जमीन कम है तो करें वर्टिकल खेती, सेहत के साथ मिलेगा मोटा मुनाफा भी

Vertical Farming के जरिए किसान प्रति इकाई क्षेत्र में 70 से 80 प्रतिशत तक अधिक फसल प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एक साल में 3 से चार फसलें लेकर किसान पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। इस खेती की मदद से किसान भाई अपने घर की छतों और छोटी सी जगह पर भी फल या सब्जी उगा सकते हैं। इस तरह से खेती करने के लिए मिट्टी और धूप की भी जरूरत नहीं पड़ती।

कृषि प्रधान देश में आबादी बढऩे के साथ ही कृषि योग्य भूमि की कमी और कई कारणों से पारंपरिक खेती में नुकसान उठा रहे किसानों का रुझान धीरे-धीरे वर्टिकल खेती – Vertical farming (खड़ी खेती) की ओर होता जा रहा है। इजरायल बेस्ड इस तकनीक से खेती करने में सबसे अच्छी बात यह है कि फसलों के लिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता।

यह एक बहुत ही उच्च उत्पादक खेती है और इसके जरिए किसान प्रति इकाई क्षेत्र में 70 से 80 प्रतिशत तक अधिक फसल प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एक साल में 3 से चार फसलें लेकर किसान पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं।

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इस खेती की मदद से किसान भाई अपने घर की छतों और छोटी सी जगह पर भी फल या सब्जी उगा सकते हैं। इस तरह से खेती करने के लिए मिट्टी और धूप की भी जरूरत नहीं पड़ती।

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कैसे होती है Vertical Farming

नियंत्रित वातावरण में की जाने वाली इस खेती के लिए पौधों को बहुसतही ढांचों (एक के ऊपर एक) में उगाया जाता है। पौधों को बढ़ाने के लिए इसमें पोषक तत्व मिलाए जाते हैं और सतह पर पंप की मदद से इसमें पानी दिया जाता है। एलईडी बल्ब की मदद से इसमें प्रकाश की कमी दूर की जाती है।

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Vertical Farming के तीन तरीके

इस तरह की कृषि तीन तरीकों – हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स से की जाती है। हाइड्रोपोनिक्स (जलकृषि) में पौधे की जड़ें पानी और पोषक तत्वों के घोल में डूबी रहती हैं। इस विधि की मदद से किसान बहुत कम पानी से सब्जियों की अच्छी पैदावार ले सकता है।

वहीं एरोपोनिक्स तकनीक में पौधों की जड़ों को किसी के सहारे बांधा जाता है और फिर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। यह खेती बहुत ही कम जगह में हो जाती है और पारंपरिक हाइड्रोपोनिक तकनीक की तुलना में 90 प्रतिशत तक कम पानी की आवश्यकता होती है।

फसल के साथ मछली पालन भी

एक्वापोनिक्स तकनीक में मछली पालन और जल मिश्रण से फल, सब्जी और औषधि उत्पादन होता है। इस विधि में एक समान पारिस्थिकी तंत्र में मछलियां और पौधे एक साथ वृद्धि करते हैं। इसमें मछलियों का मल फसल के लिए खाद का काम करता है और पौधे मछलियों के लिए जल को शुद्ध करने का काम करते हैं।

वर्टिकल खेती की संभावना

देश में वर्टिकल खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र और दूसरे अन्य संस्थान इस विधि से खेती कर रहे हैं। नई दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों में वर्टिकल फार्मिंग की जा रही है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

आइडिया फाम्र्स, ग्रीनपीएस और यू फार्म, अर्बन किसान जैसे कई स्टार्ट अप इस विधि के माध्यम से बहुत अच्छी क्वालिटी वाले फल और सब्जियां उगाकर बड़े शहरों में आपूर्ति कर रहे हैं। शहरों में इस तरह के प्रयोग से तापमान को कम करने में मदद मिलती है।

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फायदे और नुकसान

वर्टिकल फार्मिंग में किसान कम जमीन में अधिक फसल का उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा कीटनाशकों का प्रयोग न होने से यहां उगने वाली फल सब्जियां आदि स्वास्थ्य के लिहाज से उम्दा होती है। धीरे-धीरे लोग भी स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होने लगे हैं। ऐसे में किसान उन्हें पेस्टीसाइड्स मुक्त फल और सब्जियां उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

अगर हम नुकसान की बात करें तो वर्टिकल फार्मिंग प्रणाली की प्रारंभिक लागत काफी ज्यादा होती है। इससे किसानों को असुविधा महसूस हो सकती है। इसके अलावा पौधों को वृद्धि के लिए कृत्रिम रोशनी के साथ नियंत्रित वातावरण की आवश्यकता होती है। इसकी वजह से ऊर्जा की लागत अधिक होती है।

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