क्या है अनार की खेती में वायु दाब तकनीक? जानिए कैसे तैयार करें पौधा ताकि बढ़े उत्पादन

अनार की खेती पौध तैयार करके की जाती है। बीज के अलावा, कलम से और वायु दाब तकनीक से भी इसके पौधे तैयार किए जा सकते हैं। जानिए अनार की खेती में वायु दाब तकनीक के बारे में।

अनार की खेती

अनार की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे ज़्यादा की जाती है। इसके अच्छे उत्पादन के लिए गर्म और थोड़े शुष्क जलवायु की ज़रूरत होती है। इसके उत्पादन के लिए बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए कम पानी वाले इलाकों में भी अनार की खेती की जा सकती है। चूंकि अनार की बा़ज़ार में मांग पूरे साल बनी रहती हैं, इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए हमेशा फ़ायदेमंद होती है।

अनार हमारे देश की एक प्रमुख बागवानी फसल है। अनार का पौधा तीन से चार साल में पेड़ बन जाता है और फल देने लगता है। अनार का एक पौधा करीब 25 सालों तक फल देता है। अनार की खेती आमतौर पर नर्सरी में पौध तैयार करके की जाती है, लेकिन किसान बायु दाब तकनीक से भी इसकी पौध तैयार कर सकते हैं, जो बीज से उगे पौधों की तुलना में जल्दी उत्पादन देने लगते हैं।

अनार की खेती में वायु दाब तकनीक pomegranate farming
तस्वीर साभार: nnp.nhb

अनार की खेती

अनार की फसल बलुई दोमट में सबसे अच्छी होती है। इसके अलावा, रेतीली मिट्टी में भी अनार की बागवानी हो सकती है, लेकिन इसके लिए उर्वरक का सही प्रबंधन ज़रूरी है। अनार की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए। अनार के पौधों की रोपाई जुलाई से अगस्त के बीच करना सबसे अच्छा रहता है। अगर सिंचाई की पर्याप्त सुविधा है तो फरवरी-मार्च के बीच भी रोपाई की जा सकती है, लेकिन कलम से पौधा लगाने के लिए रोपाई बरसात के मौसम में ही करनी चाहिए। इसकी सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक अच्छी होती है।

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अनार की खेती
अनार की खेती – तस्वीर साभार: icar

वायु दाब तकनीक से तैयार करें पौध

वायु दाब बहुत ही बेहतरनी तकनीक है जिसकी मदद से आप अनार के पेड़ से कई पौध तैयार करके अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इसके लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता के अनार के पेड़ का चुनाव करें ताकि नई पौध में भी उसके गुण आ जाएं। इस तकनीक में सबसे पहले पेड़ की उस शाखा को लें जो एक साल पुरानी है और जिसकी मोटाई पेंसिल जितनी हो। चुनी हुई शाखा के आधार से लगभग 10 से 15 सें.मी. दूरी पर, 2.5 से 3 सें. मी. (गर्डलिंग) आकार में छाल को हटाया जाता है। फिर इस हिस्से को नम मॉस घास का उपयोग कर ढक दिया जाता है। इससे नमी लंबे समय तक बनी रहती है।

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इसके बाद मॉस घास को पतली ट्रांसपेरेंट पॉलीथिन से ढककर बांध दिया जाता है। करीब 2-3 महीने बाद पॉलीथिन पट्टी से जड़ें दिखाई देने लगती हैं। फिर नई उगी जड़ों को कटान लगाकर मुख्य पेड़ से अलग कर लिया जाता है और उसे नर्सरी में मिट्टी में लगा दिया जाता है, जहां पौधों की सही देखभाल की जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल जुलाई-अगस्त में ही करना चाहिए, क्योंकि तब मौसम में नमी अधिक होती है जिससे सौ फ़ीसदी सफलता मिलती है।

अनार की खेती में वायु दाब तकनीक pomegranate farming 2
अनार की खेती- तस्वीर साभार: icar

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वायु दाब तकनीक के फ़ायदे

इस विधि से तैयार पौधे बीज से उत्पन्न पौधों की तुलना में जल्दी और अधिक उत्पादन देते हैं। अधिक उत्पादन वाले और अच्छी गुणवत्ता वाले पेड़ का चुनाव करने पर तैयार पौध में भी वो गुण आ जाते हैं।

ध्यान रखने वाली बातें

– वायु दाब विधि के लिए ऐसे पेड़ की शाखा का चुनाव करें जिसमें कोई रोग न हो।
– शाखा से छाल काटते समय ध्यान रखें कि कट सिर्फ छाल में ही हो, लकड़ी में कट न लगे।
– स्फैगनम मॉस घास का इस्तेमाल करने से पहले उसे पानी से अच्छी तरह भिगो लें ताकि नमी बनी रहे।
– कटी हुई शाखा पर घास लगाने के बाद प्लास्टिक से ढककर उसे सुतली से अच्छी तरह बांध दें ताकि घास उस जगह से हिले नहीं।
– वायु दाब वाले स्थान से अच्छी तरह जड़ निकलने के बाद ही उसे मुख्य पौधे से अलग करें।

अनार की खेती में वायु दाब तकनीक pomegranate farming 2
अनार की खेती- तस्वीर साभार: icar

अनार के पौष्टिक तत्व

अनार बहुत ही पौष्टिक फल है। इसमें फाइबर, विटामिन के, सी और बी, आयरन, पोटैशियम, जिंक और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसलिए अनार की मांग बहुत अधिक है। अनार के फल और पौधों के अर्क का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है।

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