Soil properties: अच्छी होगी मिट्टी की सेहत तो फसल उत्पादन बेहतर, कैसे पोषक तत्वों का खज़ाना बनती है मिट्टी?
किसानों के लिए ये समझना ख़ासा उपयोगी है कि खेती में कौन सा पोषक तत्व क्या प्रमुख भूमिका निभाता है?
प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है।
हरेक किसान भली-भाँति जानता है कि खेती-बाड़ी के लिए धूप, हवा, पानी और मिट्टी अनिवार्य है। इनसे ही पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। खेती की सारी प्रक्रिया इन्हीं पोषक तत्वों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करने से जुड़ी होती है। इसीलिए किसानों के लिए ये समझना ख़ासा उपयोगी है कि खेती में कौन सा पोषक तत्व क्या प्रमुख भूमिका निभाता है? प्रस्तुत लेख में किसान ऑफ़ इंडिया ने ऐसी ही रोचक और वैज्ञानिक जानकारियाँ संकलित की हैं ताकि इन्हें ध्यान में रखकर किसान भाई-बहन अपनी पैदावार और उसकी क्वालिटी को लेकर और सतर्क तथा सक्षम बन सकें।
धूप, हवा और पानी की महिमा
सूरज से मिलने वाले प्रकाश या धूप और इसमें मौजूद गर्मी के ज़रिये वनस्पतियों में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) या अपना भोजन ख़ुद तैयार करने की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। यदि किसी वजह से पौधों को सूर्य का प्रकाश नहीं मिल सके तो उन्हें कृत्रिम प्रकाश भी दिया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में पाया है कि लगातार प्रकाश मिलने से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी लगातार जारी रह सकती है और इससे वो कई गुना तेज़ी से विकास कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें – स्पीड ब्रीडिंग तकनीक (Speed Breeding Technique) : जानिए गेहूं, जौ और चना जैसी फसलों की साल में 6 बार पैदावार कैसे लें?
भोजन बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पौधों को कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) और नमी या पानी की भी ज़रूरत पड़ती है। हवा या वातावरण से पौधों को कार्बन डाइ ऑक्साइड बहुत आसानी से मिल जाता है। साँस लेने के लिए भी पौधे हवा से ही ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं। ऑक्सीजन की सूक्ष्म मात्रा की ज़रूरत पौधों के उन हिस्सों को भी पड़ती है जो मिट्टी में दबे होते हैं। खेत की जुताई के ज़रिये जब मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है तो उससे पौधों के मिट्टी के नीचे दबे हिस्सों को ऑक्सीजन पाने में आसानी होती है।
भुरपुरी मिट्टी में पौधों के लिए ज़्यादा नमी संचित करके रखने की क्षमता भी होती है। इसी क्षमता की बदौलत मिट्टी की ओर से लगातार पौधों को नमी या पानी की सप्लाई की जाती है। सूखे की दशा में पौधे जीवित रहने के लिए नमी की कुछ मात्रा को हवा से भी सोखने की कोशिश करते हैं लेकिन इससे उनकी पानी की ज़रूरत पूरी नहीं होती और इसकी भरपाई के लिए उन्हें मिट्टी में पायी जाने वाली नमी पर निर्भर रहना पड़ता है। इसीलिए मिट्टी के नमी-चक्र को बरकरार रखने के लिए बारिश या सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है।

मिट्टी है 16 पोषक तत्वों का ख़ज़ाना
प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है। इनके नाम हैं – कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), फ़ॉस्फोरस (P), पोटाश (K), कैल्शियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg), सल्फर (S), ज़िंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), बोरान (B), मैगनीज (Mn), मोलिबडनम (Mo) और क्लोरीन (Cl)।
शानदार खेतीहर मिट्टी में इन्हीं 16 पोषक तत्वों का एक सन्तुलित अनुपात मौजूद होता है। पौधों का सर्वांगीण विकास और वृद्धि इन्हीं 16 पोषक तत्वों पर निर्भर करती है। इनमें से किसी एक की भी कमी का पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों का ब्यौरा जानने के लिए ही मिट्टी की जाँच करवायी जाती है।

कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ऐसे आवश्यक पोषक तत्व हैं जो पौधों को मिट्टी के अलावा सीधे वायुमंडल से भी प्राप्त हो जाती है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता से ही उसकी उर्वरा शक्ति क़ायम रह सकती है, क्योंकि इन्हीं कार्बनिक पदार्थों से मिट्टी में उसे उपजाऊ बनाने वाले उन सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ती है जो अन्ततः फसल को पोषक तत्व मुहैया करवाते हैं। मिट्टी में कार्बन की भरपायी करने का काम फ़सल अवशेष और अनेक कार्बनिक पर्दाथों के अपचयन या विघटन से आसानी से हो जाता है। फिर भी यदि मिट्टी में कार्बन अंश बढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है तो किसान राख या बायोचार का इस्तेमाल करते हैं।
ये भी पढ़ें – जानिए, क्यों अनुपम है बायोचार (Biochar) यानी मिट्टी को उपजाऊ बनाने की घरेलू और वैज्ञानिक विधि?
