औषधि

पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे
पशुपालन, औषधि, न्यूज़, विविध

पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे? किन रोगों से मवेशियों को मिल सकता है आराम?

खेती के साथ ही ज़्यादातर किसान पशुपालन भी करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें कई फ़ायदे होते हैं। दूध, दही, घी के साथ ही खेती के लिए जैविक खाद मिलती है। लेकिन पशुओं के बीमार होने पर पशुपालकों को दवाओं पर काफ़ी खर्च करना पड़ जाता है, जिससे लाभ कम हो जाता है। ऐसे में औषधीय पौधे बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)
विविध, औषधि, न्यूज़

न्यूट्रास्यूटिकल के रूप में जल ब्राह्मी का इस्तेमाल, किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है इसकी खेती

जल ब्राह्मी औषधीय गुणों वाला पौधा है, जो महत्वपूर्ण हर्बल न्यूट्रास्यूटिकल भी है। ब्राह्मी की फसल रोपाई के 5-6 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक साल में 2-3 कटाई की जा सकती है। ये एक हर्बल न्यूट्रास्यूटिक है, जो न सिर्फ़ शरीर को पोषण देता है, बल्कि बीमारियों की रोकथाम और मानसिक रोगों के इलाज में भी मददगार है।

कासनी की खेती 3
औषधि, न्यूज़, विविध

कैसे करें औषधीय गुणों से भरपूर कासनी की खेती? क्यों कहा जाता है इसे प्रकृति का वरदान?

हमारे देश में औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पतियों की भरमार है, इन्हीं में से एक वनस्पति है कासनी, जो हरे चारे के साथ ही औषधि बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। किसानों के लिए कासनी की खेती फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।

मेंथा की खेती peppermint cultivation mentha
औषधि, न्यूज़, विविध

मेंथा की खेती: कौनसी हैं उन्नत किस्में, फसल प्रबंधन से लेकर कीटों से कैसे करें बचाव?

किसान नगदी फसलों को अधिक आमदनी के लिए उगाते हैं। ऐसी ही एक नगदी फसल है मेंथा। मेंथा की खेती किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। कम समय और लागत में ये अच्छा रिटर्न देती है।

दालचीनी
औषधि, मसालों की खेती, लाईफस्टाइल, स्वास्थ्य

हर रोग को दूर करती है दालचीनी, जानिए इसके सभी फ़ायदों के बारे में

अगर कोई आपसे पूछे कि दालचीनी (Cinnamon) क्या है तो आप यही कहेंगे कि एक मसाला है। लेकिन क्या आपको

अश्वगन्धा की खेती
एग्री बिजनेस, औषधि

Ashwagandha Cultivation: बंजर ज़मीन पर अश्वगन्धा की खेती से बढ़िया कमाई, कमाएँ 6-7 गुना मुनाफ़ा

देश में अश्वगन्धा की खेती करीब 5000 हेक्टेयर में होती है। इसकी सालाना पैदावार करीब 1600 टन है, जबकि माँग 7000 टन है। इसीलिए किसानों को बाज़ार में अश्वगन्धा का बढ़िया दाम पाने में दिक्कत नहीं होती। यह पौधा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है। लेकिन पश्चिमी मध्यप्रदेश के मन्दसौर, नीमच, मनासा, जावद, भानपुरा और निकटवर्ती राजस्थान के नागौर ज़िले में इसकी खेती खूब होती है। नागौरी अश्वगन्धा की तो बाज़ार में अलग पहचान भी है।

चिकोरी की खेती
औषधि, न्यूज़, हेल्थ फ़ूड

चिकोरी की खेती: पशुओं के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद, जानिए कैसे करें इसकी खेती

आमतौर पर सड़क किनारे जंगली पौधे के रूप में उगने वाला चिकोरी या कासनी पशुओं के लिए सस्ता और पूरे साल उपलब्ध होने वाला बेहतरीन चारा है। पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए इसकी खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

