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बीज उत्पादन: चम्पारण के किसान विजयगिरी उगाते हैं मैजिक चावल और रंगीन चावल, किसानों को उपलब्ध कराते हैं बीज

2017 से शुरू की रंगीन चावलों की खेती

विजयगिरी अपने खेत में काले, हरे, लाल, मैजिक और अम्बे मोहर चावल के साथ-साथ कई अन्य चावल की किस्मों की खेती करते हैं। वो इन चावलों की खेती पूरी तरह से जैविक तरीके से करते हैं।

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आजकल खेती में भी किसान नये-नये प्रयोग कर रहे हैं। इन प्रयोगों से किसानों को फ़ायदा भी मिल रहा है। बिहार के पश्चिमी चम्पारण के खंड रामनगर के रहने वाले किसान विजयगिरी धान की फसल पर कई प्रयोग कर रहे हैं। बीज उत्पादन व्यवसाय से जुड़े विजयगिरी को उनके प्रयोगों से फ़ायदा भी मिल रहा है। आपको बता दें कि विजयगिरी काले, लाल, हरे रंग के साथ-साथ मैजिक चावल की भी खेती करते हैं। इन चावलों को देखकर लगता है कि मानो किसी ने उन पर रंग डाल दिया हो। विजयगिरी बताते हैं कि मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर इन चावलों का इस्तेमाल डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद फ़ायदेमंद होता है। इस तथ्य को कृषि अनुसंधान केन्द्र ने भी प्रमाणित किया है। विजयगिरी को राज्य और ज़िला स्तर पर कई सम्मान मिल चुके हैं। आइए जानते हैं कि विजयगिरी ने इन चावलों की खेती करने की शुरुआत कैसे की।किसान ऑफ़ इंडिया ने विजयगिरी से ख़ास बातचीत की।

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

2017 से शुरू की रंगीन चावलों की खेती

विजयगिरी 1975 से खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें उन्नत चावलों  की खेती करने का विचार आया। वो किसानों की एक मीटिंग में गए थे। वहाँ जब उन्होंने मिठाई खिलाई तो कईयों ने मना कर दिया। इसका कारण था, डायबिटीज़ बीमारी से पीड़ित होना। यहीं से उन्हें काले चावल की खेती करने का ख़्याल आया। काले चावल अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। विजयगिरी ने इन अलग-अलग चावलों की खेती की शुरुआत 2017 से की। 

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

विजयगिरी कौन-कौन सी किस्मों की खेती करते हैं?

बीज उत्पादन क्षेत्र से जुड़े विजयगिरी बताते हैं कि वह काले, हरे, लाल, मैजिक और अम्बे मोहर चावल के साथ-साथ कई अन्य चावल की किस्मों की खेती करते हैं। वो इन चावलों की खेती पूरी तरह से जैविक तरीके से करते हैं। जैविक खेती करने से उनको ज़्यादा लागत नहीं पड़ती, जिससे उनका मुनाफ़ा बढ़ जाता है। जैविक खेती के कारण फसल में बिमारी होने का खतरा भी कम होता है। 

इन चावलों के बीज कहां से मिले और इसके क्या फ़ायदे हैं?

विजयगिरी धान की फसलों के बीज देश के अलग-अलग राज्यों से लेकर आए। हर एक चावल की किस्म की अपनी खासियत है। आइए बारी-बारी से जानते हैं चावल की इन किस्मों का बारे में।

काला चावल: चम्पारण के किसान विजयगिरी ने काले चावल की खेती से शुरुआत की थी। उन्होंने चावल की इस किस्म के बीज मणिपुर से मंगवाए थे। विजयगिरी ने शुरुआत में कम बीजों का इस्तेमाल किया और फसल कम जगह में उगाई। उनको इस फसल से मुनाफ़ा हुआ। आपको बता दें कि काले चावल की दो किस्में होती हैं। एक 160 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, वहीं दूसरी 110 दिनों के अंदर तैयार होती है। दोनों किस्मों में बस चावल के दानें की बनावट में अंतर होता है। काले चावल में कई तरह के मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह चावल डायबिटीज़ के मरीज़ो के लिए लाभदायक होते हैं।

