टमाटर की खेती (Tomato Farming):मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन से बढ़ी टमाटर की पैदावार, मिलिए एक एकड़ में 50 टन टमाटर उगाने वाले किसान संघर्ष राव से

छत्तीसगढ़ में दुर्ग के किसान संघर्ष राव ने टमाटर की खेती में मल्चिंग तकनीक अपनाते समय जो भी सावधानियां रखनी ज़रूरी हैं, उनके बारे में बताया।

सब्ज़ियों और फल की खेती खासकर टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल ज़रूरी है, क्योंकि पारंपरिक तरीके से खेती करने पर पैदावार अधिक नहीं होती है। शायद इसीलिए कृषि वैज्ञानिक ये सलाह देते हैं कि  किसानों को प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाते हुए खुद को अपटेड करते रहने की ज़रूरत है।मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन तकनीक पिछले कुछ सालों से बहुत लोकप्रिय हो रही है।  ख़ासतौर  पर सब्ज़ियों की खेती में इनके उपयोग से बहुत फ़ायदा  हो रहा है। इन्हीं दोनों तकनीकों की बदौलत,  छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के किसान संघर्ष राव एक एकड़ में करीब 50 टन टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं। टमाटर की खेती से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें संघर्ष राव ने बतायीं ।

साहो किस्म का कर रहे उत्पादन

टमाटर की खेती

संघर्ष राव का कहना है कि वह लीज़ पर ज़मीन लेकर कई  साल से खेती कर रहे हैं, और फिलहाल टमाटर की साहो किस्म का उत्पादन कर रहे हैं। इस किस्म में बुवाई के 30 दिन बाद फूल आने लगते हैं। इसकी पैदावार अच्छी है। उनके मुताबिक, एक एकड़ में लगभग 50 टन टमाटर की उपज हो जाती है। टमाटर की खेती के लिए हल्का ठंड का मौसम सबसे अच्छा होता है।

टमाटर की खेती में मलचिंग से हुआ फ़ायदा

टमाटर की खेती

संघर्ष राव ने अपने टमाटर के खेत में मल्चिंग लगाई है। उनका कहना है कि इससे निराई का खर्च बच जाता है, खरपतवार कम होता है  जिससे खाद भी सिर्फ पेड़ को मिलती है। इससे लागत कम आती है और पैदावार अधिक होती है।

मल्चिंग तकनीक के फ़ायदे

टमाटर की खेती (Tomato Farming):मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन से बढ़ी टमाटर की पैदावार, मिलिए एक एकड़ में 50 टन टमाटर उगाने वाले किसान संघर्ष राव से

इस तकनीक का एक फ़ायदा यह है कि यह मिट्टी के कटाव को रोकती है और उसकी नमी को बनाए रखती है।  इससे  पानी की भी कम ज़रूरत पड़ती है। खेत में खरपतवार नहीं होते जिससे निराई का खर्च बच जाता है और इससे पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह से होता है।  इससे पौधे भी सुरक्षित रहते हैं।

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मल्चिंग करते समय इन बातों का रखें ध्यान

टमाटर की खेती (Tomato Farming):मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन से बढ़ी टमाटर की पैदावार, मिलिए एक एकड़ में 50 टन टमाटर उगाने वाले किसान संघर्ष राव से

खेत में यदि आप प्लास्टिक मल्चिंग कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें।

  • प्लास्टिक फिल्म सुबह या शाम के समय ही लगाएं।
  • फिल्म में से सल निकालने के बाद मिटटी चढ़ा दें।
  • इसमें सावधानी से छेद करें और सिंचाई नली का ध्यान रखें।
  • छेद एक समान ही करें।
  • दोनों साइड एक समान मिट्टी चढ़ाएं।
  • फिल्म का ठीक से इस्तेमाल करें जिससे वह फटे नहीं।

इस तरह से आप उसे दोबारा उपयोग कर सकते हैं।

ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत

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संघर्ष राव टमाटर में मल्चिंग के साथ ही, सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक का इस्तेमाल करते  हैं।  इसके लिए उन्होंने हर पौधे के पास छेद किया हुआ है। इस तकनीक से पानी सीधे पौधों की जड़ों में धीरे-धीरे जाता है, जिससे कम पानी में भी अच्छी तरह सिंचाई हो जाती है। दरअसल, जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां सिंचाई के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

दुर्ग जिले में सबसे अधिक टमाटर का उत्पादन

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले  में टमाटर का सबसे अधिक उत्पादन होता है। संघर्ष राव के मुताबिक, वह भी औसतन  प्रति एकड़ 45-50 टन टमाटर का उत्पादन कर ही लेते हैं। अपनी फसल को वही खुद ही मंडी तक पहुंचाते हैं। उनके टमाटर अन्य राज्यों में भी जाते हैं और स्थानीय मंडी में भी बिक्री होती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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