Year Ender 2021: देश के इन युवाओं ने साल 2021 में डेयरी सेक्टर को बुलंदी पर पहुंचाया, बना पसंदीदा एग्री स्टार्टअप

भारत में डेयरी उद्योग रोजगार देने वाले बड़े सेक्टर्स में शामिल है। इसलिए सरकार भी इसे बड़े स्तर पर बढ़ावा भी दे रही है। साल 2021 में डेयरी सेक्टर ने देश में अपनी पकड़ मजबूत की और कई लोगों को अपने साथ जोड़ा।

डेयरी व्यवसाय dairy business

‘भारत को दुनिया का एग्री स्टार्टअप हब कहना गलत नहीं होगा। स्टार्टअप वेंचर्स को सरकार बड़े स्तर पर बढ़ावा भी दे रही है। भारत में डेयरी उद्योग रोजगार देने वाले बड़े सेक्टर्स में शामिल है। आधुनिक समय में पशुपालन का चलन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका श्रेय हर उस पशुपालक को जाता है जो डेयरी क्षेत्र (Dairy Farming) को बढ़ावा दे रहे हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जहां कई व्यवसायों पर ताले लगे, 2021 में डेयरी सेक्टर मजबूती के साथ खड़ा रहा। किसान ऑफ इंडिया आपके लिए डेयरी व्यवसाय की Exclusive सक्सेस स्टोरीज़ लेकर आया है। हम आपको उन युवाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने डेयरी उद्योग में अपने क्षेत्र में क्रांति लाई और कई युवाओं को प्रेरित किया है।

भूपेंद्र पाटीदार, खरगोन, मध्य प्रदेश

डेयरी व्यवसाय dairy business
तस्वीर साभार: National Institute of Agricultural Extension Management

मध्य प्रदेश खरगोन ज़िले के नांद्रा गाँव के रहने वाले भूपेंद्र पाटीदार का परिवार दूध व्यवसाय से पहले ही जुड़ा था, लेकिन इसमें उन्हें नुकसान झेलना पड़ा था। परिवार वाले उनके डेयरी उद्योग को दोबारा शुरू करने के पक्ष में नहीं थे। पर वो डेयरी में उतारने का मन बना चुके थे। उन्होंने  एक लाख 40 हज़ार में दो भैंसें खरीदीं  और दूध का काम शुरू कर दिया। इनमें से एक भैंस सही नहीं निकली। 20 दिन के अंदर ही 70 हज़ार में लाई गई भैंस को 20 हज़ार में बेचना पड़ा, यानी सीधे सीधे 50 हज़ार रुपये का नुकसान उन्हें झेलना पड़ा। 

इसके बाद उन्होंने बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया। कई साल बैंक के चक्कर लगाने के बाद उनका लोन अप्रूव हुआ। इसके बाद भूपेंद्र ने अपने सात दोस्तों के साथ मिलकर 7 हाईटेक नाम से दूध डेयरी खोलने का फैसला किया। सबने मिलकर 15 से 20 हज़ार रुपये लगाए और लाख रुपये की लागत से गाँव में ही किराये पर जगह लेकर पूरा सेटअप चालू कर दिया। भूपेन्द्र कहते हैं कि शुरू से ही फोकस रहा कि हम कुछ ऐसा करें कि लोग शहर से गाँव में आयें। उन्हें रोज़गार की तलाश में बाहर नहीं, गाँव में ही अवसर मिले। 7 हाईटेक में अपनी भैंसों के दूध के साथ साथ-आस पास के छोटे किसानों से दूध और इसे बनने वाले प्रॉडक्ट्स जैसे छाछ, पनीर और दही खरीदने लगे। एक दिन का दूध कलेक्शन 1400 लीटर तक भी पहुंच जाता। 7 हाईटेक ग्रुप ने 2018 में कोऑपरेटिव सोसाइटी का भी गठन किया। इसके ज़रिए वो ज़रूरतमंदों लोगों को फ़ाइनेंस की सुविधा देते हैं। आज इस कोऑपरेटिव सोसाइटी का टर्नओवर ही 7 से 8 करोड़ के आसपास है। 

पूरी कहानी यहां पढ़ें: अपनी डेयरी खोलने के लिए बैंक से कैसे लें आसानी से लोन? अपने इलाके में दुग्ध क्रांति लाने वाले भूपेंद्र पाटीदार ने बताए टिप्स

