एमबीबीएस और फिर ओर्थोपेडिक्स में मास्टर्स करने के बाद बीमार लोगों का ईलाज करना भले ही इनका पेशा है, लेकिन एक किसान के बेटे होने के नाते खेतीबाड़ी इनके खून में रची बसी हुई है। सेब के बाग की देखभाल ही नहीं, उसमें उगे सेब की बिक्री और ब्रांडिंग के नए तौर-तरीके अपनाना इनका जूनून है। सेब के कारोबार के साथ-साथ लोगों की सेहत का भी ख्याल रखने के काम के बीच तालमेल बिठाने वाले तरक्की पसंद इन शख्स का नाम है डॉ. सैयद ओवैस फ़िरोज़। दूर की सोच रखने वाले सैयद ओवेस की उम्र भले ही 32 साल है लेकिन सेब को लेकर उनका ज्ञान किसी बुज़ुर्ग अनुभवी बागान मालिक से कम नहीं है।
तीन साल पहले जब कश्मीर के डॉ. सैयद ओवैस ने सेब की आधुनिक तरीके से ग्रेडिंग पैकिंग का प्लांट लगाया था, तब आसपास के 20-25 किलोमीटर के दायरे में भी किसी ने ऐसा करने की नहीं सोची थी। उल्टा काफ़ी लोगों ने इसमें जोखिम का तर्क देते होते हुए सैयद ओवैस को ऐसा न करने की सलाह दी थी।
तरक्की के लिए जोखिम उठाया
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले के पछार गांव के डॉ. सैयद ओवैस कहते हैं:
“तब कुछ लोग मेरे सामने तो कुछ पीठ पीछे मेरे इस प्लान को बेफकूफी बताते थे, लेकिन मेरे शुरू करने के बाद कामयाबी को देखते हुए दो ढाई साल में ही आज की तारीख में आसपास ऐसे 15-20 प्लांट लग गए हैं।”
विज्ञान के छात्र रहे सैयद ओवैस ने पढ़ाई-लिखाई के कारण जहां अच्छा खासा ज्ञान हासिल किया वहीं देश में अलग-अलग हिस्सों में घूमकर, खेती-बाड़ी से जुड़े सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और मंडियों में जाने के शौक ने उनकी समझ को ऐसा विकसित किया कि आज वो एक तरह से सेब के विशेषज्ञ ही बन गए हैं। यही वजह थी कि इस मध्यम वर्गीय बागान मालिक ने आधुनिक प्लांट खरीदने में 50 लाख रुपये खर्च कर डाले। लिहाज़ा अपने इलाके में कइयों के लिए मिसाल बने सैयद ओवैस का हौंसला बढ़ाने और प्लांट का उद्घाटन करने जम्मू-कश्मीर के बागवानी विभाग के निदेशक एजाज़ भट खुद आए भी थे। ये 2021 की बात है। डॉ. ओवैस की तब उम्र थी 28 साल थी। वालिद का साया सिर से हट चुका था और अपनी पीढ़ी में घर का सबसे बड़ा बेटा होने के नाते घर की ज़िम्मेदारी भी उनके सिर पर आ गई थी। ऐसे में भी न सिर्फ़ सब कुछ संभाला, बल्कि काम को भी अगले स्तर पर पहुंचा दिया।
नई सोच ने बदले हालात
ज़रूरत ही आविष्कार की जननी वाली कहावत डॉ. सैयद ओवैस फ़िरोज़ की इस योजना के पीछे फिट बैठती है, जिसके ज़रिये उन्होंने अपना कारोबार ही सिर्फ़ नहीं बढ़ाया बल्कि सेब के व्यवसाय और बागवानी से जुड़े कई लोगों की आमदनी बढ़ाने में मदद की। साथ ही इसी के बूते 35 लोगों को अपने प्लांट में काम पर रखा हुआ है। सैयद ओवैस कहते हैं कि उनके दादा के ज़माने में जब उनके बाग के सेब से भरी पेटियां दिल्ली समेत कई मंडियों में पहुँचती थीं, तो कई दफ़ा उनके दादा उन पेटियों से अपना ताल्लुक होने तक की बात से इनकार कर देते थे। वजह ये थी कि ताज़ा तोड़े गए शानदार सेब ट्रकों में लदकर जब तक दिल्ली या दूर की मंडी में पहुँचते थे तब तक काफ़ी दिन हो जाते थे। उस पर पैकिंग भी सेब को पूरी तरह सुरक्षित रखने वाली नहीं होती थी। ऐसे हालत में अच्छे खासे सेब खस्ताहाल हो जाया करते थे। आज भी कश्मीर के ज़्यादातर किसान उसी ढर्रे पर चल रहे हैं। थोडा बहुत अगर फर्क आया है तो ये कि पैकिंग के लिए कुछ बागान वाले सेब को गत्ते के डिब्बों में भी भरने लगे हैं। लेकिन डॉ. सैयद ओवैस ने हालात को एकदम बदलने की सोची।
