हरजीत सिंह ग्रेवाल से जानिए बीज उत्पादन के टिप्स, व्यवसाय करने पर मिलती है सब्सिडी, Seed Production Tips
ब्रांडेड कंपनियों से कम दरों में किसानों को देते हैं बीज, 10 करोड़ से ऊपर का है सालाना टर्नओवर
हरजीत सिंह ग्रेवाल ने किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन करने के लिए बढ़ावा दिया। कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के ज़रिए बीज उत्पादन कार्य से 100 से ऊपर किसानों को जोड़ा हुआ है।
किसानों की आमदनी में सुधार और लोगों की थाली तक स्वच्छ भोजन पहुंचाने के मिशन के साथ हरजीत सिंह ग्रेवाल काम कर रहे हैं। खुद कृषि परिवार से आने वाले हरजीत सिंह ग्रेवाल का शुरू से ही रुझान खेती-किसानी की तरफ़ था। सीड साइंस एंड टेक्नॉलजी में मास्टर डिग्री होल्डर हरजीत सिंह ने कॉलेज में रहते हुए ही सीड उत्पादन के क्षेत्र में उतरने का मन बना लिया था। कॉलेज पूरा होने के बाद उन्होंने एक सीड प्रोडक्शन कंपनी में काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न खुद की ही बीज उत्पादन की प्रोसेसिंग यूनिट खोलकर किसानों को बड़े पैमाने पर इससे जोड़ा जाए। किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बीज उत्पादन से जुड़ी कई बातें बताईं।
जुड़े हुए हैं 100 से ऊपर किसान
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के नवादा कलां गाँव के रहने वाले हरजीत सिंह ने 10 बीघा ज़मीन से बीज उत्पादन की शुरुआत की। उन्होंने किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन करने के लिए बढ़ावा दिया। कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के ज़रिए 100 से ऊपर किसानों को उन्होंने अपने इस बीज उत्पादन कार्य से जोड़ा हुआ है।
200 गांवों के हज़ारों किसान सीधा खरीदते हैं बीज
आज किसानों के बीच वो एक ईमानदार बीज उत्पादक के रूप में जाने जाते हैं। आज उनके क्षेत्र के 200 गांवों के हज़ार से ऊपर किसान उनसे जुड़े हुए हैं। ये किसान सीधा उनसे बीज खरीदते हैं और हरजीत सिंह ज़रूरत पड़ने पर उन्हें बीज रोपाई से जुड़ी ट्रेनिंग भी देते हैं। 10 लोगों की टीम के साथ मिलकर हरजीत सिंह बीज उत्पादन की बागडोर संभालते हैं। कभी दस बीघे से शुरू हुआ उनका बीज उत्पादन का व्यवसाय आज एक हज़ार एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर नाबार्ड, हापुड़ ने भी उन्हें एक सफल कृषि उद्यमी के रूप में सम्मानित किया है।

सालाना टर्नओवर लगभग 10 करोड़
पढ़ाई के दौरान ही हरजीत सिंह ने Indian Agricultural Research Institute (IARI) से इंटर्नशिप की और बीज के पैदावार की बारीकियों के बारे में जाना। इसके अलावा, एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर से भी उन्होंने ट्रेनिंग ली। आज की तारीख में उनकी कंपनी हरजीत सिंह युनीक हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड का सालाना टर्नओवर लगभग 10 करोड़ के आस-पास का है।
हरजीत सिंह की सलाह क्षेत्र के हिसाब से करें चुनाव
हरजीत सिंह ने बातचीत में बताया कि जो किसान बड़े पैमाने पर बीज उत्पादन की शुरुआत करना चाहते हैं, वो अपने क्षेत्र के हिसाब से कौन से बीज का उत्पादन सही रहेगा, इसके बारे में रिसर्च करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग फसलों पर ज़ोर दिया जाता है। उदाहरण देते हुए हरजीत सिंह बताते हैं कि जैसे उत्तर प्रदेश में गेहूं, गन्ना और आलू की खेती पर ज़ोर दिया जाता है, हरियाणा और राजस्थान में कपास का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है।