 

अजिंक्य शिरीषकुमार नाइक, ठाणे, महाराष्ट्र

डेयरी व्यवसाय dairy business एग्रीकल्चर में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होल्डर अजिंक्य ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से सात लाख का लोन लेकर डेयरी यूनिट की शुरुआत की। मेहसाना नस्ल की छह देसी भैंसें खरीदीं और फिर अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में लग गए। अजिंक्य ने जाफ़राबादी और मेहसाना नस्ल की करीबन 80 भैंसें पाली हुई हैं। अजिंक्य शिरीषकुमार पिछले सात सालों से डेयरी सेक्टर से जुड़े हैं। अजिंक्य ने पूणे की कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चरल फाउंडेशन से ट्रेनिंग भी ली हुई है। अजिंक्य के डेयरी फ़ार्म में रोज़ाना करीबन 350 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वसई क्षेत्र में आज उनकी तीन डेयरियां हैं। 72 रुपये प्रति लीटर की दर से उनकी डेयरी का दूध बिकता है। थ ही वो दूध को प्रोसेस कर पनीर, छाछ, लस्सी, खोया जैसे कई बाई-प्रॉडक्ट्स भी अपनी ही डेयरी में तैयार करते हैं। 

अजिंक्य ने बताया कि जाफ़राबादी भैंस काफ़ी महंगी पड़ती है। इसकी कीमत ही एक लाख रुपये से शुरू होती है, जो 1 लाख 40 हज़ार तक जाती है। सर्दियों में दाम थोड़े घट जाते हैं और 90 हज़ार से लाख के बीच कीमत आ जाती है। मेहसाना भैंस की शुरुआती कीमत 65 हज़ार रुपये के आसपास रहती है जो लाख तक भी जाती है। गर्मियों में दूध के साथ-साथ दही, छाछ, लस्सी जैसे कई बाई-प्रोडक्टस की बाज़ार में ज़्यादा मांग रहती है। इस वजह से गर्मियों में ये ज़्यादा कीमत पर बिकती है।

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नीतीश यादव, कोटपूतली, राजस्थान

डेयरी व्यवसाय dairy business मैनेजमेंट डिग्री होल्डर नीतीश यादव ने दो साल जॉब करने के बाद 30 साल की उम्र में खेती-किसानी की राह चुनी। नीतीश यादव 210 बीघा की पुश्तैनी ज़मीन पर जैविक खेती और पशुपालन करते हैं। नीतीश यादव कहते हैं कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जहां कई व्यवसायों पर ताले लगे, लेकिन उन्हें खेती से अच्छी आमदनी हुई। जब पैसा आने लगा तो उपभोक्ताओं के किचन तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ गौपालन भी शुरू किया।

नीतीश यादव ने अपने फ़ार्म में साहीवाल नस्ल की 60 देसी गाय पाली हुई हैं। एक साहीवाल की कीमत 65 से 75 हजार तक रहती है। वो इन गायों को पंजाब के गंगानगर से लेकर आए थे। नीतीश यादव कहते हैं कि ज़्यादातर लोग गुजरात की गिर नस्ल की गाय को सबसे बेहतर मानते हैं,  लेकिन राजस्थान के कई इलाकों में पाई जाने वाली साहीवाल गाय भी कुछ कम नहीं।  नीतीश यादव ने बताया कि साहीवाल गाय 12 से 18 लीटर तक दूध देती है।इन साहीवाल गायों से रोज़ाना 240 लीटर तक दूध का उत्पादन होता है। 150 लीटर दूध सीधा बोतलों में पैक होकर कस्टमर तक पहुंचता है। एक लीटर की कांच की बोतल में दूध की पैकिंग की जाती है। बाकी जो दूध बचता है उससे घी, मक्खन, पनीर तैयार होता है। नीतीश यादव कहते हैं कि गायों के पशुधन से ही डेयरी का खर्चा, फ़ार्म में काम कर रहे लोगों की सैलरी निकल आती है। गाय के गोबर से वर्मीकंपोस्ट तैयार कर किसानों को बेचा जाता है। गोबर का इस्तेमाल दूध पकाने, मज़दूरों का खाना बनाने में भी किया जाता है। इससे लागत के पैसे में कमी आती है।