डॉ. सैयद ओवैस के तकरीबन 6 कनाल के बाग से हर सीज़न में सेब की 1000 पेटियां निकलती हैं। 2021 में उन्होंने ऐसा ग्रेडिंग प्लांट लगाया, जिससे सेब की धुलाई, ब्रशिंग और सूखने के बाद उनकी आकार के हिसाब से ऑटोमेटिक छंटाई होती है। एक बॉक्स में एक ही आकार के सेब की परत होती है और हरेक परत के बीच में रिसाइकिल कागज़ या लुगदी से तैयार नर्म ट्रे होती है। इस तरीके से न सिर्फ़ सेब साफ़ और चमकदार होता है, बल्कि उसे सुरक्षित तरीके से पैक करके आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इस तरह की पैकिंग करते समय सेब का बड़ा डंठल काटने के लिए ‘कैंची’ की प्रक्रिया अपनाने की ज़रूरत नहीं होती। लिहाज़ा समय की बचत तो होती ही है, लम्बे डंठल के कारण सेब जल्दी खराब नहीं होता और ज़्यादा समय तक उसकी क्वालिटी बनी रहती है। लिहाज़ा ऐसे पैक हुए सेब की कीमत भी व्यापारी हाथों हाथ लेता है और कीमत भी ज़्यादा देता है। ‘ग्रेडिंग लाइन’ कहे जाने वाले ऐसे प्लांट आमतौर पर कंट्रोल्ड एटमॉस्फेयर स्टोर में रखे जाते हैं, जिन्हें सी ए स्टोर या कोल्ड स्टोर भी कहा जाता है। इस इलाके में सैयद ओवैस ऐसे पहले किसान हैं जिन्होंने सीए स्टोर की ग्रेडिंग प्रक्रिया को अलग से स्थापित करने की सोची।
पैकिंग में बदलाव से सबको फ़ायदा
यही नहीं डॉ. सैयद ओवैस ने परम्परागत 18-20 किलो की सेब की पैकिंग से हट कर 10 किलो की पैकिंग शुरू की। इस सीज़न में वे 5 किलों वाली पैकिंग भी शुरू करने वाले हैं। वो कहते हैं कि कम वजन वाली पैकिंग ज़्यादा सुरक्षित होती है। उसमें फल की एक या दो परत ही होती हैं इसलिए ग्राहक (उपभोक्ता) भी खरीदते वक्त आसानी से जांच परख कर सकता है। यानि धोखे की गुंजाइश खत्म हो जाती है। भले ही परम्परागत तरीके से लेबर के ज़रिये पैकिंग कराने के मुकाबले ग्रेडिंग लाइन से पैकिंग कराना तकरीबन 100 रूपये प्रति पेटी महंगा पड़ता है, लेकिन इससे समय की बचत होती है। ज़्यादा ताज़े फल मंडी या व्यापारी/उपभोक्ता तक पहुंचते हैं। क्वालिटी अच्छी होने के कारण 15 से 20 फ़ीसदी कीमत ज़्यादा मिलती है। वैसे सेब बागान के मालिक अब धीरे-धीरे ग्रेडिंग लाइन से पैकिंग की तरफ़ आ रहे हैं।
युवा किसान के नए प्लान
डॉ. सैयद अब बड़े फख्र के साथ अन्य बागान मालिकों की फसल पैकिंग करते हैं और अपने प्लांट की पैकिंग को पॉपुलर करने के लिए उन्होंने बॉक्स पर अपनी ब्रांडिंग तक की है। पैकिंग के दौरान क्वालिटी से वे किसी तरह का समझौता नहीं करते। इसका फ़ायदा ये होता है कि व्यापारी पेटी को देखकर ही अंदाजा लगा सकता है कि उसके भीतर अच्छा फल ही होगा। लिहाज़ा वो किसान को अच्छा दाम देता है। अब डॉ. सैयद ऑनलाइन बिज़नेस की तरफ़ भी कदम बढ़ाने पर सोच रहे हैं। वहीं उनका एक प्लान 70 से 80 हज़ार पेटियों की क्षमता वाला सीए स्टोर बनाने का भी है। वे कहते हैं कि 6 चैम्बर वाले ऐसे स्टोर के निर्माण पर 3 से 4 करोड़ रूपये का खर्च आता है। डॉ. सैयद ओवैस कहते हैं कि ऐसा करने के बाद वे उन कर्मचारियों को साल भर काम दे पायेंगे, जो फिलहाल सीज़न के 4 महीने ही काम कर पाते हैं। ज़्यादातर सेब की फसल जुलाई से नवंबर के बीच पेड़ों से उतार ली जाती है और इन्हीं दिनों में पैकिंग का काम होता है। लिहाज़ा अभी पैकिंग कर्मी ठेके पर रखे जाते हैं। जब साल भर काम चलेगा तो कर्मचारियों में भी स्थायित्व आ जाएगा।
