श्री विधि तकनीक से साहिबगंज में धानखेती को मिला नया आयाम, किसानों की आमदनी में हो रही बढ़ोतरी

साहिबगंज के किसान श्री विधि तकनीक से धानखेती कर रहे हैं। इस विधि से कम लागत, अधिक उत्पादन और गुणवत्तापूर्ण फ़सल मिल रही है।

श्री विधि तकनीक System of Rice Intensification

भारत में चावल सबसे अधिक खपत वाला खाद्यान्न है और इसकी खेती के लिए किसान लगातार नई-नई तकनीकों को अपना रहे हैं। पारंपरिक तरीकों से जहां लागत अधिक और पैदावार सीमित रहती है, वहीं आधुनिक वैज्ञानिक उपाय किसानों को कम मेहनत और लागत में बेहतर परिणाम दे रहे हैं। इन्हीं में से एक है श्री विधि तकनीक, जिसने धानखेती की दिशा और दशा दोनों बदल दी है।

क्या है श्री विधि तकनीक?

श्री विधि तकनीक का पूरा नाम सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (System of Rice Intensification) है। इसे मेडागास्कर विधि भी कहा जाता है क्योंकि इसकी शुरुआत वहीं हुई थी। इस तकनीक की खासियत यह है कि इसमें कम बीज और कम लागत से अधिक उत्पादन मिलता है। सामान्यत: प्रति हेक्टेयर धान की खेती में भारी मात्रा में बीज लगता है, लेकिन श्री विधि तकनीक से मात्र 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर ही पर्याप्त होता है। इतना ही नहीं, इस तकनीक से कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप भी कम रहता है, जिससे दवाओं और निराई-गुड़ाई पर होने वाला खर्च घट जाता है।

झारखंड के साहिबगंज ज़िले साहिबगंज के किसानों का अनुभव

झारखंड के साहिबगंज ज़िले में किसानों ने श्री विधि तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाना शुरू कर दिया है। राजमहल प्रखंड के कार्तिक डांगा गांव समेत आसपास के दर्जनों गांवों में किसान इस तकनीक से धान की खेती कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस विधि से न केवल पैदावार बढ़ी है बल्कि फ़सल की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हुई है।

एग्री क्लीनिक के को-ऑर्डिनेटर निकेश कुमार सिंह के अनुसार, किसानों को सबसे पहले श्री विधि तकनीक की ट्रेनिंग दी गई। उसके बाद खेती की शुरुआत के दौरान उन्हें लगातार मार्गदर्शन और आवश्यक जानकारियां दी गईं। परिणामस्वरूप, आज किसान कम लागत में ज़्यादा उपज लेकर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।

कृषि विभाग का सहयोग

साहिबगंज के जिला कृषि पदाधिकारी प्रमोद इक्का ने बताया कि कृषि विभाग किसानों को श्री विधि तकनीक अपनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। इस बार किसानों ने धान की उन्नत क़िस्म एमटीयू 7029 (Paddy MTU-7029) की खेती इसी तकनीक से की है। इस क़िस्म को श्री विधि से लगाने पर उत्पादन की संभावना और बढ़ जाती है। प्रमोद इक्का ने बताया कि इस तकनीक से फ़सल की गुणवत्ता बेहतर होने के कारण बाज़ार में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है।

श्री विधि तकनीक से साहिबगंज में धानखेती को मिला नया आयाम, किसानों की आमदनी में हो रही बढ़ोतरी

फ़सल की गुणवत्ता और बाज़ार मूल्य

धान की खेती में सबसे बड़ी चुनौती रहती है फ़सल की क्वालिटी और उसकी सही कीमत। लेकिन श्री विधि तकनीक से उगाई गई फ़सल की क्वालिटी में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। साहिबगंज ज़िले के किसानों ने बताया कि उन्हें बाज़ार में अब अपनी उपज के बेहतर दाम मिल रहे हैं। चावल की लगातार बनी रहने वाली मांग के कारण यह तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

लागत कम, मुनाफ़ा ज़्यादा

पारंपरिक खेती की तुलना में श्री विधि तकनीक से धान की खेती करने पर किसानों को दवाइयों, बीज और श्रम पर कम खर्च करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर, पैदावार अधिक होती है। इस प्रकार यह तकनीक किसानों को लागत कम और मुनाफ़ा ज़्यादा देने वाली साबित हो रही है। यही कारण है कि साहिबगंज ही नहीं बल्कि झारखंड के अन्य जिलों में भी किसान इस विधि को तेजी से अपना रहे हैं।

राज्य में कृषि विकास की नई उम्मीद

झारखंड जैसे राज्यों में जहां खेती अब भी बड़ी चुनौती मानी जाती है, वहां श्री विधि तकनीक ने कृषि विकास की नई उम्मीद जगाई है। किसान अब तकनीक और मेहनत के मेल से न केवल अपनी उपज बढ़ा रहे हैं बल्कि अपनी आमदनी भी दोगुनी करने में सफल हो रहे हैं। यह तकनीक साबित कर रही है कि सही मार्गदर्शन और वैज्ञानिक पद्धतियों से खेती न केवल आत्मनिर्भर बना सकती है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दे सकती है।

निष्कर्ष

श्री विधि तकनीक धानखेती के क्षेत्र में किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है। साहिबगंज के किसान इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जिन्होंने इस विधि से न केवल उत्पादन बढ़ाया है बल्कि अपनी आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। कम लागत, अधिक मुनाफ़ा और गुणवत्तापूर्ण फ़सल – यही इस तकनीक की असली पहचान है। आने वाले समय में यह तकनीक पूरे राज्य ही नहीं बल्कि देश के किसानों के लिए कृषि विकास का मज़बूत आधार बन सकती है।

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