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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में कई विकास योजनाओं का किया ऐलान , मिलिये इसी हल्द्वानी की 19 साल की युवा मैनेजिंग डायरेक्टर से जो चला रही हैं अपना डेयरी फ़ार्म स्टार्टअप

कम उम्र में संभाली डेयरी बिजनेस (Dairy Business) की बागडोर

उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली पायोश्नी ने किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में अपने डेयरी फ़ार्म (Dairy Farm) और डेयरी क्षेत्र (Dairy Sector) को लेकर कई ज़रूरी बातें साझा कीं। गायों के रखरखाव से लेकर आहार और अच्छी नस्लों के बारे में जानकारी दी।

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) से पहले 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani) दौरे पर गए। इस दौरान उन्होंने राज्य के लिए 17,500 करोड़ से अधिक की 23 विकास योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सरकार उत्तराखंड के विकास की दिशा में काम कर रही है। राज्य के युवाओं को प्रोत्साहन दे रही है। इस लेख में हम आपको उत्तराखंड के हल्द्वानी की एक ऐसी ही युवती के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने काम से राज्य की प्रगति के लिए अपना योगदान कर रहीं हैं।

आज के वक़्त में जहां लोग काम की तलाश में बड़े शहरों का रूख कर रहे हैं, इस बीच कई युवा ऐसे हैं जो अपनी लगन के बलबूते लीक से हटकर एक उदाहरण पेश कर रहे हैं। एक ऐसी ही युवती हैं, उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली पायोश्नी मनकोटी। मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही 19 साल की पायोश्नी ने अपने क्षेत्र के लोगों, खासतौर पर महिलाओं को रोज़गार देने के उद्देश्य से इसी साल डेयरी फ़ार्म की शुरुआत की है। पायोश्नी का मकसद इस फ़ार्म के ज़रिए महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। धेनु फ़ार्म (Dhenu Farm) के नाम से उनका ये फ़ार्म लामाचौड़ के गुनीपुर जीवानंद गांव में है।

साल 2021 जाने की दहलीज पर खड़ा है। बस कुछ दिनों में नया साल 2022 दस्तक देगा। नया साल यानी नई उम्मीद, पायोश्नी ने साल 2022 में धेनु फ़ार्म से ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में पायोश्नी ने अपने इस लक्ष्य और डेयरी क्षेत्र को लेकर कई बातें बताईं।

फ़ार्म में हैं उच्च नस्ल की ज़्यादा दूध देने वाली गायें (High Milk Producing Cow Breeds)

अभी धेनु फ़ार्म में कुल 16 गायें हैं। इनमें उच्च नस्ल की ज़्यादा दूध देने वाली गायें जैसे होल्सटीन फ्रिसियन (HF Cows), गिरलैडो और आयशायर पाली हुई हैं। फ़ार्म में लाई गई सभी गायें पंजाब से खरीदी गई हैं। बता दें कि पंजाब, उच्च और अच्छी नस्ल की गायों का गढ़ माना जाता है। धेनु फ़ार्म में रोज़ाना का 90 से 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। 50 रुपये प्रति लीटर की दर से स्थानीय बाज़ार में दूध की बिक्री होती है। इसके अलावा, ताज़ा पनीर तैयार किया जाता है। पायोश्नी ने बताया कि नए साल यानी 2022 में घी, दही, और मावा जैसे बाय प्रॉडक्ट्स पर भी काम करने का लक्ष्य है। सिर्फ़ पांच महीनें के अंतराल में ही धेनु फ़ार्म ने अपने ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स के बलबूते पर कई लॉयल कस्टमर्स बनाए हैं।

Dairy Farming डेयरी फ़ार्म डेयरी व्यवसाय haldwani dhenu farm
धेनु फ़ार्म में हैं कई नस्लों की गायें

शुद्ध और गैर-मिलावटी दूध पहुंचाना है उद्देश्य (Pure, Organic & Unadulterated Milk Production)