डॉ. सैयद ओवैस का कहना है कि वो लम्बे समय से सुन रहे हैं कि इस तरह के प्लांट लगाने और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए मशीनें आदि खरीदने पर सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलेगी, लेकिन उनके मामले में अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, उनका कहना है कि कुछ ही अरसा पहले जावेद अहमद भट के पुलवामा ज़िले के मुख्य बागवानी अधिकारी का कार्यभार सम्भालने के बाद उनको हॉर्टिकल्चर ऑफिस से इस बाबत फोन पर आश्वासन ज़रूर मिला है। ये सब्सिडी सम्भवत 25 फ़ीसदी की होगी।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
![मंडी भाव की जानकारी](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/05/mandi728.webp)
ये भी पढ़ें:
- Equipments For Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों के बारे मेंहाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
- Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्सपोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
- Budget 2024: Agriculture Sector में सरकार की मुख्य घोषणाएं, कृषि क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरीइस साल कृषि क्षेत्र के लिए बजट (Budget 2024) को बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। जानिए आम बजट 2024 में कृषि क्षेत्र के लिए मुख्य ऐलान।
- National Mango Day 2024: मल्लिका, आम्रपाली और प्रतिभा समेत पूसा की उन्नत आम की किस्मेंहमारे देश में लगभग 1500 से अधिक आम की किस्में (Mango Varieties) पाई जाती हैं, जो उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैली हुई हैं।
- Sheep Farming Tips: भेड़ों की देखभाल और प्रबंधन के उन्नत तरीकेभेड़ पालन में सफलता के लिए साफ-सुथरा और सुरक्षित आवास, पोषक आहार और नियमित टीकाकरण, ज़रूरी है। यहां हम भेड़ पालन के टिप्स (Sheep Farming Tips) शेयर कर रहे हैं।
- Tuber Crops Cultivation: जानिए कंद फसलों की खेती से जुड़ी जानकारी और कमाएं मुनाफ़ाकंद फसलों की खेती (Tuber Crops Cultivation), जैसे आलू और शकरकंद, किसानों के लिए लाभकारी है। ये पौष्टिक, उच्च मूल्य वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली होती हैं।
- Nutritional Balance In Livestock Feed: पशुओं के लिए संतुलित आहार कैसा हो?पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन (Nutritional Balance In Livestock Feed) उनकी सेहत, उत्पादकता, रोग प्रतिरोधकता और पशुपालकों के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है।
- Millet Business Ideas: FPO OTLO के मिलेट्स व्यवसाय से जुड़े 4 हज़ार किसान और महिलाओं को रोज़गारबहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग ज़िले में काम कर रहा है।
- Balanced Diet For Livestock: जन्म से लेकर गर्भावस्था तक क्यों ज़रूरी पशुओं के लिए संतुलित आहार? जानिए हरविंदर सिंह सेपशुओं के लिए संतुलित आहार (Balanced Diet For Livestock) से पशुपालक न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि दूध का भी बंपर उत्पादन भी ले सकते हैं।
