क्या भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाएगा गौपालन? क्या इस कदम से बढ़ेगी किसानों की आमदनी?
कामधेनु दीपावली अभियान के ज़रिए देश के गौपालकों के जीवन में सुधार लाना है। अर्थव्यवस्था में अकेले डेयरी क्षेत्र की 4 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।
पशुपालन के क्षेत्र में सफलता के लिए सुझाव और तकनीकों का अन्वेषण करें। अपने पशुओं की सेहत और कर्णप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ सलाह और जानकारी। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे गाइड के साथ पशुपालन की दुनिया में आगे बढ़ें।
कामधेनु दीपावली अभियान के ज़रिए देश के गौपालकों के जीवन में सुधार लाना है। अर्थव्यवस्था में अकेले डेयरी क्षेत्र की 4 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।
प्रेम सिंह बताते हैं कि आज आवर्तनशील खेती करके खेती में जो मुकाम उन्होंने हासिल किया है वो एक दिन का नतीजा नहीं है, साल दर साल कुछ नया सीखने और करने की उनकी कोशिश है।
कभी आर्थिक तंगी के कारण खेती की राह चुनने वाले उत्तर प्रदेश के किसान ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। आज वो संस्था बनाकर कई किसानों और बेरोजगार युवाओं को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
पशुपीडिया (Pashupedia) से पशुपालकों को नस्ल चुनने में मिलेगी आसानी, विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी
राष्ट्रीय महिला आयोग की इस परियोजना के तहत महिलाओं को मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों की मार्केटिंग को लेकर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
पशु मेलों में अपना दबदबा जमाने वाले सुल्तान ने अपने मालिक और उसके परिवार को इतना नाम दिलाया कि आज सुल्तान से ही उनकी पहचान है।
मत्स्य संपदा योजना को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2020-21 से साल 2024-25 तक सभी प्रदेशों और संघ शासित राज्यों में लागू करने का उद्देश्य है।
बाढ़, बिजली गिरने, बीमारी या अन्य वजहों से पशुओं की असमय मौत पर किसानों को भारी नुकसान का सामना करना होता है। पैसों की तंगी से दोबारा मवेशी खरीदने के लिए पशुपालक किसानों को कर्ज लेने पर मज़बूर होना पड़ता है। ऐसे में मवेशियों की मौत पर किसानों को सहाय अनुदान योजना के तहत पशुपालन मुआवज़ा देने की बिहार सरकार की नीति पशुधन संवर्धन में कारगर साबित हो रही है।
उनके बकरी बैंक की दो ही शर्तें हैं। पहला, बैंक से यदि गर्भवती बकरी लेनी है तो 1200 रुपये देने होंगे और दूसरा ये कि बकरी लेने वाले को बैंक को भरोसा देना होगा कि वो 40 महीने में बकरी और उसके चार मेमनों को वापस बैंक में लौटाएगा।
गिर गाय का दूध शहरों में 70 रुपये से 200 रुपये प्रति लीटर तक और इसका घी 2000 रुपये प्रति किलो तक बिक सकता है। इसकी कीमत 60-70 हज़ार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक हो सकती है। दस गायों की डेयरी के उत्पादों से लागत को निकालने के बाद औसतन दो लाख रुपये महीने की आमदनी हो जाती है।
जो पशुपालक किसी भी वजह से अब तक बायोगैस प्लांट से दूर हैं और जानबूझकर अपनी मेहनत का कम फ़ायदा उठा रहे हैं। ऐसे पशुपालकों को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी बायोगैस संयंत्र लगवाकर अपनी कमाई बढ़ाने का उपाय करें। बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से भी सब्सिडी मिलती है। किसानों को इसका लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।
हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीक खाद्य सुरक्षा, रोज़गार और आमदनी के स्थायी ज़रिया बनने में मददगार साबित होगी। ब्रह्मपुत्र के मांझली द्वीप से पैदा हुई ये तकनीक बंगाल और बांग्लादेश से होते हुए अब बिहार में कोसी नदी के बाढ़ प्रभावितों ज़िलों सहरसा और सुपौल में पहुँची है।
हेथा फार्म: सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी से लेकर गौ सेवा करने तक का सफर तय करने वाले असीम रावत आज देसी गायों वाली देश की बड़ी गौशाला चला रहे हैं जो की गाज़ियाबाद में स्थित है।
केज कल्चर में रखी जाने वाली मछलियाँ का वजन जहाँ 120 दिनों में 400 ग्राम तक हो जाता है। वहीं इसी अवधि में खुले तालाबों की मछलियों का वजन 200 से 300 ग्राम तक ही हो पाता है। ज़्यादा वजन वाली मछलियों के उत्पादन से इसके किसानों की आमदनी बढ़ जाती है।
पशु पालन से जुड़ी ज़्यादातर कर्ज़ योजनाओं के तहत बैंकों की ओर से कोई गारंटी नहीं ली जाती, बल्कि कर्ज़ से ख़रीदे गये पशु का बीमा करवाकर किसान को किसी भी आशंकित ख़तरे से सुरक्षित करने की कोशिश की जाती है।
मत्स्य सेतु (Matsya Setu) ऐप से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के ज़रिये अगले पाँच साल में मछली उत्पादन में 70 लाख टन का इज़ाफ़ा करने, मछली निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये सालाना के स्तर तक पहुँचाने और 55 लाख लोगों के लिए रोज़गार के अवसर विकसित करने में मदद मिलेगी।
भेड़ पालन के लिए सरकार कर्ज़ या मदद पाने की दो मुख्य योजनाएँ हैं। इसमें बैंक से मिले कर्ज़ की आधी रकम पर कोई ब्याज़ नहीं चुकाना पड़ता। पहली योजना के तहत एक लाख रुपये तक का कर्ज़ लिया जा सकता है। दूसरी योजना के तहत भेड़ पालक एक लाख रुपये से ज़्यादा का कर्ज़ भी ले सकते हैं। लेकिन इसमें ब्याज़ रहित राशि की सीमा 50 हज़ार रुपये तक ही होती है।
मधुमक्खी पालन (Bee Farming) व्यावसाय का एक सबसे बेहतरीन जरिया है। मधुमक्खियों से मिलने वाले शहद की मार्केट में काफी
मत्स्य पालन एक लाभकारी काम है। मछुआरों के लिए ये एक अच्छा खासा मुनाफा कमाने वाला व्यवसाय है। अगर इस
सही दिशा में की गई मेहनत रंग जरूर दिखाती है। इस बात को 62 साल की नवलबेन चौधरी ने सही