मिट्टी के पोषक तत्वों की श्रेणियाँ
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बाद बाक़ी बचे मिट्टी के 13 पोषक तत्वों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है। इन्हें मुख्य, सहायक और सूक्ष्म पोषक तत्व कहा गया है।
1. प्राथमिक या मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटाश। पौधों को इनकी काफ़ी मात्रा में ज़रूरत रहती है इसीलिए ये प्रमुख पोषक तत्व कहलाते हैं। मिट्टी में इसे खाद और उर्वरक दोनों रूपों में उपलब्ध करवाया जाता है। खाद के रूप में मिट्टी में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा को बढ़ाने के लिए से कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट या सड़े गोबर की खाद को सन्तुलित और अनुशंसित मात्रा में देना बहुत ज़रूरी होता है। यदि इन प्रमुख पोषक तत्वों को मिट्टी में रासायनिक खाद की तरह यूरिया, DAP और म्यूरिट ऑफ़ पोटाश के रूप मिलाया जाता है तो मिट्टी में अम्लीयता बढ़ जाती है।
मिट्टी की अम्लीयता पर काबू पाने के लिए रासायनिक खादों के साथ जैविक खादों जैसे सड़ा गोबर, केंचुआ खाद, नीम, करंज और महुआ की खली भी डालना पड़ता है। नाइट्रोजन की भरपाई के लिए आमतौर पर किसान अपनी फ़सलों में यूरिया डालते हैं। लेकिन यूरिया से मिट्टी को सिर्फ़ नाइट्रोजन मिलता है, वो भी क़रीब 46 प्रतिशत। जबकि DAP यानी डाई अमोनियम फ़ॉस्फेट डालने से फ़ॉस्फोरस (46%) के अलावा नाइट्रोजन (18%) भी मिलता है। इसी तरह, म्यूरिट ऑफ़ पोटाश को डालने से मिट्टी को केवल पोटाश (60%) मिलता है।

2. सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे लोहा, ज़िंक, कॉपर, मैगनीज, बोरान, मोलिब्डेनम और क्लोरीन। इन सभी पोषक तत्वों की ज़रूरत भी हरेक पौधे के अपने समुचित विकास के लिए पड़ती है। हालाँकि, इनकी सूक्ष्म मात्रा का ही पौधे दोहन करते हैं इसीलिए ये सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। आमतौर पर सूक्ष्म पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मिट्टी में मौजूद रहती है, लेकिन कभी-कभार ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए ज़िंक सल्फेट और बोरान को बढ़ाने के लिए बोरेक्स डालना पड़ता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Poplar Tree Farming: पोपलर के पेड़ लगाकर पाएँ शानदार और अतिरिक्त आमदनीपोपलर, सीधा तथा तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। सर्दियों में इसकी पत्तियों के झड़ जाने से रबी की फ़सलों को मिलने वाली धूप की मात्रा में कोई ख़ास कमी नहीं होती। इसी तरह, पोपलर की छाया से ख़रीफ़ फ़सलों को भी कोई ख़ास नुकसान नहीं पहुँचता है।
- बेमौसम बारिश और बदलते मौसम से फसलों पर पड़ता असर, ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचने की खबरेंमध्य प्रदेश अपने समृद्ध कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में बार-बार होने वाली ओलावृष्टि से किसानों की फसलों पर असर पड़ा है।
- Onion Processing: प्याज़ की खेती के साथ ही इसकी प्रोसेसिंग से बढ़ेगी किसानों की आमदनीप्याज़ की खेती कर रहे किसानों को अक्सर फसल नुकसान से दो-चार होना पड़ता है। लगभग हर साल प्याज़ की फसल खराब होने पर बाज़ार में इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। इस समस्या से निपटने का एक तरीका है प्याज़ को हिडाइड्रेट करके स्टोर करना। जब फसल ज़्यादा हो तो प्याज़ की प्रोसेसिंग करके इसके टुकड़ों को डिहाइड्रेट कर लें या इसका पाउडर बनाकर रख लें।
