लखनवी सौंफ की खेती से जुड़ी अहम बातें, स्वाद और सेहत का खज़ाना है ये सौंफ
लखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
अपने खेतों में स्वाद से भरपूर फल, फूल और सब्जियों की खेती करने के लिए विशेषज्ञ सुझाव और तकनीकें।
लखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
भारत में ढेर सारी बागवानी फसलों की खेती की जाती है, इसमें से एक महत्वपूर्ण फसल है पपीता। पपीते की खेती से किसानों को अधिक आमदनी हो इसके लिए विशेषज्ञ पीपते के मूल्य संवर्धन उत्पादन बनाने की सलाह देते हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर के पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि वो अक्सर देखते थे कि कैसे दूर-दराज के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था। उसके बावजूद भी उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता था। उन्होंने शुरुआत में मसालों की खेती (Spice Farming) कर रहे अपने क्षेत्र के किसानों से संपर्क किया और फिर कारवां बनता चला गया।
खुले खेत की बजाय पॉलीहाउस में शिमला मिर्च और खीरे जैसी सब्ज़ियां उगाना किसानों के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इसमें फसल पर मौसम की मार नहीं पड़ती। मध्यप्रदेश के किसान नेपाल सिंह परिहार पॉलीहाउस में खीरा और शिमला मिर्च की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं।
मिर्च एक प्रमुख नगदी फसल है। मिर्च की खेती किसानों को लखपति बना सकती है, अगर वो सही तरीके से इसकी खेती करें।
सरसों की खेती की उन्नत तकनीकें अपनायी जाएँ तो किसान अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। कभी-कभार ये कीट उग्र रूप धारण कर लेते हैं तथा फसलों को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। इसीलिए सरसों या तिलहनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना बेहद ज़रूरी है।
टमाटर की खराब फसल के कारण जहां हर साल किसान परेशान रहते थे, वहीं इस साल टमाटर सोने का भाव बिक रहा है, जिससे किसानों की चांदी हो गई है। ऐसे ही आंध्र प्रदेश के एक किसान को भी टमाटर ने महज़ डेढ़ महीने में करोड़पति बना दिया है। टमाटर की खेती किसानों के लिए कुबेर का खज़ाना साबित हो रही है।
फूलों की खेती करके किसान कम लागत में लंबे समय तक मुनाफ़ा अर्जित कर सकते हैं, क्योंकि एक बार इन्हें लगाने के बाद बार-बार फूल तोड़कर बेचा जा सकता है। फूलों की खेती इसलिए भी फाफ़ायदेमंद है क्योंकि फूलों की मांग लगातार बढ़ रही है। अन्य फूलों के साथ ही स्टेटिस फूल भी बहुत लोकप्रिय हो रहा है।
आलू की खेती अलग-अलग तरह की जमीन, जिसका पी.एच. 6 से 8 के बीच हो, ऐसे जमीनों में उगाई जा सकती है
पपीते की पौध (Papaya Plant): आज इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे गांव में रहने वाले एक व्यक्ति
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले की किसान प्रियंका नागवेकर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया। उन्होंने नारियल की खेती के साथ Mixed-Cropping का कांसेप्ट अपनाया।
अगर कोई आपसे पूछे कि दालचीनी (Cinnamon) क्या है तो आप यही कहेंगे कि एक मसाला है। लेकिन क्या आपको
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले की रहने वाली प्रियंका पांडे ने 2019 में मशरूम की खेती शुरू की। वैज्ञानिक तरीके से की गई मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) ने आज उन्हें एक सफल महिला उद्यमी बना दिया है।
किचन गार्डन बनाने से सुनीता सिंह के महीने की सब्जियां खरीदने का खर्च तो कम हुआ ही, साथ ही तरोताज़ा सब्जियां भी खाने को मिलती हैं।
करी पत्ता एक सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक मसाला है जो औषधीय गुणों से भरपूर है। इसीलिए करी पत्ते की खेती में हमेशा जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी माँग पूरे साल रहती है। इसके कच्चे और मुलायम पत्ते, पके हुए पत्तों की तुलना में ज़्यादा क़ीमती और उपयोगी होते हैं। इस पर रोग-कीट का प्रकोप भी बहुत कम पड़ता है।
लाल रंग की रसीली स्ट्रॉबेरी खाने में तो स्वादिष्ट होते ही है, साथ ही यह किसानों की कमाई का भी अच्छा ज़रिया है। नई तकनीक से कम जगह में ही अधिक उत्पादन प्राप्त करके किसान लाभ कमा सकते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करके महाबलेश्वर के किसान बशीर डांगे कर रहे हैं।
मटर हमारे देश की प्रमुख सब्ज़ी है और सर्दियों के मौसम में बाज़ार में हरी मटर खूब बिकती है। उत्तराखंड में मटर की खेती तो होती है मगर उन्नत किस्म के बीजों का अभाव है। इसे किसान सहभागी बीज उत्पादन कार्यक्रम के ज़रिए दूर करने की कोशिश की जा रही है।
चौलाई से मिलने वाले साग (सब्ज़ी) और दाना (अनाज) दोनों ही नकदी फसलें हैं। चौलाई के खेती में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। चौलाई की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। जानिए चौलाई की खेती से जुड़ी ऐसी कई जानकारियां।
मिशन का मक़सद किसानों की आय बढ़ाना और व्यावसायिक स्तर पर लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देना है। साथ ही लैवेंडर का तेल बनाना है जो 10,000 रुपये प्रति लीटर में बिकता है। अन्य लोकप्रिय उत्पादों में दवाएं, अगरबत्ती, साबुन और एयर फ्रेशनर शामिल हैं।
यदि गन्ना किसान गन्ने के साथ कुछ दूसरी फसलें लगाएँ तो उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। पपीते की फसल जल्दी तैयार हो सकती है और ये गन्ने के खेत में जगह भी ज़्यादा नहीं लेती। इसीलिए गन्ने के साथ पपीता उगाने से दोहरा लाभ मिलता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दोमट और बलुई मिट्टी की बहुतायत है। ऐसी मिट्टी न सिर्फ़ गन्ने के लिए बढ़िया है बल्कि पपीते के लिए भी बेहद मुफ़ीद होती है।