किसान ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए पायोश्नी कहती हैं कि अभी हमारा मकसद लोगों के घरों तक ऐसा दूध पहुंचाना है, जो ताज़ा, गैर-मिलावटी और केमिकल फ़्री हो। पायोश्नी बताती हैं कि कोरोना काल में जिस तरह से बीमारी लोगों पर हावी हुई, उस वक़्त एहसास हुआ कि शुद्ध और गैर-मिलावटी चीजें कितनी ज़रूरी है। धेनु फ़ार्म ‘शुद्धता और स्वच्छता आपकी चौखट पर’ के सिद्धांत पर काम करता है। पायोश्नी अपने इस स्टार्टअप का श्रेय पिता कमांडर सुरेश मनकोटी और माँ देवकी देवी मनकोटी को देती हैं। दोनों ने ही हमेशा पायोश्नी को प्रोत्साहित किया है।

डेयरी फ़ार्म में लगी है दूध निकालने वाली मशीन, पशु आहार की भी है पूरी व्यवस्था

दूध निकालने के लिए फ़ार्म में ऑटोमेटेड मिल्किंग मशीन (Automated Milking Machine) लगी हुई है। फ़ार्म में Grass Chaff Cutter Cum Pulverizer मशीन भी है। इससे गायों को दिए जाना वाला चारा तैयार किया जाता है। भूसा और पोषण युक्त अनाज गेहूं, जौं, बाजरा, मूंगफली की खली या पाउडर तैयार कर गायों को दिया जाता है। करीब 6 बीघा ज़मीन पर हरा चारा भी उगाया हुआ है।

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आहार का रखा जाता है ख़ासतौर पर ख्याल

एक गाय के लिए रोज़ का कितना आहार ज़रूरी?

पायोश्नी ने बताया कि एक गाय के आहार में प्रतिदिन का 10 किलो हरा चारा, 10 किलो भूसा और 10 किलो अनाज होता है। कुल 50 किलो का आहार एक गाय रोज़ाना का खाती है। इन गायों और डेयरी फ़ार्म के रखरखाव की बागडोर के लिए चार लोग फ़ार्म में काम करते हैं।

गायों का रखरखाव कैसे करें?

डेयरी फ़ार्म पूरी तरह से शेड से ढका हुआ है। डेयरी फ़ार्म में ऑटोमेटेड सिस्टम के ज़रिए गरम और ठंडे पानी की व्यवस्था की गई है। एक गाय का वजन ही 500 से 600 किलो का होता है। वजन ज़्यादा होने की वजह से ये सीमेंट से बनी ज़मीन पर ज़्यादा समय के लिए नहीं चल पाती। इनके लिए मुलायम मिट्टी वाली ज़मीन सबसे उपयुक्त होती है। पायोश्नी ने बताया कि इसके लिए गायों को घास वाले क्षेत्र पर रखा जाता है और साथ ही डेयरी फ़ार्म के अंदर ज़मीन पर रबर मैट भी लगे हुए हैं।

पशुपालन में जितना ज़रूरी मवेशियों का आहार होता है, उतना ही ज़रूरी उनका रखरखाव भी है। उन्हें बीमारियों से बचाना भी है। दूधारु पशुओं को कई तरह के रोग जैसे मुंह व खुर रोग, गल घोंटू, छूतदार होने का डर रहता है। ये बीमारियां पशु के उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक असर डालती हैं। गायों को रोग से बचाव के लिए धेनु फ़ार्म में हर महीने गायों का चेक-अप कराया जाता है। पायोश्नी ने बताया कि नियमित तौर पर टीकाकरण कराया जाता है। कीटों से बचाने के लिए हर हफ़्ते स्प्रे किया जाता है।

