Cumin Varieties: जानिए जीरे की उन्नत किस्मों के बारे में, जिन्हें उगाकर किसान अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं

जीरे की खेती के लिए शुष्क व ठंडा मौसम उपयुक्त

जीरा मसाले की अहम फसल है, जिसके बिना रसोई अधूरी है। जीरे का इस्तेमाल सभी तरह की सब्जियों में किया जाता है, इसलिए इसकी मांग हमेशा रहती है। ऐसे में किसान जीरे की उन्नत किस्मों की खेती कर अपनी आमदनी में इज़ाफा कर सकते हैं।

जीरे के छौंक के बिना सब्जी अधूरी सी है। भारत में 80 प्रतिशत जीरे की खेती केवल गुजरात और राजस्थान में ही की जाती है। यह पार्स्ले परिवार का पौधा है, जिसकी लंबाई 20-30 सेंटीमीटर होती है। इसके तने में कई शाखाएं होती हैं। दाल, सब्ज़ी, छाछ, दही का स्वाद बढ़ाने वाला जीरा सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी है। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है।  साथ ही फाइबर, आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक व मैग्नीशियम जैसे तत्वों का भी ये अच्छा स्रोत है। आयुर्वेद में जीरे को सेहत के लिए फ़ायदेमंद बताया गया है। जीरे की मांग पूरे साल बनी रहती है। ऐसे में किसान जीरे की उन्नत किस्में उगाकर अच्छी आय कमा सकते हैं। हम आपको इस लेख में जीरे की उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं।

तस्वीर साभार- indiamart

जीरे की उन्नत किस्में

CZC-94: ये किस्म 90 से 100 दिनों में ही तैयार हो जाती है। CZC-94 किस्म को कम समय में तैयार होने के कारण सिंचाई की भी कम ज़रूरत पड़ती है। नई किस्म CZC-94 जल्दी तैयार हो जाती है, तो इसमें कीटनाशकों का छिड़काव भी कम करना पड़ता है। नई किस्म में 2 से 3 बार ही कीटनाशक स्प्रे करना पड़ता है।

जीरे की उन्नत किस्मों cumin varieties
जीरे की CZC-94 किस्म

आर जेड-19: 120-125 दिन में पककर तैयार होने वाली जीरे की इस किस्म में उखटा, छाछिया व झुलसा जैसे रोग लगने की संभावना कम होती है। इसकी पैदावार की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 9 से 11 क्विंटल तक फसल प्राप्त होती है। इस किस्म के दाने आकर्षक व भूरे रंग के होते हैं। यह किस्म राजस्थान के सभी इलाकों के लिए उपयुक्त है।

आर जेड-209: इस किस्म के दाने बड़े और गहरे भूरे होते हैं। यह भी 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 7-8 क्विंटल तक फसल प्राप्त होती है। आर जेड-19 की तुलना में इस पर छाछिया व झुलसा रोग का प्रकोप कम होता है।

जी सी-4: जीरे की इस किस्म के दाने आकर्षक, सुडौल व बड़े होते हैं। यह किस्म 105 से 110 दिन में ही पककर तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 7-9 क्विंटल का उत्पादन देती है। यह किस्म उखटा रोग के प्रति संवेदशील है।

आर जेड-223: इस किस्म के दाने आकर्षक व लंबे होते हैं। इसके पौधे में अधिक शाखाएं व अधिक अम्बल होते हैं। यह किस्म 110-115 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 6-8 क्विंटल का उत्पादन देती है। इसके बीज में तेल की मात्रा 3.25% होती है। इस किस्म पर उखटा रोग का प्रभाव नहीं होता।

तस्वीर साभार- agrifarming

जीरे की खेती के लिए ज़रूरी बातें

जीरे की उपज हल्की और दोमट मिट्टी में अच्छी होती है। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। खेत की जुताई करने के साथ ही खरपतवारों को भी निकालकर साफ कर लेना चाहिए। जहां तक बुवाई का सवाल है तो यह नवंबर मध्य से शुरू होकर महीने के अंत तक की जाती है। बुवाई से पहले जीरे के बीज को उपचारित कर लें ताकि अच्छी किस्म की फसल प्राप्त हो। जीरे की बुवाई के लिए खेत में क्यारियां बनाकर इसके बीजों को छिड़का जाता है। फिर उसे मिट्टी में मिलाया जाता है ताकि बीज पर मिट्टी की परत चढ़ी रहे।

जीरे की उन्नत किस्मों cumin varieties
तस्वीर साभार: Krishi Vigyan Kendra Mehsana

जीरे की खेती के लिए शुष्क व ठंडा मौसम उपयुक्त होता है। इसकी अच्छी खेती के लिए तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक व 10 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए, वरना जीरे का अंकुरण सही तरीके से नहीं होगा।

जीरे के खेत में फव्वारा विधि से सिंचाई करना अच्छा होता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दाना पकने पर जीरे की फसल में सिंचाई न करें, वरना बीज हल्के हो जाते हैं। साथ ही रोगों के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए जिस खेत में पिछले साल जीरा बोया था, उसमें अगले साल जीरा न लगाएं।

ये भी पढ़ें- कलौंजी की खेती (Black Cumin Cultivation): इस नकदी फसल की हैं कई खूबियाँ, जानिए इसके बारे में सब कुछ

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

 

ये भी पढ़ें:

 
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.