आलू के बीज उत्पादन में टिश्यू कल्चर तकनीक क्यों कारगर? जानिए तकनीक और नेट हाउस के फ़ायदे

आलू की खेती में अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो स्वस्थ बीजों का होना बहुत ज़रूरी है। पारंपरिक रूप से खेती में फसल के रोगग्रस्त होने की आशंका रहती है। ऐसे में नेट हाउस में आलू के बीज उत्पादन से किसानों को क्या होगा, जानिए इस लेख में।

आलू के बीज उत्पादन

आलू उत्पादन के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन स्वस्थ बीजों की कमी लागतार बनी हुई है। आलू की खपत भी देश में बहुत है, क्योंकि आलू एक ऐसी सब्ज़ी है, जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। ऐसे में आलू का उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत है और इसके लिए ज़रूरी है स्वस्थ बीजों की। अधिकांश किसान आलू का उत्पादन सिर्फ़ बेचने के लिए करते हैं, लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता कि आलू के बीज उत्पादन से भी वो अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। बशर्ते इसे हाई टेक तकनीक से उगाया जाए।

आलू के बीज उत्पादन में टिश्यू कल्चर तकनीक का इस्तेमाल

पारंपरिक रुप से आलू की खेती में कीट और रोगों के कारण आधी फसल खराब हो जाती है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि नेट हाउस में टिश्यू कल्चर तकनीक अपनाकर किसान आलू बीज उत्पादन कर सकते हैं और इससे संक्रमण मुक्त बीज प्राप्त होगा।

आलू के बीज उत्पादन
तस्वीर साभार-outlookindia

आलू के बीज उत्पादन में टिश्यू कल्चर तकनीक क्या है?

ये आलू के बीज उत्पादन की हाई टेक तकनीक है। दरअसल, सबसे पहले 1970 में केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला में इस तकनीक को अपनाया गया। आलू की अच्छी और रोग मुक्त प्रजातियां तैयार की गईं। इस तकनीक में पौधे के किसी भी भाग से टिश्यू लेकर उसे एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है। फिर उसे कल्चर सॉल्यूशन में ट्रांसप्लांट किया जाता है। जिसके करीब बीस दिन बाद पौधा तैयार हो जाता है। फिर इन पौधों को निकालकर नेट हाउस में रखा जाता है। जहां इन्हें ग्रोथ ट्रे में कोकपीट में लगाया जाता है और नेट हाउस का तापमान 20 से 25 डिग्री रखा जाता है। जब पौधे थोड़े मज़बूत हो जाते हैं तो फिर उन्हें खेत में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। एक एकड़ में करीब दो लाख पौधे लगाए जा सकते हैं।

संक्रमण से फसल को नुकसान

चेपा रोग और सफेद मक्खी जैसे कीट आलू की फसल को धीरे-धीरे पूरी तरह से संक्रमित कर देते हैं। इससे बीज उत्पादन 50 फ़ीसदी तक प्रभावित होता है। कीटों से बचने के लिए किसान जमकर कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है और मुनाफ़ा कम हो जाता है। ऐसे में किसानों को अधिक मुनाफ़ा दिलाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने नेट हाउस में आलू के बीज उत्पादन करने की सलाह दी।

नेट हाउस के ज़रिए किसान एक बार संक्रमण रहित बीज तैयार करके उसे गुणन करके बढ़ा सकते हैं। नेट हाउस में खेती करने पर बाहरी कीटों का भी खतरा नहीं रहता है जिससे बीज कई साल तक संक्रमण मुक्त रहते हैं।

आलू के बीज उत्पादन
तस्वीर साभार-hotcore

आलू के बीज उत्पादन में टिश्यू कल्चर तकनीक क्यों कारगर? जानिए तकनीक और नेट हाउस के फ़ायदे

नेट हाउस में रखें इन बातों का ध्यान

नेट हाउस में दो दरवाजे होने चाहिए, जो जिप लॉक प्रणाली से बंद होने चाहिए। सिंचाई के लिए टपक तकनीक का उपयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि नेट हाउस की जाली नायलॉन की हो। आप चाहें तो परमानेंट और टेम्परेरी किसी भी तरह की जाली लगा सकते हैं, लेकिन परमानेंट जाली की क्वालिटी अच्छी होती है और एक बार लगाने के बाद ये तीन साल तक चलती है।

नेट हाउस में खेती से लगातार आलू की दो फसलें प्राप्त की जा सकती है, जो खुले खेत में संभव नहीं है। नेट हाउस में कैनोपी प्रबंधन के ज़रिए छोटे कंद की संख्या कम की जा सकती है।

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