनों का अधिकतम दक्षता से दोहन करके ज़्यादा पैदावार पाने की बेहतरीन तकनीक है, इसीलिए इसमें छोटे किसानों की ज़िन्दगी का कायाकल्प करने की क्षमता है।

फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों (micro nutrients) की कमी को पहचानना
न्यूज़

क्यों ज़रूरी है फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों (micro nutrients) की कमी को पहचानना और उसकी भरपाई करना?

संकर और ज़्यादा उपज देने वाली किस्मों के चयन से मिट्टी में पाये जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों का ज़्यादा दोहन होता है। इससे सूक्ष्म पोषक तत्वों की माँग भी तेज़ी से बढ़ रही है। वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से पौधों में उभरने वाले प्रत्यक्ष लक्षणों को सत्यापित किया है। इसकी भरपाई सिर्फ़ सम्बन्धित तत्वों के उपयोग से ही हो सकती है।

बकरी पालन बकरियों को होने वाली बीमारियां goat farming
पशुपालन और मछली पालन, न्यूज़, पशुपालन, बकरी पालन

बकरी पालन (Goat Farming): अगर बकरियाँ जानलेवा ‘CCPP’ या निमोनिया से पीड़ित हों तो इलाज़ के प्रति गम्भीर हो जाएँ

अगर आप बकरी पालन से जुड़े हैं तो आपको कई सावधानियाँ बरतना भी ज़रूरी है। बकरियों का निमोनिया कहे जाने वाली CCPP रोग वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन युवा और कमज़ोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाली बकरियाँ इसके चपेट में ज़्यादा आती हैं।

दूध उत्पादन गाय-भैंस खरीदते dairy farming
डेयरी फ़ार्मिंग, पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन

दूध उत्पादन में चाहिए बढ़िया कमाई तो गाय-भैंस खरीदते वक़्त किन सावधानियों का रखें ध्यान?

दुधारू पशु खरीदते वक़्त यथा सम्भव गर्भवती और पूरी तरह से रोगमुक्त गाय-भैस को चुनना चाहिए। इससे पशुओं की खरीदारी में लगी पूँजी से ज़्यादा और फ़ौरन आमदनी मिलना सुनिश्चित होता है। दूसरी या तीसरी बार गर्भवती हुई गाय-भैंस को प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि ये पशुओं की जवानी का ऐसा वक़्त होता है जब वो अपनी अधिकतम क्षमता में दूध देते हैं।

मिट्टी की सेहत मिट्टी के पोषक तत्व
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Soil Nutrients: जानिए मिट्टी के पोषक तत्वों का फ़सलों पर क्या प्रभाव पड़ता है

मिट्टी की जाँच करके उसमें मौजूद पोषक तत्वों का पता लगाया जाता है। जो किसान मिट्टी की जाँच करवाकर मिट्टी के पोषक तत्वों कृषि विज्ञानियों के नुस्ख़े के अनुसार अपने खेत के विकारों का निदान करके खेती करते हैं उन्हें निश्चित रूप से शानदार पैदावार मिलती है। इसीलिए यदि खेती-बाड़ी से पाना है बढ़िया मुनाफ़ा तो मिट्टी के गुणों को पहचानना सीखें और समय रहते उचित क़दम ज़रूर उठाएँ।

फसलों को फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm)
टेक्नोलॉजी, फसल प्रबंधन

फसलों को फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm) से बचाने के लिए योजनाबद्ध तरीके अपनाएँ

फॉल आर्मीवर्म का जीवनचक्र 30 से 61 दिनों का होता है। फॉल आर्मीवर्म के लार्वा, पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाते हैं। इससे पत्तियों पर सफ़ेद धारियाँ दिखायी देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़े होते जाते हैं, वो पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाने लगते हैं। इस तरह पत्तियों पर बड़े गोल-गोल छिद्र एक ही पंक्ति में नज़र आते हैं।

जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण weed control in farming
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Weed Management: जानिए क्यों जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक उत्पादों का इस्तेमाल बहुत उपयोगी है

जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक खरपतवार नाशकों की जगह जैविक उत्पादों का प्रयोग करना पर्यावरण हितैषी है। ये वातावरण और मिट्टी में जल्दी अपघटित हो जाते हैं और इनका भूजल में भी प्रवेश नहीं होता है।

क्विनोआ की खेती
उर्वरक, न्यूज़

क्विनोआ की खेती (Quinoa Farming): जानिए क्यों अद्भुत है क्विनोआ? क्यों और कैसे करें इसकी खेती से बढ़िया कमाई?

