अगर आलू की खेती में किया पराली का इस्तेमाल तो हो जाएंगे मालेमाल, पढ़ें विस्तार से

पंजाब के संगरूर जिले के रमनदीप सिंह और गुरविंदर सिंह पिछले दो सालों से पराली से आलू की खेती कर रहे हैं। इस तरीके से वो प्रदूषण भी रोक रहे है और अच्छी कमाई भी कर पा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर किन तरीकों से पंजाब के किसान पराली के सहायता से खेती कर रहे हैं।

आलू की खेती Potato Farming by using straw

आलू की खेती Potato Farming: पराली जलाने के कई नुकसान होते हैं। आज पराली से होने वाली प्रदूषण से पूरा उत्तर भारत परेशान है। ऐसे में पराली की इस समस्या को दूर करने के लिए हमारे कई ऐसे किसान भाई हैं जो एक पहल को आगे बढ़ा रहे हैं।

आज हम आपको पंजाब के संगरूर जिले के ऐसे ही एक किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो पराली का इस्तमाल करके आलू की खेती कर रहे हैं और काफी अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। पंजाब के संगरूर जिले के रमनदीप सिंह और गुरविंदर सिंह पिछले दो सालों से पराली से आलू की खेती कर रहे हैं।

अगर आलू की खेती में किया पराली का इस्तेमाल तो हो जाएंगे मालेमाल, पढ़ें विस्तार से

इस तरीके से वो प्रदूषण भी रोक रहे है और अच्छी कमाई भी कर पा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर किन तरीकों से पंजाब के किसान पराली के सहायता से खेती कर रहे हैं।

आलू की खेती में पराली काफी लाभदायक
पंजाब के कई सारे किसान हैं पराली को खेतों में मिलाकर गेहूं की सीधी बिजाई कर रहे थे। अब कई ऐसे किसान भी हैं जो इसी तकनीक के सहारे अब अपने खेतों में आलू का उत्पादन कर रहे हैं। किसानों की मानें तो वह इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। किसानों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए आलू की चिप्स बेचने वाली कंपनियों से भी करार किया है। इससे उनकी आलू की सही समय पर बिक्री होती है।

गांव को पराली मुक्त करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा कई तरह के प्रयास भी किए जा रहे हैं। गेहूं की सीधी बिजाई के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है। गांव के कई किसान आलू की खेती में खाद के तौर पर धान की पराली का उपयोग कर रहे हैं।

मिट्टी का कठोर होना है जरूरी
रमनदीप सिंह और गुरविंदर सिंह जैसे किसान पिछले 2 साल से यह काम कर रहे हैं। इन दोनों किसानों ने पिछले 3 वर्षों से पराली नहीं जलाई है और वह करीब 2 वर्षों से आलू की खेती कर रहे हैं। किसानों के मुताबिक वह पराली को बिना जलाए ही जमीन में खुर्दबुर्द करके गेहूं की बिजाई कर रहे थे।

अच्छी पैदावार मिलने के बाद वह इसे आलू की खेती के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दे की मिट्टी जितना ही कठोर होगा आलू का उतना ही अच्छा विकास होगा और तब ही पराली आलू के लिए मददगार साबित हो सकता है। पराली को मिट्टी में मिला देने के बाद यह आलू में फसल का काम करती है।

चिप्स बनाने वाली कंपनियां करती हैं सहयोग
चिप्स बनाने वाली कंपनियों के द्वारा बिजाई के लिए कई सामग्री बीज ट्यूबर द्वारा तैयार करके दी जाती है। बता दें कि प्रति एकड़ करीब 70 से 80 क्विंटल आलू का उत्पादन होता है और कंपनियां समय-समय पर इसका जायजा भी लेते रहती हैं। आलू की फसल करीब 3 महीने में तैयार हो जाती है और 25 अक्टूबर के आसपास इसकी बिजाई शुरू हो जाती है। आलू की खुदाई होने के बाद कंपनियां खुद ही इसकी पैकिंग करके ले जाती हैं।

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