- World Forest Day: विश्व वन दिवस पर जानिए कैसे वन संपदा से समृद्ध हो रहा है जीवनइस बार विश्व वन दिवस 2023 की थीम ‘वन और स्वास्थ्य’ (Forests and Health) रखी गई है। भारत में वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, कुल 80.9 मिलियन हेक्टेयर भूमि वन और वृक्षों से भरा है। ये देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 फीसदी है। साल 2019 से लेकर 2021 के बीच के 2 वर्षों में भारतीय वन क्षेत्र में 2261 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है।
- प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) तकनीक से महिला किसान सरोजा ने टमाटर की उन्नत किस्म उगाकर की अच्छी कमाई, जानिए कैसे?कर्नाटक की प्रगतिशील महिला किसान सरोजा ने KVK की मदद से कई सब्ज़ियों में प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक अपनाई और अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर सामने आई हैं। जानिए कैसे हुआ उन्हें मुनाफ़ा?
- Ornamental Fish Farming: सजावटी मछली पालन का वैज्ञानिक तरीका अपनाया, इस युवक की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ामछली पालन के मामले में भारत, चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता ह। ऐसे में किसान यदि वैज्ञानिक तरीके से सजावटी मछलियों को पालें तो अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, क्योंकि सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
- Barley Farming: अनाज, चारा और बढ़िया कमाई एक साथ पाने के लिए करें जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेतीजौ की ज़्यादा पैदावार लेने के लिए जौ की नयी और उन्नत किस्में अपनायी जाएँ। इसका चयन क्षेत्रीय उपयोग और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर करना चाहिए। नयी किस्मों, उत्पादन तकनीकों में विकास और गुणवत्ता में सुधार की वजह से जौ की पैदावार में ख़ासा सुधार हुआ है। इसीलिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेती के लिए क्या करें, कब करें, कैसे करें, क्यों करें और क्या नहीं करें?
- Soil properties: अच्छी होगी मिट्टी की सेहत तो फसल उत्पादन बेहतर, कैसे पोषक तत्वों का खज़ाना बनती है मिट्टी?प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है।
- Bio-pesticides: खेती को बर्बादी से बचाना है तो जैविक कीटनाशकों का कोई विकल्प नहींजैविक कीटनाशकों में ‘एक साधे सब सधे’ वाली ख़ूबियाँ होती हैं। इसका मनुष्य, मिट्टी, पैदावार और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और फ़सल के दुश्मन कीटों तथा बीमारियों से भी क़ारगर रोकथाम हो जाती है। इसीलिए, जब भी कीटनाशकों की ज़रूरत हो तो सबसे पहले जैविक कीटनाशकों को ही इस्तेमाल करना चाहिए।
- Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक उपज से कैसे होती है ‘जैविक खेती’ जैसी कमाई?बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री तेज़ी बढ़ रही है। अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।
- बकरी पालन में कैसे करें उन्नत नस्ल का चुनाव? जानिए Goat Farming व्यवसाय से जुड़ी अहम बातेंबकरी पालन किसानों की अतिरक्त आमदनी का बेहतरीन ज़रिया है। इसके दूध और मांस को बेचकर किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, बशर्ते उन्हें इसकी नस्ल की सही जानकारी हो।
- कृषि व्यवसाय (Agri Business) में इन बातों का ध्यान रखकर तेलंगाना की महिला किसान लक्ष्मी ने पाई सफलतालक्ष्मी ने कृषि व्यवसाय के ज़रिए अपने परिवार को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया और अब दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। खेती के कौन से तरीकों को उन्होंने अपनाया है, जानिए इस लेख में।