क्विनोआ के छिलकों हल्का कड़वा होता है। इसी वजह से इसे पक्षी नुकसान नहीं पहुँचाते। यह पाले और सूखे की मार भी आसानी से झेल लेता है। क्विनोआ में रोगों और कीटों से लड़ने ज़बरदस्त क्षमता है। ये इसे जैविक खेती के लिए सरल विकल्प बनाती है। देश के शहरों में क्विनोआ की माँग तेज़ी से बढ़ रही है। भारतीय किसानों के लिए क्विनोआ की खेती में अपार सम्भावनाएँ हैं।

soil health fertile land बंजर भूमि
कृषि उपज, न्यूज़, मिट्टी की सेहत

Soil Health: बंजर भूमि की विकराल होती चुनौती और इसका मुक़ाबला करने के उपाय

बंजर भूमि या मरुस्थलीकरण की समस्या भारत में भी तेज़ी से बढ़ रही है। देश की मरुस्थलीय भूमि अब बढ़ते-बढ़ते 30 फ़ीसदी हो चुकी है। देश की कुल अनुपजाऊ भूमि का 82 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडीशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में पाया जाता है। लिहाज़ा, इन्हीं राज्यों में मिट्टी को बंजर से उपजाऊ बनाने का काम सबसे ज़्यादा करने की ज़रूरत है।

बकरी पालन में कैसे करें ज़्यादा कमाई?
बकरी पालन, न्यूज़, पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन, पशुपालन न्यूज़

Goat Farming: बकरी पालन से ज़्यादा लाभ कमाने के 20 मंत्र, जानिए किन बातों का रखें ध्यान

बकरी पालन को भूमिहीनों, खेतीहर मज़दूरों, छोटे और सीमान्त किसानों तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े करोड़ लोगों की जीविका का प्रमुख आधार माना जाता है। बड़े पशुओं की तुलना में बकरी पालन को आर्थिक रूप से ज़्यादा फ़ायदे का पेशा माना जाता है। तभी तो ज़्यादा से ज़्यादा पशुपालक किसानों की पहली पसन्द बकरी पालन बनी हुई है। बकरी पालन की इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए विशेषज्ञों ने ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए ख़ास मंत्र बताये हैं।

Flaxseed Farming: अलसी की खेती
कृषि उपज, न्यूज़

Flaxseed Farming: अलसी की खेती में इन उन्नत तकनीकों को अपनाकर बढ़ा सकते हैं पैदावार

अलसी की जैविक खेती भी की जा सकती है। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के वैज्ञानिकों ने देश के अलग-अलग इलाकों के लिए अलसी की अनेक उन्नत किस्मों की सिफ़ारिशें की हैं। इसीलिए अलसी की खेती से अच्छी कमाई के लिए किसानों को उपयुक्त बीजों का ही चयन करना चाहिए।

जैविक पशुपालन organic animal husbandry
जैविक/प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, न्यूज़

Organic Animal Husbandry: जानिए कैसे जैविक पशुपालन और जैविक खेती का जोड़ मुनाफ़ा कमाने का एक शानदार पैकेज़ है?

खेती को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिहाज़ से जितनी अहमियत जैविक खेती की है, उतना ही लाभकारी है इसे जैविक पशुपालन से जोड़ना। इसीलिए जिस तरह से जैविक खेती में पारम्परिक कृषि प्रणाली में सीमित इनपुट पर आधारित कम उत्पादन को विशिष्ट स्थान के साथ ही साथ ज़्यादा दाम भी मिलता है, उसी तरह से जैविक पशुपालन से पैदा होने वाले उत्पादों को भी खाद्य पदार्थों के बाज़ार में विशिष्ट दर्ज़ा हासिल होता है।

मटकों में मशरूम की खेती growing mushroom in pots
न्यूज़, मशरूम, सब्जियों की खेती

मटकों में ढींगरी मशरूम की खेती: जानिए उन्नत तकनीक के ज़रिये कैसे बढ़ाएँ आमदनी?

यदि मौसम के अनुसार ढींगरी की प्रजातियाँ चुनी जाएँ तो पूरे साल इसकी उपज मिल सकती है। ढींगरी की विभिन्न प्रजातियाँ जहाँ देखने में अलग-अलग हैं, वहीं इनका स्वाद भी भिन्न होता है और इन्हें उगाने के लिए तापमान भी अलग-अलग रखना पड़ता है।

Sticky trap स्टिकी ट्रैप
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Sticky trap: जानिए फ़सलों के लिए कैसे सबसे सुरक्षित कीटनाशक हैं स्टिकी ट्रैप?

‘स्टिकी ट्रैप’ ऐसा घरेलू कीटनाशक है जो ये किसी ज़हरीले रसायन के बग़ैर ही हानिकारक कीटों के दुष्प्रभाव से फ़सलों की सुरक्षा करता है। ये रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में बेहद सस्ता होता है। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से फ़सलों को कीटों से होने वाले नुकसान में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आ जाती है और इससे फ़सल, खेत की मिट्टी, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

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