- Fish farming Practices: तालाब बनाने से लेकर मछलियों के बीज और बाज़ार भाव पर विनीत सिंह से बातमछली पालन में उन्नत प्रबंधन (Advanced Management in Fisheries) शामिल करता है: स्वच्छ जल और आहार प्रबंधन, रोग नियंत्रण, प्रौद्योगिकी उपयोग, और सरकारी योजनाएं।
- Live Fish Packing: भारत का पहली लाइव फ़िश यूनिट! वंदना का मंत्र, अच्छा दाना और भरपूर ऑक्सीजनलाइव फ़िश पैकिंग तकनीक (Live Fish Packing Technique) मछलियों को जीवित रखते हुए पैक और परिवहन करने की प्रक्रिया है, जिससे वो लंबे समय तक ताज़ी रह सकती हैं।
- जैविक खेती के तरीके: बागपत के इस किसान ने Multilayer Farming का बेहतरीन मॉडल अपनायाविनीत चौहान ने 5 साल पहले बागवानी की शुरुआत की। वो पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques) अपनाते हुए ऑर्गेनिक उत्पादन लेते हैं।
- Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ़्रूट फ़ार्मिंग में कितनी लागत और क्या है बाज़ार? जानें किसान सुनील सेड्रैगन फ़्रूट की खेती में लागत और लाभ की बात करें तो किसानों को पहला उत्पादन तीन से चार लाख रुपये का मिलता है। एक एकड़ से 4 से 5 टन का उत्पादन मिल जाता है।
- Vegetable Nursery Guide: सब्ज़ियों की नर्सरी कैसे तैयार कर सकते हैं? जानिए नसीर अहमद सेकिसान नसीर अहमद पिछले करीब 5-6 सालों से सब्ज़ियों की नर्सरी (Vegetable Nursery Business) का बिज़नेस कर रहे हैं। सब्ज़ियों की नर्सरी से जुड़ी कई अहम बातें उन्होंने बताईं।
- Barley Cultivation Variety: जौ की उपज दोगुनी करने वाली नयी किस्म है DWRB-219भारतीय गेहूं और जौ अनुसन्धान संस्थान ने जौ की उपज की DWRB-219 किस्म ईज़ाद की है, जिसकी पैदावार परम्परागत किस्मों के मुक़ाबले दोगुनी है।
- Allelochemical Weed Management: कपास की खेती में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली से खरपतवार नियंत्रणकपास की फ़सल को खरपतवार से सुरक्षित रखने में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली (Intercropping System) की तकनीक बेहद उपयोगी और किफ़ायती साबित होती है।
- यहां से लें Pearl Farming की ट्रेनिंग, आवेदन करने की ये है आखिरी तारीख़ICAR- Central Institute Of Freshwater Aquaculture, Bhubaneswar (CIFA) मीठे पानी में मोती पालन (Pearl Farming) के राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- Drip Irrigation Technique: पानी और पैसा दोनों बचाएं ड्रिप इरिगेशन से, जानें टपक सिंचाई तकनीक के फ़ायदेड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) एक अत्याधुनिक सिंचाई तकनीक है जो पानी की बचत और फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
- Crop Rotation In Agriculture: जानिए क्यों अहम है खरीफ़ मौसम में उन्नत फ़सल चक्रखरीफ़ मौसम के दौरान कृषि में फ़सल चक्र (Crop rotation in agriculture) अपनाकर किसान अपने खेत को कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं।
- खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में कितनी हुई बढ़ोतरी?भारत सरकार अपने बफ़र स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है।