बासमती के किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने दी नयी सौगात
कम वक़्त में ज़्यादा उपज देने और झुलसा रोधी किस्म ‘पंजाब बासमती-7’ हुई विकसित
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना के वैज्ञानिकों ने बासमती धान की नयी किस्म ‘पंजाब बासमती-7’ विकसित की है। ये पिछली उन्नत किस्मों से भी ज़्यादा बेहतर है क्योंकि उनके मुकाबले इसकी प्रति एकड़ उपज करीब 11 फ़ीसदी ज़्यादा है, फसल जल्दी पकती है, किस्म रोग-प्रतिरोधक है और स्वाद और ख़ुशबू भी शानदार है।
धान मुख्यतः खरीफ़ की फसल है। हालाँकि, ज़्यादा बारिश वाले इलाकों में रबी में भी धान पैदा किया जाता है। पंजाब-हरियाणा अपेक्षाकृत कम बारिश वाले राज्य हैं, लेकिन भूजल के अन्धाधुन्ध दोहन और ऊँची लागत के बावजूद वहाँ के किसानों को बासमती धान का व्यावसायिक लाभ बहुत आकर्षित करता है, क्योंकि बासमती अपनी ख़ास ख़ुशबू और स्वाद की वजह से सबसे महँगा चावल है और किसानों को भी बढ़िया मुनाफ़ा देता है।
इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों ने बासमती की अनेक उन्नत किस्में विकसित कीं। इसी कड़ी में ताज़ा उपलब्धि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना की है, जिसने ‘पंजाब बासमती-7’ किस्म विकसित करके किसानों को नयी सौगात दी है।
‘पंजाब बासमती-7’ की ख़ासियत
इसे विश्वविद्यालय के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स विभाग के वैज्ञानिकों ने 12 साल के मेहनत से तैयार किया है। इसे तीन पारम्परिक किस्मों – बासमती-386, पूसा बासमती-1121 और पूसा बासमती-1718 की खूबियों से विकसित किया है। विभागाध्यक्ष डॉ. जी एस मंगत के मुताबिक, ‘पंजाब बासमती-7’ के लिए 44 रिसर्च ट्रायल टेस्ट के अलावा साल भर तक पंजाब के 20 कृषि विज्ञान केन्द्रों में फील्ड ट्रायल भी किये गये। इनका अनुकूल नतीज़ा मिलने के बाद ही अब किसानों के लिए ‘पंजाब बासमती-7’ की सिफ़ारिश की गयी है।
उपज ज़्यादा, वक़्त कम: विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल राइस ब्रीडर, डॉ. आर एस गिल बताते हैं कि अभी ‘पूसा बासमती-1121’ का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है, क्योंकि ये कम समय में ज़्यादा पैदावार देती है। लेकिन ‘पंजाब बासमती-7’ इससे भी बेहतर है, क्योंकि ‘पूसा बासमती-1121’ और ‘पूसा बासमती-1718’ की औसत उपज जहाँ प्रति एकड़ 17 क्विंटल है, वहीं ‘पंजाब बासमती-7’ की 19 क्विंटल है। इसके अलावा ‘पंजाब बासमती-7’ जहाँ 101 में दिन पककर तैयार होती है, जबकि बाक़ी दोनों को 5-6 दिन ज़्यादा लगते हैं।
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रोग प्रतिरोधकता: धान में सबसे ज़्यादा लगने वाले झुलसा रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) फसल को 60-70 प्रतिशत तक नुक़सान पहुँचता है। लेकिन ‘पंजाब बासमती-7’ में इसके जीवाणुओं की 10 प्रजातियों से लड़ने की क्षमता भी है। जबकि पूसा बासमती-1121 बैक्टीरिया प्रतिरोधी नहीं है। इसके अलावा ‘पंजाब बासमती-7’ का क़द छोटा होने की वजह से पराली भी कम पैदा होती है।
स्वाद और रंगत: ‘पंजाब बासमती-7’ को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इस धान का चावल पकाये जाने पर कम माड़ (स्टार्च) पैदा करता है। इसलिए ये ज़्यादा लसलसेदार नहीं होता, बल्कि खिला-खिला रहता है।
बासमती की श्रेणियाँ
बासमती धान की दो श्रेणियाँ हैं – फ़ोटो पीरियड सेंसिटिव और फ़ोटो पीरियड इन्सेंसिटिव। ‘पंजाब बासमती-7’ फ़ोटो पीरियड सेंसिटिव है, क्योंकि ये अनुकूल वातावरण में ही पकती है। इसीलिए इसका ख़ुशबू और स्वाद बेहतर है। जबकि फ़ोटो पीरियड इन्सेंसिटिव किस्म की बासमती को प्रतिकूल मौसम में भी उपजाया जा सकता है, हालाँकि इसी वजह से इसमें स्वाद और ख़ुशबू कमतर रहती है।
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कैसे खरीदें ‘पंजाब बासमती-7’?
‘पंजाब बासमती-7’ के बीज खरीदने के इच्छुक किसानों को क्षेत्रीय कृषि अनुसन्धान केन्द्रों, कृषि विज्ञान केन्द्रों और किसान सलाहकार सेवा केन्द्रों से सम्पर्क करना चाहिए।
बासमती की लोकप्रिय किस्में
‘पंजाब बासमती-7’ के विकसित होने से पहले बासमती के उत्पादक किसानों के बीच पूसा बासमती-1121, पूसा बासमती 1718, पूसा सुगन्धा-3, पूसा आरएच-10, पी बी-1, पन्त सुगन्धा-115 और पन्त सुगन्धा-2 जैसी किस्मों की बढ़िया धाक रही है। क्योंकि इन्हीं किस्मों की बदौलत किसानों ने बासमती की खेती से बढ़िया मुनाफ़ा कमाया और भारत को इसका सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश बनने का गौरव मिला।