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

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लाल चावल: काले चावल के उत्पादन में मिली सफलता के बाद विजयगिरी ने लाल चावल की खेती करनी भी शुरू कर दी। इसके बीज उन्होंने उत्तराखण्ड से मंगवाए। उन्होंने लाल चावल की खेती 2021 से शुरु की। चावल की इस किस्म में भी कई तरीके के मिनिरल्स होते हैं। लाल चावल हृदय रोग, कैंसर और शुगर आदि जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए लाभदायक माने जाते हैं। इस किस्म की फसल 110 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

हरा चावल: विजयगिरी हरा चावल का बीज छत्तीसगढ़ से लेकर आए थे। चावल की इस किस्म को कस्तूरी नाम से भी जाना जाता है। रायपुर के पास इन्द्रा गांधी विश्वविद्यालय में इस पर शोध कार्य चल रहा है। विजयगिरी चावल की इस किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध कराते हैं। इसमें भी कई तरीके के मिनिरल्स पाए जाते हैं। यह किस्म की फसल 170 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

अम्बे मोहर: विजयगिरी अम्बे मोहर चावल की किस्म गुजरात से लेकर आए थे। इस चावल की ख़ासियत यह है कि इसमें आम के जैसी खुशबू आती है। कई तरह के मिनिरल्स से युक्त चावल की यह किस्म खीर के लिए प्रसिद्ध है। यह किस्म 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

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Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

क्या है मैजिक चावल?

विजयगिरी मैजिक चावल के बीजों को असम से लाए थे। इन चावलों की विशेषता यह है कि यह ठण्डे पानी में भी पक जाते हैं। विजयगिरी बताते हैं कि जब वो बंगाल के नादिया ज़िले के किसान मेले में गए थे तो तब उनको मैजिक चावल के बारे में पता चला। फिर उन्होंने मैजिक चावल के बीज असम से मंगवाए। उन बीजों को अपने खेत में लगाया। जब वो पक कर तैयार हुए तो उन्होंने सबसे पहले खुद उनका स्वाद चखा। उस समय उनके द्वारा उगाए गए मैजिक चावल को कृषि विभाग वाले भी देखने आए थे। उन्होंने चावल की इस किस्म को मान्यता दी। चावल की इस किस्म ने विजयगिरी को एक नई पहचान दिलाई। मैजिक चावल 170 दिनों में पक कर तैयार हो जाते हैं।

Coloured Rice Cultivation बीज उत्पादन

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इन फसलों को खेती करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

प्रगतिशील किसान विजयगिरी बताते हैं कि अगर कोई किसान शुरुआत कर रहा है तो सबसे पहले उनको कम मात्रा में फसल बोनी चाहिए। किसान को फसल की बुआई करते समय देसी बीजों का उपयोग करना चाहिए। किसान को पूर्ण रुप से जैविक खेती करनी चाहिए। जैविक खेती करने से फसल में कम बीमारियां होती हैं और लागत में भी कमी आती है। रोग-कीटों से फसल को बचाने के लिए नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। नीम का तेल पूर्ण रुप से जैविक होता है।

बुआई की तरीका: बुआई के समय ध्यान रखें कि वो लाइन विधि से बीजों की रोपाई करें। बीज को घना नहीं रोपना चाहिए। खेती की बुनियादी बातों को ध्यान में रख कर बुवाई करनी चाहिए।

कितना मुनाफ़ा और कैसा है बाज़ार? 

विजयगिरी एक एकड़ में 16 से 18 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त करते हैं। उनकी फसल में हुई पैदावार बीजों के रुप में निकल जाती है। वो देश के हर राज्य में बीज पहुंचा रहे हैं। उनसे लगभग 30 हज़ार से 35 हज़ार किसान जुड़े हुए हैं। पैदावार का कुछ हिस्सा स्वयं सहायता समूह और कृषि केंद्र को भी देते हैं। लागत निकालकर उनको लगभग 50 फ़ीसदी तक का मुनाफ़ा हो जाता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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