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 राहुल शर्मा, राघोगढ़, मध्यप्रदेश

डेयरी व्यवसाय dairy business राहुल शर्मा ने 2018 में डेयरी व्यवसाय में कदम रखा। राहुल ने अपने श्री महाराज डेयरी फ़ार्म में 10 क्रॉस ब्रीड भैंसें पाली हुई हैं। इन भैंसों से सुबह और शाम, दोनों वक़्त का मिलाकर रोज़ाना करीब  70 लीटर दूध का उत्पादन होता है। एक भैंस 6 से 7 लीटर तक दूध दे देती है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में राहुल शर्मा ने कहा कि उनकी तहसील राघोगढ़ में आज भी सिर्फ़ उन्हीं का डेयरी फ़ार्म है। उनके क्षेत्र में डेयरी को व्यवसाय के नज़रिये से बहुत कम लोग देखते थे। लेकिन अब शायद स्थितियां बदलें। उन्होंने अपनी तहसील में डेयरी फ़ार्म खोलकर लोगों को बताया कि पशुपालन और डेयरी एक अच्छा उद्योग बन सकता है। 

 डेढ़ से 2 लाख के शुरुआती निवेश के साथ डेयरी फ़ार्म खड़ी की। अपनी सेविंग को डेयरी फ़ार्म खोलने में लगाया। 60 से 70 हज़ार में दो क्रॉस ब्रीड भैंसे खरीदीं। गैरेज की ऊंचाई बढ़वाई, और कई दूसरे ज़रूरी बदलाव किए। राहुल ने बताया कि एक क्रॉस ब्रीड भैंस की कीमत 60 से 80 हज़ार रुपये तक रहती है। ये कम से कम दिन का 10 लीटर तक दूध देती है। राहुल बताते हैं कि उनके फ़ार्म में एक भैंस ऐसी भी है, जो दो वक़्त का 14 लीटर तक भी दूध दे देती है। राहुल पशुपालकों से सीधा दूध खरीदते हैं। राहुल बताते हैं कि उनके क्षेत्र में दूध की सरकारी खरीद भी होती है। सरकारी खरीद के मुकाबले वो किसानों को दूध का ज़्यादा दाम देते हैं। यही वजह है कि राघोगढ़ तहसील के करीब 250 किसान उनसे जुड़े हुए हैं। अकेले सोरामपुरा गाँव से करीब 125 लीटर दूध उनके फ़ार्म पर आता है। उधर राघोगढ़ तहसील के लगभग 15 से 17 गाँवों के किसानों से भी प्रति दिन करीब 1200 लीटर दूध इकट्ठा हो जाता है। 50 रुपये प्रति लीटर की दर से उनकी डेयरी फ़ार्म का दूध बाज़ार में बिकता है। फ़ार्म में ही पनीर, छाछ जैसे कई बाय प्रॉडक्ट्स प्रोसेस कर तैयार किए जाते हैं।

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ओमवीर सिंह, मेरठ, उत्तर प्रदेश 

डेयरी व्यवसाय dairy business ओमवीर सिंह ने पशुपालन में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद कृषि-क्लिनिक और कृषि-बिज़नेस सेंटर (AC&ABC) से ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग लेने के बाद AC&ABC स्कीम के तहत ओमवीर सिंह ने भारतीय स्टेट बैंक से 5 लाख रुपये के लोन के साथ डेयरी की नींव रख डाली। उनकी इस डेयरी का नाम जैविक फ़ार्म (Jaivik Farm) है। आज अपनी  डेयरी में उन्होंने गिर और साहीवाल नस्ल की 100 से ऊपर देसी गायें पाली हुईं हैं।  जैविक फ़ार्म में एक गाय से रोज़ का 12 से 15 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है।

देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके दूध की मांग बढ़ी। अब तक मलेशिया, सिंगापुर, थायलैंड, कज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान सहित 13 देशों में वो निर्यात कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने एक कंपनी से क़रार किया हुआ है। उनके फ़ार्म का दूध देश में 80 से 100 रुपये प्रति लीटर और विदेशों में 300 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक जाता है। ओमवीर सिंह सिर्फ़ डेयरी फ़ार्मिंग ही नहीं, बल्कि जैविक खेती, मशरूम उत्पादन और मुर्गी पालन भी करते हैं। उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ कई फसलें उगा रखी हैं।

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