कोरोना काल में किसानों पर भी दोहरी मार पड़ी। ऐसे में किसान अपनी फसल को सीधा बेचने के साथ-साथ अन्य तरीकों से भी आमदनी कर सकते हैं। ऐसे ही तरीकों का जिक्र दयानंद जांगिड़ ने देश के किसानों के साथ साझा किया है।
आप सभी को मेरा नमस्कार। मैं दयानंद जांगिड़ जयपुर जिला बधाल गांव का वासी हूं। किसान ऑफ़ इंडिया मंच के माध्यम से मैं हमारे देश के किसान भाइयों के हित को लेकर अपनी बात रख रहा हूं। मैं पेशे से इंजीनियर बधाल में हनुमान प्रसाद वैदिक इंजीनियरिंग के नाम फूड प्रोसेसिंग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाता हूं। हमारे इस यूनिट से ऑर्गैनिक स्टोर समेत कई किसान फूड प्रोसेसिंग मैन्युफैक्चरिंग मशीन खरीद अपनी उपज को प्रोसेस कर फिर बाज़ार में बेचते हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी में ग्रामीण रोजगार के तहत हमारा पहला प्लांट लग चुका है। आने वाले 6 महीनों में कई और प्लांट लगाने का लक्ष्य है। वहीं जयपुर, सीकर में में भी एक-एक प्लांट भेजा जा चुका है।
12 माह रहेंगे आय के अवसर
मैं अपने किसान साथियों को कहना चाहता हूं कि अगर वो अपनी फसल को सीधा बेचने के साथ ही प्रोसेस भी करें तो उससे उन्हें कई ज़्यादा फ़ायदा होगा। जब एक किसान पूरे साल में दो बार ही फसल बेचता है तो दो बार ही आमदनी होती है। इसके बजाय अगर किसान अपने घर में ही छोटा सा फूड प्रोसेसिंग का सेट अप लगा ले तो उसे हमेशा कुछ न कुछ लाभ होता रहेगा। इसी को ध्यान में रखकर कोरोना काल में हमने 2020 में फूड प्रोसेसिंग मैन्यफैक्चरिंग यूनिट की शुरुआत की।
कैसे फूड प्रोसेसिंग कर मुनाफ़ा कमा सकते हैं किसान
पुराने ज़माने में पीसना, कुटना, छांटना ये सब काम हाथों से होता था तो गुणवत्ता भी अच्छी होती थी। दुनिया की इसी सबसे अच्छी गुणवत्ता को पकड़ते हुए हमने फूड प्रोसेसिंग मशीन डिज़ाइन करना शुरू की। फिर जब हमने मशीने बनाई तो लोगों ने खूब साथ दिया और हम धीरे-धीरे बाज़ार में जमने लगे। अभी पूरे देश में अपनी मशीने गई हुई हैं।
अगर ऐसी ही कोल्ड प्रोसेस चक्की किसान खूद खरीद लें और रोज का 50 किलो आटा पीसकर कुछ घर निर्धारित कर लें और रूटीन से उनके घर में आटा पहुंचाते रहे तो जहां नॉर्मल गेंहू 20 रुपये प्रति किलो बिकता है, उनका आटा 50 से 100 रुपये प्रति किलो बिक सकता है, जिसका दाम क्षेत्र की स्थानीय बाज़ार पर निर्भर करता है। इस तरह से एक किलो में कम से कम सीधा 30 रुपये का फ़ायदा होना अच्छा मुनाफ़ा है।
मशीनों से निकले माल की पोषक गुणवत्ता 100 फ़ीसदी
ऐसे ही आटे के अलावा अगर किसान अपनी उपज को फूड प्रोसेसिंग के ज़रिए मसाला और तेल बनाकर बेचेगा तो इससे बाज़ार में जो मुनाफ़ाखोर लोग बैठे हैं, उनसे बच सकेंगे और रोज़ाना आमदनी के अवसर बनेंगे। इसके साथ ही किसान के बेटे जो बाहर जाकर 8 हज़ार की नौकरी कर रहे हैं, वो अपने खुद के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकते हैं। इससे गाँव-गाँव रोजगार के अवसर बनेंगे। यही हमारा लक्ष्य है और इसी पर हम चल रहे हैं।
हमारे वहां जो मशीने तैयार की गई हैं, उनसे जो माल निकलता है उसमें पोषक तत्वों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता है। पोषक गुणवत्ता 100 फ़ीसदी रहती है। आटे के अलावा लाल मिर्च, हल्दी धनिया पीसने की मशीन, घी निकालने की बिलौना मशीन, तेल निकालने के लिए पूरे भारत की पहली कोल्ड प्रेस ऑइल मशीन हमने तैयार की है।
फैक्ट्रियों में सस्ते में नहीं बेचना पड़ेगा अपना माल
आखिर में यही कहना चाहूंगा कि किसानों को अपने आमदनी के स्रोतों को बढ़ाने के लिए फूड प्रोसेसिंग की ओर जाना चाहिए। इससे वो न सिर्फ़ अपने खर्चे अच्छे से चला पाएंगे, बल्कि बाज़ार की फैक्ट्रियों में अपना माल सस्ते में नहीं बेचना पड़ेगा। कोल्ड प्रेस से प्रोसेस करना इसलिए फ़ायदेमंद है क्योंकि आजकल इसके उत्पादों को बाज़ार में अच्छा दाम मिलता है। (दयानंद जांगिड़ के साथ दीपिका जोशी की रिपोर्ट)
कोरोना काल में किसानों पर भी दोहरी मार पड़ी। ऐसे में किसान अपनी फसल को सीधा बेचने के साथ-साथ अन्य तरीकों से भी आमदनी कर सकते हैं। ऐसे ही तरीकों का ज़िक्र दयानंद जांगिड़ ने देश के किसानों के साथ साझा किया है। जानिए फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट और अन्य तरीकों के बारे में किसान ऑफ़ इंडिया के गौरव मानराल के साथ दयानंद जांगिड़ की बातचीत।
यहां देखिए दयानंद जांगिड़ से बातचीत का पूरा वीडियो:
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