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Brown Rice: कैसे सेहत का खज़ाना है भूरा चावल? क्यों भूरे चावल के उत्पादन पर दिया जा रहा है ज़ोर?

कोलेस्ट्रॉल से लेकर वज़न कम करने में है मददगार

भूरा चावल जिसे ब्राउन राइस भी कहा जाता है कि खेती भारत, थाइलैंड और बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों में की जाती है। पिछले कुछ सालों में सेहत के प्रति सचेत लोगों के बीच इसकी मांग बहुत बढ़ी है, क्योंकि इसे सफेद चावल की बजाय हेल्दी माना जाता है।

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भूरे चावल (Brown Rice): चावल तो आप सब खाते ही होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि चावल कितने तरह के होते हैं। आमतौर पर हमारे देश में तीन रंग के चावल उगाए जाते हैं, सफदे, काले और भूरे/लाल। भूरे चावल (Brown Rice) को ही ब्राउन राइस कहा जाता है, जिससे आजकल फिटनेस फ्रीक लोग खूब पसंद कर रहे हैं। डायटीशियन भी वज़न कम करने वाले लोगों को सफेद की बजाय भूरे चावल खाने की ही सलाह देते हैं।

ऐसा दावा किया जाता है कि ये चावल सफेद चावल की बजाय अधिक पौष्टिक होता है और कई बीमारियों से लड़ने में मददगारा है। हालांकि, आप भी अगर अपनी डायट में सफेद चावल की बजाय ब्राउन राइस को शामिल करना चाहते हैं, तो एक बार डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लें। ब्राउन राइस रिफाइंड नहीं होता। ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है। बस इसे धान से अलग करके इस्तेमाल किया जाता है।

इसे पकाने में भी थोड़ा ज़्यादा समय लगता है, इसलिए पकाने से पहले 15-20 मिनट पानी में भिगोकर रखना चाहिए। भूरे चावल (Brown Rice) की मांग दिनों दिन बढ़ रही है, ऐसे में इसकी खेती से किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

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Kisan of India Facebookभूरे चावल (Brown Rice) के फ़ायदे

दिल का रखें ख्याल- भूरा चावल दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जिससे ब्लॉकेज, हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। ये कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को भी मज़बूत बनाता है।

डायबिटीज़ के मरीजों के लिए फ़ायदेमंद- कुछ लोगों को चावल खाने की ऐसी लत होती है कि शुगर लेवल बढ़ जाने पर जब डॉक्टर चावल से परहेज़ करने की हिदायत देते हैं, तब भी वो नहीं मानते, क्योंकि बिना चावल के उनका पेट ही नहीं भरता। ऐसे लोगों के लिए ब्राउन राइस अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसके साथ ही इसमें एक ख़ास तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे में शुगर यानी शर्करा कम मात्रा में अवशोषित होती है।

वज़न कम करने में सहायक- जो लोग वज़न कम करना चाहते हैं, लेकिन साथ ही चावल भी खाना चाहते हैं, उनके लिए भी भूरा चावल अच्छा विकल्प है। क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसे खाने से ज़्यादा समय तक पेट भरा होने का एहसास होता है और आप बेकार की चीज़ें खाने से बच जाते हैं। इसमें मैगनीज़ भी भरपूर मात्रा में होता है।

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हड्डियों को मज़बूत बनाता है- ब्राउन राइस में मैग्नीशियम की भी भूरपूर मात्रा होती है जो हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही इसमें विटामिन डी और कैल्शियम भी होता है जिससे यह ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया के मरीज़ों के लिए फायदेमंद है।

तनाव कम करने में मददगार- ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं को इस दौरान तनाव की समस्या हो सकती है। ऐसे में ब्राउन राइस का सेवन उनके लिए फायदेमंद होता है। इस दौरान महिलाओं को होने वाली थकान, डिप्रेशन को कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी भूरा चावल लाभदायक होता है।

पाचन को दुरुस्त रखता है- इसमें अघुलनशील फाइबर होता है जो पाचन क्रिया को ठीक रखता है। यह कब्ज़ और बवासीर की समस्या से भी बचाता है। दरअसल, चावल की सतह पर चोकर की एक परत होती है जो पाचन में मदद करता है।

नींद की समस्या का समाधान- ब्राउन राइस में मेलाटोनिन नामक एक हार्मोन होता है जिसे नींद हार्मोन कहा जाता है। यह नींद के चक्र को नियमित करके अनिद्रा की समस्या को दूर करता है। तो जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है और नींद के लिए गोलियों पर निर्भर हैं उन्हें भूरे चावल का सेवन करना चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक- भूरे चावल में विटामिन, खनिज और एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, रोग प्रतिरोधक त्रमता को मज़बूत बनाने में मदद कर सकता। इससे कई तरह के संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

तो आप भी अपनी डायट में ब्राउन राइस को ज़रूर शामिल करिए, मगर उससे पहले किसी विशेषज्ञ से राय ज़रूर ले लें, क्योंकि डायट में बदलाव से पहले सलाह लेना आवश्यक है ताकि बाद में किसी तरह की दिक्कत न हो।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
 
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