क्षेत्र के मुताबिक बाज़ार में किन उत्पादों या फसलों की ज़्यादा मांग और क्या दाम है, इसके बारे में पता करें। वहीं छोटे स्तर पर किसान आपस में समूह बनाकर कम लागत में इसकी शुरुआत कर सकते हैं। छोटे स्तर पर शुरू करने पर भी इसमें अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
बीज उत्पादन पर मिलती है सब्सिडी
बीज उत्पादन के क्षेत्र में हरजीत सिंह का शुरुआती निवेश 5 लाख के आसपास था। नाबार्ड की एक स्कीम के तहत इस पर सब्सिडी भी मिलती है। हरजीत सिंह ग्रेवाल बताते हैं कि नाबार्ड के एग्री क्लिनिक और एग्री बिज़नेस सेंटर से ट्रेनिंग लेने के बाद, आप लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। हरजीत सिंह बताते हैं कि सामान्य वर्ग की श्रेणी के लिए सब्सिडी की रकम करीबन 35 फ़ीसदी है और एससी वर्ग के लिए 40 फ़ीसदी है। ज़्यादा जानकारी के लिए किसान अपने नज़दीकी नाबार्ड कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
पूरे भारत में करते हैं बीज की सप्लाई
देश के किसी भी क्षेत्र के किसान उनसे बीज खरीद सकते हैं। अभी सब्जियों के बीज उनके पास उपलब्ध हैं। जल्द ही सरसों, गेंहू और धान के बीज भी किसानों के लिए उपलब्ध कराएंगे। हरजीत सिंह ने बताया कि उनके वहां जिन बीजों का उत्पादन किया जाता है, वो ब्रांडेड कंपनियों के मुकाबले कम दर में किसानों को देते हैं। क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता है। वो किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन के लिए ट्रेनिंग भी देते हैं।

ये भी पढ़ें: बीज अंकुरण परीक्षण (Seed Germination Test): खेती की कमाई बढ़ाने के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें टेस्टिंग
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day): महिला किसान ने अपने बलबूते पर खड़ा किया डेयरी फ़ार्म (Dairy Farm), रोज़ाना 1200 लीटर दूध का उत्पादनदूध का उत्पादन, डेयरी व्यवसाय किसानों के लिए किस तरह फ़ायदे का बिज़नेस बन रहा है, इसको लेकर महिला किसान सरनजीत कौर ने किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत की। जानिए डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से जुड़ी उनकी कई सलाहों के बारे में।
- लाख कीट पालन: अरहर पर लाख कीट पालन है मुनाफ़े का सौदा, जानिए इसका तरीकालाख एक कीट है जिसकी खेती आमतौर पर पालस, कुसुम और बेर के पेड़ों पर की जाती है। अरहर पर लाख कीट पालन अन्य पेड़ों की अपेक्षा आसान है और बिना अधिक मेहनत के किसान इससे अतिरिक्त मुनाफ़ा प्राप्त कर सकते हैं।
- सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) से आत्मनिर्भर बन रहीं लक्षद्वीप (Lakshadweep) की महिलाएंबिखरे हुए द्वीपों वाले लक्षद्वीप में मछली पालन के अलावा, ख़ास तौर पर महिलाओं के लिए, वैकल्पिक आय का कोई स्रोत नहीं था। अब ICAR-NBFGR ने सजावटी झींगा पालन के रूप में उन्हें आजीविका का नया साधन दिया है।
- Liquid Nanoclay Technology: कैसे लिक्विड नैनोक्ले तकनीक रेतिली ज़मीन को बना रही उपजाऊ?कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों में से एक है नैनोक्ले तकनीक, जिसकी बदौलत रेगिस्तान में भी रसीले फल व सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग यूएई में हो चुका है।
- सरोगेसी यानी भ्रूण स्थानांतरण तकनीक (Embryo transfer technology) से हुआ देश के पहले मारवाड़ी घोड़े का जन्मदेश में घोड़ों की संख्या में पिछले कुछ सालों में बहुत कमी आई है। इसीलिए वैज्ञानिक घोड़ों, खासकर देसी नस्ल के घोड़ों की संख्या बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्हें भ्रूण स्थानांतरण तकनीक से एक बड़ी सफ़लता मिली है।
