MPWPCL Poultry Farming Model: जानिए मुर्गीपालन से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ाने में मध्य प्रदेश की एक कंपनी ने कैसे की मदद

मुर्गीपालन का व्यवसाय छोटे स्तर पर करके भी मुनाफा कमाया जा सकता है

MPWPCL (निर्माता कंपनी) ने स्मॉलहोल्डर पोल्ट्री मॉडल को अपनाया जो एक अभिनव मॉडल है। यह मॉडल मुर्गीपालन कर रही महिलाओं को कौशल, बुनियादी सुविधाएं, इनपुट और मार्केटिंग का अश्वासन देता है।

अगर आप मुर्गीपालन से कमाई करना चाहते हैं, तो घर के पीछे की छोटी सी जगह से भी यह व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। मुर्गी के अंडे के साथ ही इसके मांस की भी काफी मांग रहती है। ऐसे में यह व्यवसाय मुनाफा देने वाला है। अच्छी बात यह है कि छोटे स्तर पर भी इसे शुरू करके आप अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में एक कंपनी है जो गरीब और मुर्गीपालने करने वाली महिला किसानों की सहायता कर रहा है।

आदिवासी महिला पोल्ट्री उत्पादकों की मदद

मध्य प्रदेश वुमन पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (Madhya Pradesh Woman Poultry Producer Company Private Limited) को निर्माता कंपनी के रूप में 2006 में ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ के तहत शामिल किया गया था। इसके तहत 14 उत्पादक संस्था काम कर रही हैं जिनकी कंपनी में हिस्सेदारी है। इस कंपनी में गरीब आदिवासी परिवार की 8121 महिला पोल्ट्री उत्पादकों को सदस्य बनाया गया है। जिन्हें उत्पादक संस्था इनपुट आपूर्ति, उत्पादन सहायता के साथ-साथ ब्रायलर पोल्ट्री की मार्केटिंग जैसी सेवाएं देती हैं जिससे महिला पोल्ट्री उत्पादकों को अपने व्यवसाय में मदद मिलती है।

स्मॉलहोल्डर पोल्ट्री मॉडल

MPWPCL (निर्माता कंपनी) ने स्मॉलहोल्डर पोल्ट्री मॉडल को अपनाया जो एक अभिनव मॉडल है। यह मॉडल महिलाओं को कौशल, बुनियादी सुविधाएं, इनपुट और मार्केटिंग का अश्वासन देता है। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है, जिससे मुर्गी उत्पादक और गैर उत्पादक बड़े पोल्ट्री किसानों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और बाज़ार में अपनी जगह बना सकते हैं। यह किसानों को सभी ज़रूरी सेवाएं देता हैं जिसमें शामिल है उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट और बाज़ार, ऑन फार्म प्रोडक्शन सहयोग, कार्यशील पूंजी को व्यवस्थित करना, पक्षियों की मार्केटिंग और इनपुट व आउटपुट कीमतों के बदलाव के जोखिम को कम करना।

मध्य प्रदेश वुमन पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी ने जानिए मुर्गीपालन कर रही महिलाओं की आय बढ़ाने में कैसे की मदद
तस्वीर साभार: MPWPCL

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MPWPCL की शुरुआत कैसे हुई?

केसला पोल्ट्री सोसाइटी मॉडल को दोहराने और ग्रामीण क्षेत्रों में ज़रूरी और स्थायी आर्थिक हस्तक्षेप करने के लिए एक पहल के रूप में MPWPCL की शुरुआत हुई जिसने स्मॉलहोल्डर पोल्ट्री मॉडल को अपनाया। जिंदा मुर्गियों के लिए MPWPCL का अपना विशेष मार्केटिंग नेटवर्क है और “सुखतावा चिकन” के ब्रैन्ड नेम के साथ अपनी रिटेल चेन भी बनाई है।

उपलब्धियां

  • आज MPWPCL मध्य भारत का सबसे ज़्यादा लोगों का समूह बन गया है जिसका बिक्री टर्नओवर 2018-19 में 69 करोड़ रुपए था और जिसने 8100 परिवारों की मदद की।
  • यह भारत की पहली बाज़ार नेतृत्व वाली कंपनी बन गई हैं जिसने ग्रामीण भारत की गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली अनुसूचित जाती और जनजाति की महिला पोल्ट्रो उत्पादकों को एक साथ लाया।
  • MPWPCL मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा चिकन प्रोडक्शन हाउस है। जहां हर महीने लगभग 1.5 मिलियन पक्षियों का प्रतिस्थापन किया जाता है और सालाना करीब 10 मिलियन से अधिक अंडे का उत्पादन होता है।
  • साल 2018-19 के दौरान, कंपनी का बिक्री टर्नओवर 11,860 लाख रुपए था और 1019 लाख रुपए का मुनाफ़ा हुआ।
  • MPWPCL ने व्यवसायिक लेयर फार्मिंग को बढ़ावा दिया है जो स्मॉल होल्डर ब्रॉयलर फार्मिंग मॉडल जैसा ही है।
  • इसे 2018 में बेस्ट फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन का अवॉर्ड मिल चुका है।

गरीब महिला पोल्ट्री उत्पादकों को आगे बढ़ने और बाज़ार में बड़े कारोबारियों के सामने खड़े रहने का मौका मिला, इससे परिवार के जीवनस्तर और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।

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