सिर्फ खेती से किसानों को अच्छा मुनाफ़ा नहीं मिलता है, इसलिए वह दूसरे विकल्पों की तलाश करते हैं और पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन आदि करते हैं। कुछ किसान मछली पालन भी करते हैं। मध्यप्रदेश के सीहोर ज़िले के कुलास खुर्द गांव के मछली पालक रामचंद्र ने भी खेती से अच्छा रिटर्न न मिलने के कारण मछली पालन का काम शुरू किया। आज वह अपने इस काम से खुश हैं। मछली पालन का व्यवसाय (Fish Farming Business) शुरू करने वाले किसानों को किस तरह से इसकी शुरुआत करनी चाहिए, यह जानने के लिए किसान ऑफ़ इंडिया की टीम पहुंची रामचंद्र के तालाब पर। हमारे संवाददाता पंकज शुक्ला ने उनसे विस्तार से बातचीत की। बातचीत के दौरान रामचंद्र ने किसानों को मछली पालन से जुड़ीं बहुत सी ज़रूरी बातें बताईं।
प्रशिक्षण लेकर शुरू करें काम
रामचंद्र ने 2018 में प्रशिक्षण लेने के बाद पिछले साल ही मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया है। रामचंद्र कहते हैं कि कई साल खेती करने के बाद भी अच्छा मुनाफ़ा नहीं मिला, इसलिए मछली पालन उन्हें अच्छा विकल्प लगा। उनका मानना है कि बागवानी और पशुपालन की तुलना में मछली पालन में कम लागत में अच्छा रिटर्न मिलता है। उनकी योजना आगे बागवानी, मुर्गीपालन और मधुमक्खी पालन की भी है। वह कहते हैं कि पूरी जानकारी इकट्ठा करने के बाद काम शुरू करने पर फ़ायदा ज़रूर होता है।

तालाब के चारों ओर अरहर की खेती
रामचंद्र ने तालाब के चारों ओर मेड़ों पर अरहर की खेती की है, जिससे मिट्टी बंधी रहे। वह बताते हैं कि तालाब के चारों ओर मेड़ों पर फूल या अन्य चीज़ों की खेती करने से बारिश के मौसम में मिट्टी का रिसाव नहीं होता है और आपको दोहरा फ़ायदा भी होता है। एक एकड़ में अरहर की खेती से उन्हें करीब 8 क्विंटल अरहर प्राप्त होती है। वह बताते हैं कि आप मेड़ों पर गुलाब या गेंदे के फूल की भी खेती कर सकते हैं।

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मछली की लागत
रामचंद्र ने अपने तालाब में मछलियों की तीन किस्मों के बीज डाले हैं। कॉमन कार्प के 15 हज़ार, रोहू के 10 हज़ार और कतला के 20 हज़ार बीज यानी ज़ीरे के साइज़ की मछली डाली है। वो बताते हैं कि ज़ीरा साइज़ की मछली की कीमत 20 पैसे से 1 रुपए प्रति मछली होती है, जबकि फिंगर साइज़ की मछली 2.5 रुपए से 5 रुपए तक मिलती, यानी ज़ीरा साइज़ मछली लेने पर लागत कम आती है। लेकिन, इन्हें तैयार होने में वक़्त लगता है। रोहू के 10 हज़ार बीज के लिए उन्होंने 2500 रुपये खर्च किए। वह कहते हैं कि ज़ीरा साइज़ की मछली को तैयार होने में 15 से 18 महीने का वक़्त लगता है। जहां तक कीमत का सवाल है, तो यदि सीधे तालाब से भी बिक्री की जाए तो रोहू मछली 100 से 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा सकती है। यदि कोई किसान जल्दी तैयार होने वाली मछली पालना चाहता है, तो वह सबसे जल्दी तैयार होने वाली पंगेसियस मछली पाल सकता है।
मछलियों को क्या खिलाएं?
सरसों खली, मूंगफली, तिल की खली, चावल उबालकर, मक्के के दाने उबालकर मछलियों को दे सकते हैं। वह बताते हैं कि लागत कम करने के लिए किसान जो भी अनाज उगाते हैं उसे बारीक करके मछलियों को खिला सकते हैं। रामचंद्र तालाब में खनिज मिश्रण, खनिज लवण और महीने में एक बार हल्दी भी डालते हैं, क्योंकि यह एंटीसेप्टिक होती है, जिससे मछलियों को किसी तरह की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, तालाब में 8-10 किलो नमक डालते हैं और वेस्ट डी कंपोज़र का भी इस्तेमाल करते हैं। पानी का पीएच बैलेंस (pH Balance) बनाए रखने के लिए वह वैज्ञानिकों की सलाह पर चूना और फिटकरी का इस्तेमाल भी करते हैं।
क्या तालाब का पानी बदलने की ज़रूरत है?
यदि पानी की उपलब्धता है तो पानी बदलना फ़ायदेमंद होता है। यह पानी खेतों में डालने पर यूरिया की बचत होती है क्योंकि इसमें अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है जो फसलों के लिए फ़ायदेमंद है। मछलियों की बीट की वजह से पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ता है।
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कितना होगा मुनाफ़ा?
रामचंद्र बताते हैं कि 18 महीनों में उन्हें करीब 2 लाख की लागत आएगी और 18 महीने बाद 8 से 9 लाख रुपये की मछली बिकने की उम्मीद है यानी उन्हें करीब 6 लाख रुपये का मुनाफ़ा होगा। साथ ही वह बताते हैं कि मछली पालन में आपको ज़्यादा समय देने की भी ज़रूरत नहीं होती है। बस दाना डालने के लिए आधे घंटे का समय काफ़ी है।
तो आप भी यदि अपनी कमाई बढ़ाना चाहते हैं तो पूरी जानकारी जुटाकर खेती के साथ ही मछली पालन कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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