कैर की खेती
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कैर की खेती: बंजर भूमि में भी उग जाए, जानिए कैर की खेती के बारे में सब कुछ

राजस्थान के अधिकांश शुष्क इलाके जहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है और ज़मीन बंजर है, ऐसी जगहों के लिए कैर की खेती किसी वरदान से कम नहीं है। कैर की सब्ज़ी, अचार बनाने से लेकर औषधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

सहजन
औषधि, न्यूज़, विविध

Drumstick Cultivation: साल में दो बार फल देने वाले सहजन की वैज्ञानिक खेती से होगी अच्छी कमाई

सहजन औषधीय गुणों वाल पौधा है। इसके फल, फूल से लेकर पत्तियों और छाल तक का उपयोग खाने से लेकर दवाई बनाने तक में किया जाता है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर सहजन की मांग बाज़ार में बढ़ने लगी है। ऐसे में इसकी वैज्ञानिक खेती करके किसान अच्छी आमदनी पा सकते हैं।

giloy ki kheti गिलोय की खेती
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औषधीय पौधे गिलोय की खेती किसानों के लिए अच्छी आमदनी का बड़ा ज़रिया, ले सकते हैं ट्रेनिंग और सब्सिडी

गिलोय बेल की तरह फैलने वाला एक पौधा है। गिलोय की खेती में ज़्यादा मेहनत और खर्च नहीं है। आयुर्वेदिक औधषि बनाने वाली कंपनियों में इसकी बहुत मांग है। सेहत के लिए बेहद गुणकारी गिलोय को आप आसानी से अपने घर के बाहर भी उगा सकते हैं। खेत में मेड़ बनाकर या दूसरे पेड़ों के आसपास भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है।

सिरोपिजिआ बल्बोसा
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औषधीय पौधे सिरोपिजिआ बल्बोसा के बारे में जानते हैं आप? इसकी खेती के कई फ़ायदे

शहरीकरण, जागरुकता की कमी और वनस्पतियों के दोहन के कारण कई महत्वपूर्ण वनस्पतियां लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। इन्हीं में से एक है सिरोपिजिआ बल्बोसा। औषधिय गुणों से भरपूर इस पौधे की खेती से जैव विविधता को बचाए रखा जा सकता है।

एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Farming)
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एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Farming): बेकार पड़ी ज़मीन पर बढ़िया कमाई का ज़रिया, न कोई रोग और न ही जानवर से खतरा

बेकार ज़मीन के लिए भी एलोवेरा की खेती वरदान बन सकती है। एलोवेरा की व्यावसायिक खेती में प्रति एकड़ 10-11 हज़ार पौधे लगाने की लागत 18-20 हज़ार रुपये आती है। इससे एक साल में 20-25 टन एलोवेरा प्राप्त होता है, जो 25-20 हज़ार रुपये प्रति टन के भाव से बिकता है। यानी एलोवेरा की खेती में अच्छे मुनाफ़े की गारंटी है, क्योंकि इसे ज़्यादा सिंचाई, खाद और कीटनाशक की ज़रूरत नहीं पड़ती।

सिरिस का पेड़ shirisha ka ped shirisha tree
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सिरिस का पेड़ है बहुत उपयोगी, जानिए सिरिस की खेती से कैसे लाभ कमा सकते हैं किसान

सिरिस का पेड़ गर्म व शुष्क जलवायु में अच्छी तरह फलता-फूलता है। ऐसे इलाके जहां गर्मियों में तापमान 48-52 डिग्री और सर्दियों में सामान्य रहता है यानी बहुत ठंड नहीं पड़ती, ऐसे जलवायु में सिरिस के पेड़ों का विकास अच्छी तरह होता है।

Guggul Farming गुग्गल की खेती
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Guggul Farming: जानिए औषधीय पौधे गुग्गल की खेती का उन्नत तरीका, कितना दाम और क्या है पैदावार

