फसल प्रबंधन

खरपतवारों की रोकथाम weed management in kharif crops
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

खरीफ़ फसलों में लगने वाले खरपतवारों की रोकथाम कैसे करें? जानिए कृषि विशेषज्ञ डॉ. संदीप कुमार सिंह से

गाजर घास, धतुरा जैसे कुछ ज़हरीले खरपतवार न केवल फसल उत्पादन की गुणवत्ता को कम करते हैं, बल्कि मनुष्यों और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं। इसलिए इनके प्रबंधन पर किसानों को विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। खरपतवारों की रोकथाम कैसे करें किसान, इसपर मध्य प्रदेश स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र बुराहनपुर के प्रमुख और एग्रोनॉमी के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार सिंह से खास बातचीत की।

Liquid Nanoclay Technology
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Liquid Nanoclay Technology: कैसे लिक्विड नैनोक्ले तकनीक रेतिली ज़मीन को बना रही उपजाऊ?

कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों में से एक है नैनोक्ले तकनीक, जिसकी बदौलत रेगिस्तान में भी रसीले फल व सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग यूएई में हो चुका है।

सब्जियों की नर्सरी vegetable nursery
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Vegetable Nursery: सब्जियों की नर्सरी में इनोवेटिव तकनीक का इस्तेमाल, मणिपुर के इस युवा ने ईज़ाद किया तरीका

सब्जियों के बीज बहुत नाज़ुक होते हैं और उन्हें अधिक देखभाल की ज़रूरत होती है। इसलिए अधिकांश सब्जियों की पौध पहले नर्सरी में तैयार की जाती है, फिर खेत में उन्हें लगाया जाता है। मणिपुर के एक किसान ने नर्सरी में गुणवत्तापूर्ण सब्जियोंकी पौध तैयार करने के लिए एक नई तकनीक ईज़ाद की है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ गया। सब्जियों की नर्सरी में कैसे ये तकनीक कारगर हो सकती है, जानिए इस लेख में।

प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक
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प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक फल-सब्ज़ी की खेती में लागत घटाने का बेजोड़ नुस्ख़ा है

प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक की वजह से एक बार सिंचाई करने के बाद खेतों में ज़्यादा वक़्त तक नमी बनी रहती है। इस तकनीक में रोपे गये या अंकुरित हुए नन्हें पौधों के तनों के आसपास का हिस्सा प्लास्टिक से ढका होने की वजह से खरपतवार नहीं पनप पाते। लिहाज़ा, इन्हें निकालने या नष्ट करने के लिए न तो गुड़ाई-निराई की श्रम की लागत आती है और ना ही खरपतवार-नाशक रासायनिक दवाईयों की ज़रूरत पड़ती है। दूसरी ओर, परम्परागत खेती में ज़मीन की जिस उर्वरा शक्ति को खरपतवार हथिया लेते हैं वो ताक़त प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक की वजह से ज़मीन में ही बनी रहती है और उस फसल के पौधों के ही काम आती है, जिसकी खेती को किसान ने चुना है।  

फव्वारा तकनीक Sprinkler And Drip Irrigation
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Sprinkler and Drip Irrigation: पानी बचाकर खेती की कमाई बढ़ाने में बेजोड़ है फव्वारा और बूँद-बूँद सिंचाई

राजस्थान, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में अब तक 93 प्रतिशत से ज़्यादा खेतीहर ज़मीन को सूक्ष्म सिंचाई विधियों के दायरे में लाया जा चुका है। इस लिहाज़ से राजस्थान की उपलब्धियाँ सबसे आगे है। फव्वारा सिंचाई विधि के आने वाले देश के कुल इलाकों में राजस्थान की हिस्सेदारी एक-तिहाई से ज़्यादा है। दूसरी ओर आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में बूँद-बूँद सिंचाई वाली ड्रिप इरीगेशन के प्रति किसानों में ज़्यादा रुझान दिखाया है।

गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग
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गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग (Intercropping with Sugarcane): गन्ना किसान पपीते की सहफसली खेती का नुस्ख़ा ज़रूर आज़माएं

