एलोवेरा की खेती (Aloevera Farming): जानिए लागत से लेकर कमाई के बारे में, एलोवेरा उत्पादों का बढ़ता बाज़ार

एलोवेरा का पौधा रोपाई के साल भर बाद से देने लगता है नियमित आमदनी

बेकार पड़ी भूमि व असिंचित भूमि में बिना किसी विशेष खर्च के एलोवेरा की खेती (Aloevera Farming) कर लाभ कमाया जा सकता है। 

औषधीय पौधों (Medicinal Plants) में गिने जाने वाला एलोवेरा का पौधा साल भर हरा-भरा रहता है। आज यह देश के सभी भागों में उगाया जा रहा है। गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसका व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन होता है। बेकार पड़ी भूमि व असिंचित भूमि में बिना किसी विशेष खर्च के एलोवेरा की खेती कर लाभ कमाया जा सकता है। 

एलोवेरा की पत्तियाँ से सौन्दर्य प्रसाधन यानी कास्मेटिक्ट्स और अनेक आयुर्वेदिक उत्पाद बनते हैं। हर्बल और कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए इसकी माँग न सिर्फ़ नियमित है, बल्कि लगातार बढ़ भी रही है। इसीलिए एलोवेरा की खरीदारी कम्पनियाँ किसानों से करार या कॉन्ट्रैक्ट करके भी इसकी खेती करवाती हैं। इसके अलावा एलोवेरा के लिए प्रोसिंग यूनिट लगाकर भी बढ़िया कमाई की जा सकती है। 

एलोवेरा क्रीम, फ़ेस वॉश, फ़ेस पैक, शैम्पू, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल समेत अनगिनत उत्पाद बाज़ार में हैं। इसका घृतकारी अचार, सब्ज़ी, जूस और तेल भी लोकप्रिय है। इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल त्वचा सम्बन्धी समस्याओं में होता है। इसके अलावा पेट, पित्त, लिवर, पीलिया, पथरी, बुख़ार, खाँसी, मधुमेह और आँखों के रोग में उपयोगी है। इसीलिए एलोपैथिक दवाईयों में इसका उपयोग होता है। एलोवेरा में पाये जाने वाले मन्नास, एंथ्राक्युईनोनेज़ और लिक्टिन जैसे तत्व खून में लिपिड के स्तर को काफ़ी घटा देते हैं।

एलोवेरा की खेती से कमाई aloevera farming profit
तस्वीर साभार: livehindustan

एलोवेरा से कमाई

एलोवेरा एक जंगली औषधीय पौधा है जो शुष्क ज़मीन पर भी आसानी से पनपता है। इसे न तो कोई बीमारी या कीट सताते हैं और ना ही जानवर खाते हैं। एलोवेरा का पौधा रोपाई के साल भर बाद से नियमित आमदनी देने लगता है। इसीलिए बेकार ज़मीन के लिए भी एलोवेरा की खेती वरदान बन सकती है। एलोवेरा की व्यावसायिक खेती में प्रति एकड़ 10-11 हज़ार पौधे लगाने की लागत 18-20 हज़ार रुपये आती है। इससे एक साल में 20-25 टन एलोवेरा प्राप्त होता है, जो 25-20 हज़ार रुपये प्रति टन के भाव से बिकता है।

मिट्टी की प्रकृति और पौधे की नस्ल के मुताबिक एलोवेरा में उपज में फ़र्क आना लाज़िमी है। ऐलोवेरा की उपज पहले साल के मुकाबले दूसरे और तीसरे साल बढ़ती है, जबकि चौथे और पाँचवें साल उपज में 20-25 प्रतिशत तक घट जाती है। इसीलिए धीरे-धीरे पुराने पौधों को नये पौधों से बदलते रहना चाहिए।

एलोवेरा की खेती से कमाई aloevera farming profit
तस्वीर साभार: ICAR-DMAPR

उपज को कहाँ बेचें?

एलोवेरा की कमाई को देखते हुए किसान बड़े पैमाने पर भी इसकी खेती करते हैं। ऐसे किसान सीधा फार्मा और कॉस्मेटिक कम्पनियों से करार करके अच्छा दाम पा लेते हैं। कान्ट्रैक्ट वाली खेती (Contract Farming) में एलोवेरा के किसानों को कम्पनी की तरफ से ही पौधे भी मुहैया करवाये जाते हैं। यही कम्पनियाँ उपज भी खरीद लेती हैं।

नये और छोटे किसानों को भी वक़्त रहते देश भर में फैले सैकड़ों खरीदारों से सीधा तालमेल बना लेना चाहिए। इसके बारे में कृषि विशेषज्ञों से मदद लेने की कोशिश की जानी चाहिए। इंटरनेट के ज़रिये भी एक्‍सपोर्ट इंडिया डॉट कॉम, ई-वर्ल्‍ड ट्रेड फेयर डॉट कॉम, गो फोर वर्ल्‍ड बिजनेस, अलीबाबा और अमेजोन बड़ी कम्पनियों से सीधा करार किया जा सकता है। किसान चाहें तो एलोवेरा का जूस बनाने का प्रोसेसिंग प्लांट लगाकर भी अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.