गुग्गल औषधीय गुण वाला सुंगधित पौधा है। गुग्गल की खेती में बीज द्वारा या कलम लगाकर पौधे तैयार किए जाते हैं। ये 40-45 डिग्री से लेकर 3 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकता है। पहाड़ी इलाकों में ये जगलों में झाड़ियों की तरह उग आता है।

मुंजा घास (Munja Grass)
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मुंजा घास (Munja Grass) की खेती कैसे बन सकती है अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया? साथ ही हैं कई फ़ायदे

मुंजा घास नदियों, सड़कों, हाईवे, रेलवे लाइनों और तालाब के किनारे खाली जगह पर कुदरती रुप से उग आती है। यह घास भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पायी जाती है। किसान इसको आसानी से लगा सकते हैं।

Sea Buckthorn Berry: हिमालयन बेरी सी बकथॉर्न
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Sea Buckthorn Berry: हिमालयन बेरी की व्यावसायिक खेती लद्दाख में जल्द होगी शुरू, कहलाता है वंडर प्लांट

वैज्ञानिकों को क़रीब दो दशक पहले हिमालयन बेरी ‘सी बकथॉर्न’ की अद्भुत ख़ूबियों का पता चला। इसने हिमाचल के स्पिति ज़िले के किसानों की ज़िन्दगी बदल दी, क्योंकि इसका पेड़ ऐसी जलवायु में ही पनपता है जहाँ तापमान शून्य से नीचे रहता हो। ‘सी बकथॉर्न’ को दुनिया का सबसे फ़ायदेमन्द फल माना गया है।

एलोवेरा की खेती aloevera farming
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एलोवेरा की खेती (Aloevera Farming): जानिए कैसे करें , इन बातों का रखेंगे ध्यान तो होगी बढ़िया आमदनी

एलोवेरा की खेती के लिए खाद और कीटनाशक की कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती। ऐसे ही कई कारण हैं कि एलोवेरा की खेती की ओर किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti
औषधि, एग्री बिजनेस, न्यूज़

ब्राह्मी की खेती: लागत से 4 गुना ज़्यादा मुनाफ़ा देता है ये औषधीय पौधा, किसान राम भजन राय से जानिए इसके बारे में सब कुछ

राम भजन राय करीबन 4 एकड़ क्षेत्र पर ब्राह्मी की खेती कर रहे हैं। धान की तरह ही ब्राह्मी की खेती की जाती है। नर्सरी में पौध तैयार किए जाते हैं। ब्राह्मी की एक साल में 2 से 3 फसलें ली जा सकती हैं ।

सफ़ेद मूसली के लिए खेत की तैयारी
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सफ़ेद मूसली या सतावर की खेती करें और कमायें बढ़िया मुनाफ़ा

यदि सूझबूझ के साथ और वैज्ञानिक तरीके से सफ़ेद मूसली या सतावर की खेती की जाए तो ये फसल किसान को खुशहाल बना सकती है। बाज़ार में उम्दा मूसली का दाम 1000-1500 रु. प्रति किलोग्राम तक मिल सकता है। मझोले किस्म की फसल का दाम 700-800 रु. प्रति किलो और हल्की किस्म का दाम 200-300 रु. प्रति किलोग्राम तक मिलता है। सफ़ेद मूसली की उन्नत खेती पर प्रति एकड़ लागत करीब 5-6 लाख रुपये बैठती है और यदि उपज का दाम औसतन 1.2 लाख रुपये प्रति क्विंटल भी मिला और यदि प्रति एकड़ औसत उपज करीब 15 क्लिंटल भी रही तो उपज का दाम करीब 18 लाख रुपये बैठेगा। इसमें से लागत घटा दें तो किसान को प्रति एकड़ 10-12 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफ़ा मिलेगा।

एलोवेरा की खेती Aloevera Farming
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एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट खोलकर बन जाएं करोड़पति, पढ़ें पूरी खबर

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किस प्रकार एलोवेरा की खेती के साथ-साथ एलोवेरा प्रोसेसिंग यूनिट खोलकर आप बन सकते हैं करोड़पति। आइए पढ़ते हैं विस्तार से।

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