बेकार डिब्बों में पौधे लगा शुरू की बागवानी, अब हजारों पौधों से कमा रहे हैं लाखों

Motivational Story of Deepanshu Dharia – यदि कोई आपसे कहे कि खराब डिब्बों में कुछ पौधे लगाकर आप हजारों पौधे तैयार कर सकते हैं, तो शायद आप इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के छोटे से गांव में रहने वाले दीपांशु धरिया ने यह सच करके दिखाया है।

बेकार डिब्बों में पौधे: यदि कोई आपसे कहे कि खराब डिब्बों में कुछ पौधे लगाकर आप हजारों पौधे तैयार कर सकते हैं, तो शायद आप इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के छोटे से गांव में रहने वाले दीपांशु धरिया ने यह सच करके दिखाया है।

दीपांशु धरिया शुरू से ही बागवानी (Horticulture) में अपना भविष्य बनाना चाहते थे। जब वे 10 साल के थे तब उनके पिताजी का निधन हो गया और घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। उन्हें घर में आर्थिक सहायता के लिए वी-मार्ट मॉल में काम करना पड़ा। इसी दौरान वे एक मंदिर में नौकरी करने लगे। इससे उनके पास काफी समय बच जाता था। बस, तभी से उनका रूझान बागवानी की ओर होने लगा।

कब और कैसे की बागवानी

दीपांशु ने 2014 से बागवानी करना शुरू किया। उन्होंने बेकार पड़े डिब्बों में साइगस व गुलाब के 5 से 10 पौधे लगाए थे। लेकिन समय के साथ वे पौधों की संख्या बढ़ाते रहे और आज उनके पास लगभग 3 हजार से ज्यादा पौधे हैं। वे मौसमी पौधों की बजाय कई सालों तक जीवित रहने वाले पौधों को प्राथमिकता देते हैं। वे पौधों की कलम यानी ग्राफ्टिंग बनाकर उससे कई पौधे बना लेते हैं। इसी वजह से उन्होंने अपने गार्डन में कम लागत में ज्यादा पौधे लगा लिए हैं। उन्होंने अपने घर में लगे पीपल की ग्राफ्टिंग करके भी 2 से 3 किस्म के पेड़ बना लिए हैं।

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आज दीपांशु के घर में पीपल, बरगद, आम, इमली आदि के साथ कई तरह के बोनसाई पेड़ भी लगे हैं। इनके अलावा दीपांशु ने सतावर और गिलोय जैसे औषधीय पौधे भी अपने बगीचे में लगा रखे हैं। अंगूर और पान की लताएं भी इनके घर में लगी हैं।

बागवानी करने का सही तरीका

गणित में पोस्टग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई कर चुके दीपांशु ने शुरू से ही ग्राफ्टिंग और क्राफ्टिंग का काम किया है। उन्होंने बोनसाई पेड़ों को इस तरह आकार दिया कि उनकी खूबसूरती बरकरार रहे और लंबाई भी न बढ़े। वे खाद के लिए गाय व भैंस के गोबर से बनी खाद का ही उपयोग करते हैं। पौधों को पूरी तरह हवा मिलती रहे इसके लिए वे प्लास्टिक की बजाय मिट्टी से बने गमलों को इस्तेमाल करते हैं। वे पौधों की सिंचाई करने का भी विशेष ध्यान रखते हैं। सिंचाई इस तरह की जाती है कि मिट्टी में किसी प्रकार की सडऩ पैदा न हो और पौधों को नुकसान न पहुंचे।

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बागवानी के खास टिप्स

वैसे तो दीपांशु ने अपना यूट्यूब चैनल भी चला रखा है। जिसपर वे लोगों को बागवानी संबंधित जानकारी देते रहते हैं। लेकिन उन्हीं की बताई हुई ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें इस प्रकार हैं-

  • जब भी मिट्टी व खाद को आपस मिलाएं तो उसका अनुपात 80:20 के अनुसार होना चाहिए।
  • सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधों में पानी की मात्रा ज्यादा न हो जाए। पौधों में नमी बनी रहे बस इतनी ही सिंचाई करें।
  • यदि पौधा ज्यादा बड़ा होता जा रहा है, तो समय-समय पर उसकी कटाई करते रहें।
  • साल में एक बार पौधा किसी दूसरे गमले में अवश्य लगाएं, तो उसकी बढ़त अच्छी होती है।
  • जब भी पौधा या बीज लगाएं, तो इसके लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त रहता है।
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