- जंगली गेंदे की खेती है बेजोड़, प्रति हेक्टेयर 35 हज़ार लागत और 75 हज़ार रुपये मुनाफ़ादक्षिण अफ्रीका के बाद भारत, जंगली गेंदे के तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में फ़िलहाल, जंगली गेंदे के तेल का कुल सालाना उत्पादन क़रीब 5 टन है। बीते दशकों में उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के तराई के इलाकों में जंगली गेंदे की व्यावसायिक खेती की लोकप्रियता बढ़ी है।
- वैज्ञानिक तरीके से करें बकरी पालन तो लागत से 3 से 4 गुना होगी कमाई, इन बातों का रखें ध्यानवैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करके पशुपालक किसान अपनी कमाई को दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बकरी की उन्नत नस्ल का चयन करना, उन्हें सही समय पर गर्भित कराना और स्टॉल फीडिंग विधि को अपनाकर चारे-पानी का इन्तज़ाम करना बेहद फ़ायदेमन्द साबित होता है।
- बैकयार्ड मुर्गी पालन (Poultry Farming): कभी खेतिहर मज़दूरी किया करती थी पुष्पा, मुर्गी की ये उन्नत नस्ल बनी कमाई का ज़रियाबैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए सही नस्ल की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। क्या वो मुर्गी उस क्षेत्र के हिसाब से ठीक है या नहीं, इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जानिए कैसे तेलंगाना की रहने वाली पुष्पा ने मुर्गी की उन्नत नस्ल से अपने आप को आत्मनिर्भर बनाया।
- Climate change: जलवायु परिवर्तन क्यों है खेती की सबसे विकट समस्या और क्या है इससे उबरने के उपाय?जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से जैविक और अजैविक तत्वों के बीच प्राकृतिक आदान-प्रदान से जुड़ा ‘इकोलॉजिकल सिस्टम’ भी प्रभावित हुआ है। इससे मिट्टी के उपजाऊपन में ख़ासी कमी आयी है। सिंचाई की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। इसीलिए किसानों को जल्दी से जल्दी पर्यावरण अनुकूल खेती को अपनाना चाहिए।
- Lemongrass Farming: लेमनग्रास की खेती से इन ग्रामीण महिलाओं की आमदनी में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा, एक बार लगाएं और 5 साल तक आरामलेमनग्रास भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय न हो, मगर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने का यह अच्छा ज़रिया है। लेमनग्रास की खेती बंजर भूमि में भी आसानी से की जा सकती है।
- बकरी के साथ मुर्गी पालन करने से किसान राजेश कुमार की आमदनी तीन गुना बढ़ी, जानिए क्या है इसके फ़ायदेएकीकृत पोल्ट्री और बकरी पालन से सीमित संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। बकरी के साथ मुर्गी पालन करने के कई फ़ायदे हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के रहने वाले राजेश कुमार इस एकीकृत प्रणाली का लाभ उठा रहे हैं।
- जैविक खेती के साथ ही वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost) बन रहा है महिलाओं की अतिरिक्त कमाई का जरियाऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स की मांग बढ़ने के साथ ही इसके लिए ज़रूरी वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost) की मांग भी बढ़ गई है। महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups) के साथ ATMA ग्रुप पंचकव्य, अमृता करैसल और पांच पत्ती के अर्क के उत्पादन में भी महिलाओं की ज़्यादा भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है।
- वाराणसी के मशरूम उत्पादक महिला समूह को FPO आधारित एक्सटेंशन डिलीवरी मॉडल से मिली सफलताकिसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले फसल के उत्पादन से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण काम है अपनी फसल की उचित कीमत पाना। इसकी वजह होते हैं बिचौलिए, जो किसानों के मुनाफ़े में हिस्सेदार बन जाते हैं। ऐसे में FPO आधारित एक्सटेंशन डिलीवरी मॉडल किसानों के लिए फायदेमंद है।