- रोटरी डिस्क ड्रिल (Rotary Disc Drill) – फ़सल कटाई के बाद पराली और अवशेष प्रबंधन का कारगर और दमदार उपकरणउत्तर भारत में फ़सल अवशेषों या पराली जलाना एक गंभीर समस्या है, जिससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए ICAR ने रोटरी डिस्क ड्रिल (RDD) मशीन बनाई है। इसकी मदद से बिना पराली जलाए, फ़सलों की सीधी बुवाई की जा सकती है।
- Mushroom Processing: कैसे होती है मशरूम की व्यावसायिक प्रोसेसिंग? जानिए घर में मशरूम कैसे होगा तैयार?मशरूम उत्पादक किसान यदि ख़ुद अपनी मशरूम का सेवन करना चाहें तो वो क्या करें? इन किसानों के लिए शहरों से प्रोसेस्ड मशरूम को ख़रीदकर लाना और फिर उसका इस्तेमाल करना व्यावहारिक नहीं होता। इसीलिए, यदि वो अपने घरों में ही मशरूम की प्रोसेसिंग करना सीख लें तो अपनी निजी ज़रूरतों के अलावा वो रिश्तेदारों और मेहमानों वग़ैरह को भी प्रोसेस्ड मशरूम मुहैया करवा सकते हैं।
- जानिए क्यों महाराष्ट्र की इस महिला किसान को लोगों ने दिया ‘लेडी प्लांट डॉक्टर’ का ख़िताब!महाराष्ट्र के अहमद नगर ज़िले की रहने वाली कविता प्रवीण जाधव का शुरू से ही खेती के प्रति लगाव था। उन्होंने किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए कई अहम कदम उठाए। आज उनके साथ कई महिला किसान जुड़ी हुई हैं।
- जानिए, क्यों अनुपम है बायोचार (Biochar) यानी मिट्टी को उपजाऊ बनाने की घरेलू और वैज्ञानिक विधि?बायोचार के इस्तेमाल से मिट्टी के गुणों में सुधार का सीधा असर फसल और उपज में नज़र आता है। इससे किसानों की रासायनिक खाद पर निर्भरता और खेती की लागत घटती है। लिहाज़ा, बायोचार को किसानों की आमदनी बढ़ाने का आसान और अहम ज़रिया माना गया है।
- कपास की खेती में फायदेमंद है स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर का इस्तेमालकपास एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसल है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कपड़ा उद्योग के लिए तो कपास कच्चा माल प्रदान करता ही है, साथ ही इसके बीज से तेल भी बनाया जाता है। कपास की मांग हमेशा बाज़ार में बनी रही है, ऐसे में किसान स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर का इस्तेमाल करके इसका उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
- सब्ज़ी नर्सरी (Vegetable Nursery): असम के किसान जयंती मेधी ने मिट्टी रहित सब्ज़ियों की पौध तैयार कर खड़ा किया सफल नर्सरी उद्योगयदि रोपण सामग्री उच्च गुणवत्ता वाली हो तो सब्ज़ी नर्सरी में सब्ज़ियों की फसल भी अच्छी होती है। अपने इलाके में लोगों को बेहतरीन रोपण सामग्री मुहैया कराने के लिए जयंती मेधी ने एक अनोखा प्रयोग किया और बिना मिट्टी के ही विभिन्न सब्ज़ियों की पौध तैयार कर सफल उद्यम स्थापित कर लिया।
- चौलाई की खेती (Amaranth Cultivation): चौलाई की ये 10 उन्नत किस्में देती हैं अच्छी पैदावार, कई पोषक तत्वों से भरपूरचौलाई को औषधीय पौधा भी माना जाता है। ये इकलौता ऐसा पौधा है जिसमें सोने (gold) का अंश पाया जाता है। इसका जड़, तना, पत्ती और फल सभी उपयोगी हैं। चौलाई की खेती कर रहे किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी कई किस्में ईज़ाद की हैं। आइए आपको बताते हैं उन किस्मों के बारे में।
