तलाई बनाकर करें साल में 5 से 6 टन मछली उत्पादन, जानें तरीका

देश के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती और सहायता प्रदान करने के लिए इन दिनों केंद्र सरकार के द्वारा मछली पालन पर काफी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को 'फार्म पॉन्ड' यानी खेतों में तलाई बनाकर मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

मछली पालन Farm Pond

देश के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती और सहायता प्रदान करने के लिए इन दिनों केंद्र सरकार के द्वारा मछली पालन पर काफी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को ‘फार्म पॉन्ड’ यानी खेतों में तलाई बनाकर मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

आज हम आपको बताएंगे कि मीठे पानी में मछली पालन कैसे किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से।

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मछली पालन करने के लिए बनाना होगा तलाई (Farm Pond)

  • सबसे पहले खेत के एक हिस्से में बारिश होने से पहले वर्गाकार या आयताकार आकृति की तलाई या एक छोटा तालाब बनाना पड़ेगा।
  • तलाई बनाते वक्त इस बात का मुख्य रुप से ध्यान दें कि वह खेत के ऊंचे वाले हिस्से में हो ताकि खेत के दूसरे हिस्से में सिंचाई करते वक्त परेशानी ना हो।
  • चिकनी मिट्टी के खेत में तलाई बनाने ज्यादा लाभकारी होता है क्योंकि रेतीली मिट्टी में पानी सूखने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

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तलाई बनाने के फायदे

  • खेत के पास तलाई बनाने के कई सारे फायदे होते हैं।
  • किसान रवि फसलों की खेती में पानी का उपयोग सिंचाई के रूप में कर सकते हैं।
  • विभिन्न तरह की सब्जियां रोपकर आय में भी बढ़ोतरी की जा सकती है।
  • बता दें कि फार्म पॉन्ड में एक साल में दो बार मछली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • एक साल में करीब 5 से 6 टन तक प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन हो सकता है।

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तलाई में मछली पालन कैसे करें

  • तलाई में मछली पालन करने के लिए कुछ विशेष चीजों पर ध्यान रखना पड़ता है।
  • तलाई में भी बड़े तालाबों के ही जैसे मछली पालन की जाती है।
  • कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखें जैसे तलाई की गहराई 2 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  • तलाई की गहराई ज्यादा होने पर मछलियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • तलाई का आकार आयातकार या वर्गाकार होना चाहिए।
  • मछली पालन करने से पहले तलाई के जल और मिट्टी का परीक्षण पूर्ण रूप से करा लेना चाहिए।
  • तालाब में ऑक्सीजन के उपयुक्त प्रबंध होने चाहिए।
  • मछलियों के ज्यादा उत्पादन के लिए उन्हें साल में दो से 3% तक प्रोटीन युक्त आहार देना चाहिए
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