Sheep Farming: भेड़ पालन में कई तरीकों से कमा सकते हैं मुनाफ़ा, बस इन बातों का ज़रूर रखें ध्यान
कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है भेड़ का दूध
भेड़ पालन में कम मेहनत और कम खर्च, इसलिए बिज़नेस करेंगे तो मिल सकता है अच्छा मुनाफ़ा। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छोटे किसानों के लिए भेड़-बकरियां और मुर्गीपालन, रोज़ी-रोटी का साधन और गरीबी से निपटने का मुख्य आधार है।
भेड़ पालन (Sheep Farming) | हमारे देश में लाखों परिवारों की आजीविका पशुपालन पर निर्भर है। विश्व में भारत भैंस की आबादी में पहले स्थान, बकरियों की संख्या में दूसरे, भेड़ों की संख्या में तीसरे और मुर्गियों की संख्या में पांचवें स्थान पर है। भारत में लगभग 10.53 करोड़ भैंसें, 14.55 करोड़ बकरियां, 7.61 करोड़ भेड़ों और 68.88 करोड़ मुर्गियों का पालन किया जा रहा है। ऐसे में सीमित जगह में कम लागत के साथ ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने में छोटे पशुओं की अहम भूमिका है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छोटे किसानों के लिए भेड़-बकरियां और मुर्गीपालन, रोज़ी-रोटी का साधन और गरीबी से निपटने का मुख्य आधार है।
भेड़ पालन से कई उत्पादों का व्यापार
भेड़ पालन में मेहनत कम लगती है और खर्च भी कम होता है। भेड़ से कई उत्पादों का व्यवसाय किया जा सकता है। ऊन, खाद, दूध, जैसे कई उत्पाद तैयार किये जाते हैं। इन्हें आसानी से पाला जा सकता है क्योंकि ये आकार में छोटी होती हैं और जल्द ही बड़ी भी हो जाती हैं। हर मौसम में ये खुद को ढाल लेती हैं, इसलिए किसी भी तरह की जलवायु में भेड़ों को पाला जा सकता है। यही वजह है कि देश के कई राज्यों के किसान भेड़ पालन से जुड़े हैं।
भेड़ पालन में इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी
भेड़ पालन में कुछ बातों का ख़ास ख़्याल रखना ज़रूरी है। आम तौर पर भेड़ घास ही खाती है, लेकिन अगर आप बिज़नेस के लिए इन्हें पाल रहे हैं तो चारे के अलावा विशेष आहार देने की भी ज़रूरत होती है।
भेड़ के बच्चों को पैदा होने के करीब तीन दिन तक दिन में तीन बार सिर्फ़ खीस दी जाती है। खीस में कई रोग प्रतिरोधक गुण होते हैं। ये नवजात भेड़ के बच्चे को बीमारियों से बचाता है। दो हफ़्ते तक भेड़ के बच्चे को रोज़ 250 ग्राम दूध दें। दो हफ़्ते के बाद वो चारा और दाना खाने लायक हो जाएगा। दुधारू भेड़ को और बेहतर आहार देने की ज़रूरत होती है जिससे उसका दूध उत्पादन बढ़े। भेड़ों के टीकाकरण का भी विशेष ध्यान रखना ज़रूरी होता है।
भेड़ों की अलग-अलग नस्लों से कमा सकते हैं मुनाफ़ा
भेड़ों की अलग-अलग नस्लों से लाभ लिया जा सकता है। भेड़ की नस्ल लोही, कूका, गुरेज दूध उत्पादन के लिए, हसन, नैल्लोर, जालौनी, मांड्या, शाहवादी, बजीरी मांस के लिए और बीकानेरी, बैलारी, चोकला, भाकरवाल, काठियावाड़ी, मारवाड़ की नस्ल ऊन के व्यवसाय के लिए इस्तेमाल होती है।
कई पोषक तत्वों से भरपूर भेड़ का दूध
भेड़ का दूध सेहत के लिहाज़ से फ़ायदेमंद माना जाता है। भेड़ के दूध में गाय और बकरी के दूध की तुलना में ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन और वसा होती है। इसके दूध में विटामिन बी 6, बी 12, विटामिन डी, लिनोलिक एसिड और 10 ज़रूरी अमीनो एसिड पाए जाते हैं। इसका दूध ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को दूर करता है। हड्डियों को मज़बूत बनाता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।