- Amla Processing: आज आंवले की खेती के ‘मार्केटिंग गुरु’ हैं कैलाश चौधरी, ज़ीरो से शुरू किया था सफ़रकैलाश चौधरी पिछले 6 दशक से खेती कर रहे हैं। आंवले की खेती ने उन्हें देश-दुनिया में पहचान दी है। कैलाश चौधरी कहते हैं खेती से बड़ा और कोई काम नहीं है। इसमें अपार संभावनाएं हैं।
- Vegetable Nursery: सब्जियों की नर्सरी में इनोवेटिव तकनीक का इस्तेमाल, मणिपुर के इस युवा ने ईज़ाद किया तरीकासब्जियों के बीज बहुत नाज़ुक होते हैं और उन्हें अधिक देखभाल की ज़रूरत होती है। इसलिए अधिकांश सब्जियों की पौध पहले नर्सरी में तैयार की जाती है, फिर खेत में उन्हें लगाया जाता है। मणिपुर के एक किसान ने नर्सरी में गुणवत्तापूर्ण सब्जियोंकी पौध तैयार करने के लिए एक नई तकनीक ईज़ाद की है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ गया। सब्जियों की नर्सरी में कैसे ये तकनीक कारगर हो सकती है, जानिए इस लेख में।
- Kathiya Wheat Farming: गेहूँ की खेती से चाहिए ज़्यादा कमाई तो अपनाएँ कठिया गेहूँ की किस्मेंसेहत के प्रति जागरूक लोगों के बीच कठिया गेहूँ की माँग तेज़ी से बढ़ रही है, क्योंकि इसमें ‘बीटा कैरोटीन’ पाया जाता है। बाज़ार में भी किसानों को कठिया गेहूँ का उचित दाम मिलता है। इस तरह, कठिया गेहूँ, अपने उत्पादक किसानों को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसीलिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को चाहिए कि यदि वो गेहूँ पैदा करें तो उन्हें कठिया किस्में को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
- Azolla Cultivation: अजोला की खेती पशुओं के साथ ही धान की फसल के लिए भी है फ़ायदेमंदअजोला पशुओं के लिए बेहतरीन हरा चारा है, जिसे किसान आसानी से उगा सकते हैं। अजोला को उगाना बहुत आसान है। बस इसके लिए पानी की ज़रूरत होती है। इसके अलावा किसी तरह के खाद या उर्वरक की कोई ज़रुरत नहीं होती है। ये अपने आप दोगुना होता रहता है। अजोला की खेती कैसे किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है, देखिए प्लांट प्रोटेक्शन की सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट हिना कौशर से खास बातचीत।
- चौलाई की खेती (Amaranth Cultivation): छोटी जोत वाले किसानों के लिए क्यों है फ़ायदेमंद? जानिए इससे जुड़ी अहम बातेंचौलाई से मिलने वाले साग (सब्ज़ी) और दाना (अनाज) दोनों ही नकदी फसलें हैं। चौलाई के खेती में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। चौलाई की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। जानिए चौलाई की खेती से जुड़ी ऐसी कई जानकारियां।
- Kitchen Garden: अतिथि पोपली 25 सालों से किचन गार्डन में उगा रहीं सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियांशहर में जगह की कमी के चलते जो लोग अपने बागवानी का शौक पूरा नहीं कर पातें, वो अतिथि पोपली से सीख ले सकते हैं। जो पिछले 25 सालों से गमले और घर के सामने की छोटी सी जगह में सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियां उगा रही हैं।
- Sesame Cultivation: गर्मियों में तिल की खेती करना किसानों के लिए क्यों फ़ायदेमंद?आमतौर पर तिल की खेती को मुनाफ़े का सौदा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें पैदावार कम होती है, लेकिन तिल की खेती यदि उन्नत तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। उन्नत किस्म के बीजों के साथ गर्मियों के मौसम में तिल की खेती करना अच्छा रहेगा, क्योंकि यह मौसम तिल के लिए उपयुक्त होता है।
- Top 10 Desi Cow Breeds: गौपालन से जुड़े हैं तो जानिए देसी गाय की 10 उन्नत नस्लों कोउन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।