जानिए क्या है बायो कंपोस्ट और क्या हैं इसके फायदे

जैविक व कार्बनिक पदार्थों को सूक्ष्म जीवों की सहायता से गलाया व सड़ाया जाता है व उनका विघटन किया जाता है और पौधों को भोजन के लिए तैयार किया जाता है। इस विधि को बायो कंपोस्टिंग जैविक/कार्बनिक खाद बनाने की विधि कहा जाता है।

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भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां बड़ी संख्या में फसलें उगाई जाती हैं। यही कारण है कि हर साल लगभग 100 मिलियन टन फसलों के अवशेष भी बचते हैं जिन्हें दोबारा काम में लिया जाता है। फसलों के अलावा हमारे घरों में जो कूड़ा करकट इकट्ठा होता है उसे यूं ही न पड़ा रहने दें। इस कचरे को बायो-कंपोस्टिंग द्वारा कुशल सेल्युलोलाइटिक सूक्ष्मजीवों के साथ टीकाकरण करके, लाभकारी माइक्रो लोरा का विकास और संवर्धन कर मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में सुधार किया जा सकता है। इससे न सिर्फ वातावरण को शुद्ध रखा जा सकता है बल्कि हवा एवं पानी के कटाव से मिट्टी को भी बचाया जा सकता है।

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क्या है बायो कंपोस्टिंग

जैविक व कार्बनिक पदार्थों को सूक्ष्म जीवों की सहायता से गलाया व सड़ाया जाता है व उनका विघटन किया जाता है और पौधों को भोजन के लिए तैयार किया जाता है। इस विधि को बायो कंपोस्टिंग जैविक/कार्बनिक खाद बनाने की विधि कहा जाता है।

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कैसे बनाएं बायो कंपोस्टिंग

इस खाद को बनाने के लिए निम्र बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

  • इस खाद के लिए पक्के फर्श व छत वाले स्थान की आवश्यकता होती है। ताकि भारी बारिश व तेज धूप से बचाया जा सके।
  • खाद बनाने के स्थान पर हवा व सूर्य की रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
  • गलने व सडऩे की प्रक्रिया तेज हो सके इसके लिए सूक्ष्म जीवों के कल्चर यानि टीके की आवश्यकता होती है।
  • जहां पर भी क पोस्टिंग खाद बनाई जा रही हो वहां पानी की पर्याप्त व्यवस्था होना आवश्यक है। क्योंकि थोड़े-थोड़े दिनों में कंपोस्ट के गड्ढे में पानी डालना जरूरी होता है।
  • जब कंपोस्ट बनकर तैयार हो जाती है तब उसे इकट्ठा करने के लिए पॉलीथिन के बैग्स की भी जरूरत होती है।

कैसे बनाएं कंपोस्ट खाद

रसोईघर का कचरा या जूठन, पशुशाला में घास-फूस, खेतों में फसलों के अवशेष, पत्तियां, पुआल, खरपतवार आदि को एक जगह पर इकट्ठा करके उस छोटे हिस्सों में काट लें। फिर इसमें 25 प्रतिशत गोबर मिला लें। इन सभी को अच्छी तरह मिलाकर एक 8 फुट लंबे, 4 फुट चौड़े और 3 फुट गहरे गड्ढे में अच्छी तरह फैला दें और ऊपर से ट्राइकोडरमा, फॉस्फेट सॉल्युबलाइजर, एजोटोबेक्टर आदि इस मिश्रण में मिला दें।

कुल मिलाकर इस कल्चर की मात्रा 1 किलोग्राम प्रति टन जैविक/कार्बनिक पदार्थ तक होनी चाहिए। करीब 10 दिनों के बाद फावड़े की सहायता से इस मिश्रण को पलट दें। इस मिश्रण को इसी तरह 90 दिनों तक गड्ढे में पड़ा रहने दें। अच्छी गुणवत्ता वाली कंपोस्ट खाद तैयार होने में 90 से 100 दिनों का समय लगता है।

बायो कंपोस्ट का उपयोग

बायो कंपोस्ट खाद का उपयोग भी अन्य देसी खाद की तरह ही किया जाता है। जिस तादाद में आप देसी खाद डालते हैं उसी तादाद में कंपोस्ट भी डाल सकते हैं। बिजाई से पहले ही इसे अच्छी तरह से मिट्टी में मिला दें।

बायो कंपोस्ट के फायदे

  • बायो कंपोस्ट का उपयोग करने से प्रदूषण में गिरावट आती है। इससे वातावरण साफ रहता है।
  • बेहतर गुणवत्ता वाली बायो कंपोस्ट से फसलों को पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं। जिससे फसलों की क्वालिटी में भी इजाफा होता है।
  • लाभदायक सूक्ष्म जीवों की संख्या ज्यादा होने के कारण ये मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्वों को पौधों तक उपलब्ध करवाते हैं।
  • बायो कंपोस्ट से मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है। इससे मिट्टी के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में सुधार होता है।
  • बायो कंपोस्ट के उपयोग से फर्टिलाइजर पर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकता है।

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