Spice Farming: मसालों की खेती कर रहे किसानों के लिए पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने गाँव में ही खड़ा कर दिया बाज़ार

महाराष्ट्र के नागपुर के पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि वो अक्सर देखते थे कि कैसे दूर-दराज के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था। उसके बावजूद भी उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता था। उन्होंने शुरुआत में मसालों की खेती (Spice Farming) कर रहे अपने क्षेत्र के किसानों से संपर्क किया और फिर कारवां बनता चला गया।

मसालों की खेती Spice Farming

मसालों की खेती (Spice Farming): किसानों को अक्सर अपनी उपज का सही दाम न मिलने की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में बाज़ार की उपलब्धता न के बराबर होती है। ऐसी स्थिति में किसानों को अपनी उपज के असल मूल्य के साथ समझौता करना पड़ता है। कई राज्यों में कृषि उपज मंडियों का अभाव भी है।

ऐसे में किसानों को व्यापारियों पर निर्भर होना पड़ता है, जिससे फसलों के उचित दाम मिलने की उम्मीद बेमानी सी लगती है। अपने क्षेत्र के किसानों की इन्हीं परेशानियों का हल महाराष्ट्र के नागपुर शहर के रहने वाले पुरुषोत्तम झामाजी भुडे (Purushottam Jamaji Bhude)
ने खोजा। किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने अपने अनुभव हमसे साझा किए।

पुरुषोत्तम झामाजी भुडे कहते हैं कि वो अपने क्षेत्र में कई ऐसे युवाओं को देखते हैं जिनका खेती से लगाव नहीं है। ऐसी परिस्थिति तब है जब वो खुद खेती-किसानी परिवार से आते हैं। वो काम की तलाश में बड़े शहरों का रूख कर, 8 से 10 हज़ार की नौकरी करते हैं, जबकि उनके पास विकल्प है कि वो अपने गाँव में ही रहकर रोज़गार के अवसर पैदा कर सकते हैं।

2017 में अपने क्षेत्र के किसानों के लिए लगवाई प्रोसेसिंग यूनिट

पुरुषोत्तम भुडे ज़ामाजी ने कहा कि वो 2017 से इस दिशा पर काम कर रहे हैं। प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करने से पहले उन्होंने बाकायदा एग्री-क्लिनिक और एग्री-बिजिनेस सेंटर (AC&ABC) योजना के तहत कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चर फाउंडेशन से ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने देखा कि स्वदेशी तकनीकों के इस्तेमाल से ही गुणवत्ता और पोषक तत्वों को बिना हानी पहुंचाए मसालों को प्रोसेस किया जा सकता है।

मसालों की खेती (spice farming in india)
कई तरह के मसालों को करते हैं प्रोसेस, बिचौलियों की भूमिका को किया खत्म

Spice Farming: मसालों की खेती कर रहे किसानों के लिए पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने गाँव में ही खड़ा कर दिया बाज़ारकरीबन 250 से ऊपर किसानों से खरीदते हैं सीधे उपज

पुरुषोत्तम भुडे ने 2017 में अपने घर के पिछले आंगन में मसालों की प्रोसेसिंग यूनिट (Processing Unit) लगवाई। फिर मसाला उत्पादक किसानों (Spice Farmers) से सीधा उपज खरीदने लगे। ऐसा करते-करते कई गाँवों के किसान उनसे जुड़ते चले गए और कारवां बनता गया। आज उनके साथ करीबन 250 किसान जुड़े हुए हैं, जिनसे वो सीधा उपज खरीदते हैं।

पुरुषोत्तम भुडे बताते हैं कि शुरुआत मसालों से की थी, अब वो गेहूं, चावल और दालें भी किसानों से ही खरीदते हैं। इससे किसानों को अब अपनी उपज बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ता और उन्हें उसका वाजिब दाम मिलता है।

Saavi Natural Farming के नाम से उनकी ये प्रोसेसिंग यूनिट है। इसमें वो मिर्च, हल्दी, लहसुन, लौंग, मेथी, धनिया, जीरा जैसे कई मसालों को प्रोसेस कर उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग करते हैं। कभी ज़्यादा मांग होने पर दूसरे राज्यों के किसानों से भी मसालों की उपज खरीदते हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में 2020-21 में लगभग 82 हज़ार हेक्टेयर में करीब 4.24 लाख टन मसालों का उत्पादन हुआ।

मसालों की खेती (Spice Farming in India)

क्षेत्र के लोगों को अपने व्यवसाय के साथ जोड़ा

प्रोसेसिंग यूनिट में स्थाई रूप से 12 लोग काम करते हैं। इसके अलावा, दिहाड़ी में लगभग 10 लोग भी काम करते हैं। पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने कहा कि आने वाले समय में वो कई और युवाओं को अपने साथ जोड़ने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।

मसालों की खेती (spice farming in india)
Saavi Natural Farming प्रोसेसिंग यूनिट

किसान खुद बनें उद्यमी

पुरुषोत्तम भुडे कहते हैं कि हम सबकी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि देश के अन्नदाता के विकास और उत्थान के लिए हम सब मिलकर काम करें। साथ ही आगे उन्होंने कहा कि अब वक़्त आ गया है किसान खुद उद्यमी बनें। आप जिस चीज़ की भी खेती कर रहे हैं, उसी को अपना बिज़नेस बनाएं यानी उपज का वैल्यू एडिशन करें और बाय-प्रॉडक्ट्स तैयार करें। पुरुषोत्तम झामाजी भुडे खेती से जुड़ी कंसल्टेंसी भी देते हैं।

Spice Farming: मसालों की खेती कर रहे किसानों के लिए पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने गाँव में ही खड़ा कर दिया बाज़ारप्रोसेसिंग यूनिट खोलने पर सरकार कर रही है मदद

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइज योजना  (PMFME Scheme) को देशभर में बढ़ावा दिया जा रहा है। PMFME Scheme का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी मंत्रालय की वेबसाइट के इस लिंक mofpi.nic.in पर क्लिक करें। यहां आपको सबसे पहले खूद को रजिस्टर करना होगा। फिर आवेदक लॉग इन आईडी से लॉग इन करके वेबसाइट पर दिये गये दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।

भारत में मसालों की खेती (Spice Farming in India)

भारत, विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां लगभग 45.28 लाख हेक्टेयर में 106.79 लाख टन मसालों का उत्पादन होता है। विभिन्न प्रकार की मृदा और जलवायु होने के कारण देश में कुल 63 तरह के मसालों की खेती होती है। इनमें से मुख्य तौर पर 21 मसालों का व्यावसायिक उत्पादन (Commercial Production) किया जाता है। वो हैं काली मिर्च, मिर्च, अदरक, हल्दी, लहसुन, इलायची (छोटी और बड़ी), धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी, अजवाइन, सोआ बीज, जायफल, लौंग, दालचीनी, इमली, केसर, वेनिला, करी पत्ता और पुदीना।

मसालों में सबसे ज़्यादा उत्पादन के मामले में लहसुन पहले पायदान पर आता है। दूसरे पायदान पर मिर्च, तीसरे पर अदरक और चौथे नंबर पर हल्दी का उत्पादन देश में होता है। वहीं क्षेत्रफल के लिहाज़ से जीरा पहले स्थान पर है, उसके बाद मिर्च, धनिया, लहसुन आदि मसालें आते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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