Moong Cultivation: गर्मियों में मूंग की खेती करना क्यों है फ़ायदेमंद? जानिए मूंग की उन्नत किस्मों के बारे में

गर्मियों के मौसम में जब धान, गेहूं, ज्वार जैसी फसलों की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, तो ऐसे में मूंग की खेती करना किसानों के लिए फ़ायदेमंद माना जाता है।

Moong ki Kheti - मूंग की खेती

मूंग की खेती – Moong Cultivation: मूंग भारत की प्रमुख दलहनी फसल है। ये प्रोटीन से भरपूर होती है और दाल के साथ ही इसका इस्तेमाल सब्ज़ी, पापड़, नमकीन, मिठाई जैसे कई उत्पाद बनाने में भी किया जाता है। मूंग की दाल को बहुत पौष्टिक माना जाता है, क्योंकि ये जल्दी पच जाती है। यही वजह है कि पेट संबंधी बीमारी होने पर डॉक्टर भी मूंग की दाल खाने की सलाह देते हैं। मूंग की खेती वैसे तो तीनों मौसम में की जाती है, लेकिन गर्मियों में मूंग की खेती करना ज़्यादा फ़ायदेमंद है, क्योंकि इस समय फसल में रोग लगने की आशंका कम रहती हैं। गर्मी के मौसम में मूंग की खेती से खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है जिससे दूसरी फसलों का उत्पादन भी अच्छा होता है।

मूंग की खेती में मिट्टी और जलवायु

मूंग की खेती के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है। वैसे तो मूंग की खेती सभी तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है, लेकिन मध्यम दोमट या रेतिली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। उचित जल निकासी की व्यवस्था होना भी ज़रूरी है और मिट्टी का पीएच मान 7-8 होना चाहिए।

Moong Cultivation - मूंग की खेती
तस्वीर साभार: commodafrica

कब करें बुवाई?

मार्च से लेकर अप्रैल के पहले या दूसरे हफ़्ते तक मूंग की बुवाई कर देनी चाहिए। देर से बुवाई करने का उत्पादन पर असर पड़ता है। बुवाई से पहले मूंग को पानी में भिगो दें। इससे खराब और हल्के बीज ऊपर आ जाएंगे और अच्छे बीज नीचे रहेंगे। अच्छी फसल के लिए उन्हीं बीजों की बुवाई करें। भिगोने के बाद बीज को सुखा लें और इसे थाइरम से उपाचरित करें। एक किलो बीज के लिए 4 ग्राम थाइरम की ज़रूरत पड़ती है। अच्छी फसल के लिए उर्वरक भी ज़रूरी है। बुवाई के समय 1 एकड़ में 6 से 8 किलो नाइट्रोजन और 16 किलो फास्फोरस डालें। 13 से 17 किलो यूरिया और 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट बुवाई के समय डालें।

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गर्मियों में मूंग की खेती के  फ़ायदे

  • गर्मी के मौसम में मूंग की फसल में खरपतवारों का प्रकोप कम होता है।
  • नमी कम होने से बीमारियों व कीड़ों का असर भी कम होता है।
  • फसल जल्दी तैयार हो जाती है जिससे बारिश से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
  • धान, गेहूं के अलावा तुरई, आलू, सरसों, मटर, गन्ना आदि की कटाई के बाद मार्च महीने में खेत खाली हो जाता है, ऐसे में मूंग की खेती से प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग होता है।
Moong Cultivation - मूंग की खेती (Picture: Gardeningtips)
Moong Cultivation – मूंग की खेती (Picture: Gardeningtips)

गर्मियों के मौसम में मूंग की इन किस्मों की करें बुवाई

पूसा वैसाखी- लंबी फलियों वाली ये किस्म 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 8-10 क्विंटल उपज देती है।

मोहिनी- ये किस्म 70-75 दिन में तैयार हो जाती है और इससे प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल उपज प्राप्त होती है।

पंत मूंग 1- 65-75 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म की उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल है।

एमएल 1- छोटे हरे रंग की बीज वाली ये मूंग 90 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 8-12 क्विंटल उपज देती है।

वर्षा- ये किस्म 60 दिनों में तैयार हो जाती है और उपज क्षमता 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

सुनैना- ये किस्म भी सिर्फ़ 60 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी उपज क्षमता 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। गर्मियों के मौसम के लिए ये किस्म उपयुक्त है।

जवाहर 45- इसे हाइब्रिड 45 भी कहा जाता है। ये किस्म 75-85 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 10-13 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल

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