यदि गन्ना किसान गन्ने के साथ कुछ दूसरी फसलें लगाएँ तो उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। पपीते की फसल जल्दी तैयार हो सकती है और ये गन्ने के खेत में जगह भी ज़्यादा नहीं लेती। इसीलिए गन्ने के साथ पपीता उगाने से दोहरा लाभ मिलता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दोमट और बलुई मिट्टी की बहुतायत है। ऐसी मिट्टी न सिर्फ़ गन्ने के लिए बढ़िया है बल्कि पपीते के लिए भी बेहद मुफ़ीद होती है।

Bio priming जैविक बीज टीकाकरण
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Bio priming: जैविक बीज टीकाकरण विधि खेती की लागत घटाने और मुनाफ़ा बढ़ाने में कैसे बेहद उपयोगी है?

बीज टीकाकरण की बदौलत जहाँ क़रीब 30 प्रतिशत ज़्यादा पैदावार मिलती हैं, वहीं उत्पादन लागत घटने की वजह से भी खेती का मुनाफ़ा ख़ासा बढ़ जाता है। बीज टीकाकरण एक सस्ती और सरल विधि है। लेकिन भारत में ज़्यादातर किसानों को बीज टीकाकरण की विधि का ज्ञान नहीं हैं अथवा वो इन्हें प्रयोग में नहीं लाते हैं।

IPM तकनीक नारियल की खेती
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IPM तकनीक से नारियल की फसल को हानि पहुंचाने वाले कीटों से मिला छुटकारा

गोवा में काजू के साथ ही नारियल की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। मगर रेड पाम वीविल और राइनोसेरोस बीटल जैसे कीट की वजह से किसानों को फसल की बहुत हानि होती थी, क्योंकि ये कीट फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए ICAR ने ख़ास IPM तकनीक ईज़ाद की।

ग्राफ्टिंग तकनीक
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Grafting Technique: ग्राफ्टिंग तकनीक सब्ज़ी और फलों की खेती में क्यों है कारगर? कहां से लें ट्रेनिंग?

बीज से अगर कोई पौधा उगाया जाता है तो उसमें सिर्फ बीज वाले पौधे के ही गुण आएंगे । जब दो अलग-अलग पौधों को एक साथ जोड़कर नया पौधा विकसित किया जाता है, तो उस नए पौधे में दोनों पौधों के गुण आ जाते हैं और यही है ग्राफ्टिंग तकनीक।

बहुस्तरीय खेती multi layer farming
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Multi layer farming: बहुपरत या बहुफ़सली या बहुस्तरीय खेती के लिए कौन से फ़सल समूह हैं सबसे बेहतर?

मल्टीलेयर फ़ार्मिंग से कम लागत में ज़मीन की प्रति इकाई से ज़्यादा उत्पादकता और उच्च आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। ऐसी एकीकृत कृषि प्रणाली जिसमें एक ही खेत से एक फ़सल के लिए ज़रूरी उर्वरक और सिंचाई से साल में 4-5 फ़सलों की पैदावार हासिल की जा सकती है। इसे छोटे और सीमान्त किसानों के लिए स्थायी विकास का ज़रिया भी माना गया है, क्योंकि इससे ज़्यादा मुनाफ़ा के अलावा बेहतर खाद्य और पोषण सुरक्षा हासिल होती है।

एकीकृत कृषि प्रणाली
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Integrated Farming: एकीकृत कृषि प्रणाली से 6 गुना से भी ज़्यादा बढ़ी इस महिला किसान की आमदनी

जो किसान नई तकनीक अपनाकर खेती को एक व्यवसाय की तरह कर रहे हैं उन्हें इससे अच्छी आमदनी हो रही है। एक ऐसी ही तकनीक है एकीकृत कृषि प्रणाली। ऐसी ही एक महिला किसान हैं अरकेरी गांव की दोंदुबाई हन्नू चव्हाण, जो अब दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।

प्लास्टिक मल्चिंग
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प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) तकनीक से महिला किसान सरोजा ने टमाटर की उन्नत किस्म उगाकर की अच्छी कमाई, जानिए कैसे?

