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अच्छी फ़सल के लिए खेत की अच्छी और गहरी जुताई ज़रूरी है। जुताई मिट्टी को ढीला करने, खरपतवारों को नियंत्रित करने और जल निकासी में सुधार करने में मदद करता है जिससे उपज बेहतर होती है। मगर लंबे समय के लिए मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने के लिए सिर्फ रोटावेटर और कल्टीवेटर जैसे उपकरणों से जुताई ही काफी नहीं है, समय-समय पर मिट्टी की गहराई तक जुताई करना भी ज़रूरी होता है, ताकि उसकी जल धारण क्षमता बनी रहे और फ़सल की जड़े गहराई तक जा सकें।
बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान ब्रजेश कुमार अपने खेती को और सफल बनाने के लिए chisel plough का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो 2 से 2.5 फीट गहराई तक खेत की जुताई करने में सक्षम है। ये उपकरण मिट्टी के नीचे की कठोर परत को तोड़कर मिट्टी को और उपजाऊ बनाने में मदद करता है। कैसे काम करता है ये उपकरण और किसानों के लिए क्यों है ये ज़रूरी इन तमाम मुद्दों पर ब्रजेश कुमार ने बात की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।
मिट्टी के नीचे की सख्त सतह को तोड़ता है
खेती को आसान और सफल बनाने के लिए किसानों को उपकरणों की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान ब्रजेश कुमार के पास भी एक ऐसा ख़ास उपकरण है जो हर किसान के पास होना चाहिए। ब्रजेश बताते हैं कि Chisel plough, जिसे इसे देसी भाषा में किसान केंचुआ हल भी कहते हैं। ये गहरी जुताई करने के काम आता है।
उनका कहना है कि खेतों में लगातार रोटावेटर चलाते-चलाते मिट्टी के नीचे की पक्की सतह और सख्त हो जाती है, जिससे धीरे-धीरे उसकी जल धारण क्षमता कम होने लगती है और फ़सल की जड़े भी गहराई तक नहीं जा पाती, इसलिए इस उपकरण का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। ये उपकरण उपजाऊ मिट्टी के नीचे वाली पक्की ज़मीन को तोड़ता है जिससे मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है और फ़सल की जड़ नीचे गहराई तक जा पाती है।
इस मशीन की ख़ासियत
ब्रजेश बताते हैं कि Chisel plough में 3 फार लगा है। ये फार अलग से लगाते हैं और जब ये घिस जाता है तो इसे बदलना पड़ता है। वो बताते हैं कि ये यंत्र 2 से 2.5 फीट तक गहरी जुताई करता है, जो दूसरा कोई भी उपकरण नहीं कर पाता है। जहां तक इसकी कीमत का सवाल है तो ये 70 से 80 हजार रुपए में आती है। वो बताते हैं कि इस पर सब्सिडी तो मिलती है, मगर 30-35 हजार की सब्सिडी मिलने में काफी देर हो जाती है, तो किसान इसे लेना चाहते हैं वो सब्सिडी के चक्कर में न पड़ें, क्योंकि फिर फ़सल देर से लगाने पर उनको इतना तो नुकसान वैसे ही झेलना होगा।
कितने पावर के ट्रैक्टर की ज़रूरत
इस यंत्र को ट्रैक्टर में अटैच करके ही इस्तेमाल किया जाता है। ब्रजेश बताते हैं कि 3 फार वाले chisel plough के लिए 60 HP वाले ट्रैक्टर की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन किसी किसान के पास अगर छोटा ट्रैक्टर है यानी 45 HP का ट्रैक्टर है, तो वो 2 फार वाला chisel plough ले सकता है। यही नहीं यदि किसी किसान के पास 30 HP का ट्रैक्टर है तो वो एक फार वाला chisel plough भी ले सकता है। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि किसान को 60 HP का ही ट्रैक्टर लेना होगा। वो ट्रैक्टर की क्षमता के हिसाब से chisel plough का चुनाव कर सकता है।
