धान की खेती में एरोबिक विधि का इस्तेमाल, कर्नाटक के महेश ने पानी की खपत को किया कम और बढ़ाया उत्पादन

कर्नाटक के तुमकुर ज़िले के किसान महेश एम.एन. एरोबिक विधि से धान की खेती कर रहे हैं और उन्हें उपज भी अच्छी प्राप्त हो रही है।एरोबिक विधि के क्या फ़ायदे है, जानिए इस लेख में।

धान की खेती एरोबिक विधि Aerobic Paddy cultivation

धान भारत की प्रमुख खरीफ फसल है और पश्चिम बंगाल से लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों में चावल की खपत भी बहुत अधिक है। धान एक ऐसी फसल जिसे उगाने में बहुत अधिक पानी की ज़रूरत होती है, लेकिन जिस तरह से दिनों-दिन पानी की कमी होती जा रही है, ऐसे में धान उगाने की पारंपरिक विधि का विकल्प तलाशना ज़रूरी है। यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं और इसी का नतीजा है कि पिछले काफ़ी समय से एरोबिक विधि से धान की खेती की जा रही है। इसमें पानी की बर्बादी को रोकने के साथ ही खेती की लागत भी कम होती है। कर्नाटक के तुमकुर ज़िले के किसान महेश एम.एन. भी इसी विधि से धान की खेती कर रहे हैं और उन्हें उपज भी अच्छी प्राप्त हो रही है।

क्या है एरोबिक विधि?

धान की खेती में आमतौर पर खेतों में पानी भरकर पौधों को रोपाई की जाती है, लेकिन एरोबिक विधि में न तो खेत में पानी भरना पड़ता है और न ही रोपाई करनी पड़ती है। इस विधि से बुवाई में बीज को एक सीध में बोया जाता है। साथ ही इस विधि से बुवाई करने में खेत भी तैयार नहीं करना पड़ता और पलेवा भी नहीं करना होता है। पारंपरिक विधि के मुकाबले इसमें 40-50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।

धान की खेती एरोबिक विधि Aerobic Paddy cultivation
तस्वीर साभार: kvktumakuru2

एरोबिक विधि के फ़ायदे

-पर्यावरण के लिए यह विधि उपयुक्त है।

-इससे खेती की लागत कम आती है।

-बीज की बुवाई एक सीध में की जाती है।

-इस तरीके से खेती करने से मिट्टी की सेहत में सुधार होता है।

इलाकों में पानी की समस्या है वहां के लिए यह विधि उपयुक्त है।

 

 पानी की कमी का समाधान

महेश एम. एन. कर्नाटक के तुमकुर ज़िले के डी.नागेनहल्ली गांव के रहने वाले किसान हैं। वह एरोबिक पद्धति से धान की खेती कर रहे हैं। दरअसल, कर्नाटक में 55-60 प्रतिशत धान की खेती पडल्ड पद्धति से की जाती है और बाकी वर्षा आधारित है। मगर कुछ इलाकों में पानी की समस्या है, जिससे किसानों को धान की खेती में समस्या आती है। महेश का गांव भी उन्हीं इलाकों में से एक है। इसलिए उनके गांव का चुनाव KVK के TDC-NICRA प्रोजेक्ट के तहत एरोबिक पद्धित से धान की खेती के लिए किया गया और गांव में एरोबिक पद्धति का प्रदर्शन किया गया। महेश के 0.5 हेक्टेयर खेत में ही इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया।

धान की खेती एरोबिक विधि Aerobic Paddy cultivation
तस्वीर साभार: kvktumakuru2 & iirr

50 प्रतिशत पानी की बचत

इस विधि से महेश ने धान की MAS 26 की बुवाई की, जिसमें सूखा सहने की क्षमता है। एरोबिक विधि अपनाने के कारण धान की सीधी बुवाई की गई और पडलिंग की ज़रूरत नहीं पड़ी। यह किस्म रोग प्रतिरोधी है। जहाँ पहले स्थानीय किस्म से प्रति हेक्टेयर 29.8 धान का उत्पादन होता था। एरोबिक विधि से धान की किस्म MAS 26 का प्रति एकड़ 37.5 क्विंटल उत्पादन हुआ। 50 फ़ीसदी तक पानी की बचत के साथ-साथ 80 फ़ीसदी तक बीजों की बचत भी होती है। 

उत्पादन भी ज़्यादा 

स्थानीय किस्म के मुकाबले धान की MAS 26 किस्म से प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक प्राप्त हुई। MAS 26 की उपज में 12.4% वृद्धि हुई। इससे महेश को  3,600 रुपए की अतिरिक्त आमदनी हुई।

ये भी पढ़ें- Basmati Rice: बासमती धान की खेती के लिए कैसे तैयार करें उन्नत नर्सरी? डॉ. रितेश शर्मा से जानिए उन्नत तकनीकों के बारे में

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top