कर्नाटक की प्रगतिशील महिला किसान सरोजा ने KVK की मदद से कई सब्ज़ियों में प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक अपनाई और अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर सामने आई हैं। जानिए कैसे हुआ उन्हें मुनाफ़ा?

जैविक कीटनाशक
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Bio-pesticides: खेती को बर्बादी से बचाना है तो जैविक कीटनाशकों का कोई विकल्प नहीं

जैविक कीटनाशकों में ‘एक साधे सब सधे’ वाली ख़ूबियाँ होती हैं। इसका मनुष्य, मिट्टी, पैदावार और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और फ़सल के दुश्मन कीटों तथा बीमारियों से भी क़ारगर रोकथाम हो जाती है। इसीलिए, जब भी कीटनाशकों की ज़रूरत हो तो सबसे पहले जैविक कीटनाशकों को ही इस्तेमाल करना चाहिए।

हाइड्रोपोनिक hydroponic farming
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Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक उपज से कैसे होती है ‘जैविक खेती’ जैसी कमाई?

बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री तेज़ी बढ़ रही है। अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन
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Climate change: जलवायु परिवर्तन क्यों है खेती की सबसे विकट समस्या और क्या है इससे उबरने के उपाय?

जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से जैविक और अजैविक तत्वों के बीच प्राकृतिक आदान-प्रदान से जुड़ा ‘इकोलॉजिकल सिस्टम’ भी प्रभावित हुआ है। इससे मिट्टी के उपजाऊपन में ख़ासी कमी आयी है। सिंचाई की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। इसीलिए किसानों को जल्दी से जल्दी पर्यावरण अनुकूल खेती को अपनाना चाहिए।

राजस्थान मॉडल नर्सरी rajasthan model nursery
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Plant Nursery: राजस्थान की इस नर्सरी ने किसानों की कई समस्याएं एक साथ हल की, अन्य गाँवों के लिए बनी मॉडल पौधशाला

10 किसानों का समूह ये नर्सरी चलाता है। इन किसानों को व्यवसायिक नर्सरी प्रबंधन पर स्किल ट्रेनिंग दी गई। कटिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक, कीट और रोग प्रबंधन के बारे में बताया गया।

एकीकृत कृषि प्रणाली integrated farming system
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एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming): ज़मीन के छोटे से टुकड़े से लाखों की कमाई कर रहा है ये किसान

ज़मीन के छोटे से टुकड़े का अगर सही इस्तेमाल किया जाए और खेती के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जाए, तो अच्छा-खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। कर्नाटक के तुमकुर जिले के किसान मंजन्ना टी.के. एकीकृत कृषि प्रणाली की जीती-जागती मिसाल है।

फूलगोभी की खेती
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Paired Row System: फूलगोभी की खेती में युग्मित पंक्ति प्रणाली का किया इस्तेमाल, मिली अच्छी उपज और बेहतर मुनाफ़ा

फूलगोभी की खेती पंक्तियों में की जाए और पंक्तियों के बीच उचित दूरी का ध्यान रखा जाए, तो अच्छी फसल और ज़्यादा आमदनी की गारंटी है।

गुलाबी सूंडी
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गुलाबी सूंडी से कपास की फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें ये ज़रूरी बातें

कपास की फसल में आमतौर पर गर्मी और बरसात के समय जो उमस वाला मौसम आता है उस समय कीट व बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कीटनाशकों का छिड़काव सही तरीके से करना चाहिए। गुलाबी सूंडी कीड़े की वजह से भी फसल को काफी नुकसान होता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाना ज़रूरी है।

फसलों को रोग और कीटों से बचाएगा फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप
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फसलों को रोग और कीटों से बचाएगा फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप, जानिए इस आविष्कार के बारे में

जीवाणु और फफूंद के कारण होने वाले रोग और कीटों से हर साल किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। अगर समय रहते रोग और कीटों की सही पहचान कर ली जाए, तो ज़रूरी कदम उठाकर किसान आर्थिक हानि से बच सकते हैं। ऐसा करने में पोल्टस्कोप माइक्रोस्कोप (Foldscope Paper Microscope) उनकी बहुत मदद कर सकता है।

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