एक गाय औसतन देती है 15 लीटर तक दूध

पायोश्नी कहती हैं कि उनके डेयरी फ़ार्म में जितनी भी गायें हैं, उनकी दूध देने की क्षमता काफ़ी अच्छी है। जितनी दूध देने की क्षमता अच्छी होती है, उन गायों के रखरखाव का खर्चा भी ज़्यादा रहता है। गायों का अपने बच्चे की तरह ध्यान रखना पड़ता है। अगर शुरुआत में ही लापरवाही दिखाई तो इनके बीमार होने का खतरा रहेगा। अभी धेनु फ़ार्म में औसतन एक गाय 15 लीटर प्रति दिन का दूध दे देती है।

गौपालन है पुण्य का काम

पायोश्नी बताती हैं कि उनका शुरू से ही जानवरों के प्रति लगाव रहा है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में गाय को भगवान का दर्जा मिला है। 33 करोड़ देवी देवताओं का वास एक गाय में होता है। गाय का दूध सबसे शुद्ध माना जाता है। ऐसे में एक गाय पालकर न सिर्फ़ आप भगवान से सीधा जुड़ाव महसूस करते हो, बल्कि लोगों तक शुद्ध दूध पहुंचाकर समाज के लिए एक अच्छा काम भी कर रहे हो। पायोश्नी कहती हैं कि जो कोई भी पुण्य कमाना चाहते हैं, उन्हें गौपालन ज़रूर करना चाहिए।

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परिवार मानता है गौपालन को पुण्य का काम

गौपालन के लिए कैसे वातावरण की ज़रूरत?

पायोश्नी कहती हैं कि मवेशियों को खुला वातावरण देना बहुत ज़रूरी होता है। जैसे इंसानों को खुले वातावरण में रहना पसंद होता है, वैसे ही इन्हें भी ऐसा ही माहौल पसंद आता है। उनके डेयरी फ़ार्म में गायों को दिन के समय में खुले में छोड़ दिया जाता है जहां वो आराम से घूमती हैं। इससे उनकी दूध देने की क्षमता पर भी अच्छा असर पड़ता है।

डेयरी फ़ार्म गाय पालन व्यवसाय शुरू करने में कितनी लागत?

1600 स्क्वायर फ़ीट के क्षेत्र में बने धेनु फ़ार्म में शेड बनवाने में ही करीब 16 लाख का खर्चा आया। कुल खर्चा 24 लाख का रहा। पंजाब से खरीदी गई गायों की कीमत प्रति गाय के हिसाब से एक लाख 25 हज़ार पड़ी। पायोश्नी ने कहा कि जो लोग गौपालन में रुचि रखते हैं उनके लिए सरकार की ओर से लागू की गई कई योजनाएं हैं। NABARD के तहत लोन और सब्सिडी की व्यवस्था है, जिसके लिए आप अपने ज़िले के नज़दीकी NABARD कार्यालय से संपर्क भी कर सकते हैं।

डेयरी व्यवसाय बनाएगा आत्मनिर्भर

पायोश्नी ने आगे हमसे बात करते हुए कहा कि अगर कोई अच्छी पढ़ाई करने के बाद किसी बड़े शहर में 30 हज़ार की जॉब कर रहा है, या 9 से 5 बजे की कॉर्पोरेट जॉब के पीछे भाग रहा है, उससे 10 गुना अच्छा है कि आप अपना काम कीजिए। पायोश्नी कहती हैं कि खुद का व्यवसाय शुरू करने में उतार-चढ़ाव ज़रूर आते हैं, लेकिन एक तरह का संतोष भी होता है कि आप कइयों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा कर रहे हैं। एक युवा के पास इतना पैसा नहीं होता कि वो एक साथ इतनी रकम लगा सकें। इसके लिए आप लोन ले सकते हैं। छोटे स्तर से ही डेयरी की शुरुआत कर सकते हैं। पायोश्नी कहती हैं कि आज के वक़्त में खुद के पैरों पर खड़ा होना बहुत ज़रूरी है, जो हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता। अब ज़रूरत है कि इस स्किल को अपनाया जाए।

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इसी साल हुआ डेयरी फ़ार्म का उद्घाटन

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