केंचुओं को घर बनाने में करता है मदद
ब्रजेश कुमार बताते हैं कि chisel plough को केंचुआ हल भी कहा जाता है, क्योंकि ये उन्हें घर बनाने में मदद करता है। दरअसल, जब हैरो या रोटावेटर चलाया जाता है तो केंचुएं ज़मीन के अंदर चले जाते हैं, मगर उन्हें नीचे सख्त सतह मिलती है, लेकिन जब chisel plough से जुताई की जाती है तो ये उपकरण ज़मीन में गहराई तक छेद करता है, जिससे केंचुए आसानी से मिट्टी के अंदर घर बनाते हैं और जब जुताई के उपकरण हट जाए, तो केंचुए बाहर भी आ जाते हैं, इसलिए इसे केंचुआ रक्षक भी कहा जा सकता है।
भविष्य में बेहतर खेती के लिए है ज़रूरी
ब्रजेश कुमार का कहना है कि जो किसान आज इसे इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उन्हें भविष्य में इसे खेतों में ज़रूर चलाना होगा, तभी खेती बेहतर होगी। उनका कहना हो कि चाहे ऑर्गेनिक हो या कीटनाशक वाली खेती, ज़मीन को ऊपजाऊ बनाने के लिए chisel plough से जुताई ज़रूरी है, क्योंकि डीएपी, यूरिया से मिट्टी के अंदर की सतह बहुत सख्त हो जाती है, ये उपकरण उस सतह को तोड़कर मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। इससे ज़मीन के अंदर भी केंचुआ आसानी से रहते हैं जिससे ज़मीन की उर्वरक शक्ति बनी रहती है।
ब्रजेश किसानों को सलाह देते हैं कि जो किसान इस उपकरण को नहीं खरीद सकते हैं, वो उसे किराये पर लेकर भी खेत में चलवा सकते हैं, इससे फ़सल पकने से पहले उसकी जड़ों के कमज़ोर होकर सूखने की समस्या नहीं होगी। इस उपकरण को ट्रैक्टर में अटैच करना आसान बहुत ही होता है, इसमें दो छिद्र होतें है। अगर ज़्यादा गहरी जुताई करनी है तो नीचे वाले छिद्र में chisel plough को जोड़े और कम हरी जुताई करने के लिए इसे ऊपर वाले छिद्र में जोड़ें।
जुताई के अन्य उपकरण
खेत की गहरी जुताई के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य यंत्र हैं-
एमबी प्लाऊ – ये हल की तरह का कृषि यंत्र है जिसे मोल्ड बोर्ड प्लाऊ के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल खेत की मिट्टी को पलटने के लिए किया जाता है। फ़सल की बुवाई से पहले खेतों में जुताई, मिट्टी को हल्का व भुरभुरा बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
सब सॉयलर मशीन– इस यंत्र का इस्तेमाल भी खेत की गहरी जुताई के लिए किया जाता है। इस उपकरण से एमबी प्लाऊ, डिस्क हैरो व रोटरी टिलर जैसे कृषि यंत्रों की तुलना में ज़्यादा गहराई जुताई की जा सकती है।
कल्टीवेटर- इस उपकरण का इस्तेमाल बुवाई से पहले मिट्टी को भुरभुरी और बारीक करने के लिए किया जाता है। गहरी जुताई के अलावा इस यंत्र से फ़सलों की बुवाई के लिए पंक्तियां बनाई जा सकती है। कल्टीवेटर से निराई का काम भी किया जा सकता है।
डिस्क प्लाऊ- ये एक ख़ास तरह का हल होता है जो सभी प्रकार की मिट्टी के खेत को तैयार कर सकता है। इसकी मदद से मिट्टी को ऊपर उठाना, मिलाना और मिट्टी के ढेलों को तोड़ा जाता है। इसकी मदद से मेड़ भी बनाई जाती है।
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