बीन्स की किस्म: ज़ोरिन बीन्स से बढ़ा फसल का उत्पादन, जलवायु अनुकूल है बैंगनी रंग की ये किस्म

मिज़ोरम के लुसी पहाड़ी इलाके के किसान बीन्स की एक ख़ास किस्म ज़ोरिन बीन्स का उत्पादन करके अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। 

बीन की किस्म ज़ोरिन बीन्स

उत्तर पूर्व का खूबसूरत राज्य मिज़ोरम अपनी कुदरती खूबसूरती के कारण पर्यटकों को लुभाता है। इस पहाड़ी क्षेत्र में फूलों और फलों की खूब खेती होती है। फलों में मैडिरियन संतरा, केला, अंगूर, हटकोडा, अनन्‍नास और पपीता आदि शामिल हैं। फूलों में एंथुरियम, वर्ड ऑफ़ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, गुलाब जैसे कई फूलों की खेती होती है। इसके अलावा, किसान फ्रेंच बीन्स की भी खेती करते हैं। फ्रेंच बीन्स मिज़ोरम के लुसी पहाड़ी इलाके की मुख्य नकदी फसल है। पिछले कुछ समय से यहां के किसान बीन्स की एक ख़ास किस्म ज़ोरिन बीन्स का उत्पादन करके अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। 

बीन की किस्म ज़ोरिन बीन्स zorin beans
तस्वीर साभार: ICAR

फ्रेंच बीन्स की कुछ किस्में

मिज़ोरम स्थित ICAR-रिसर्च कॉम्प्लेक्स फ़ॉर नॉर्थ-ईस्टर्न हिल्स रीजन ने 2016-2017 में उच्च उपज देने वाली कई फ्रेंच बीन्स की किस्में जारी करी। इन किस्मों में पूसा पार्वती, अर्का कोमल और अर्का सरथ हैं। हालांकि, नई जारी किस्मों से उत्पादकता में ख़ास इज़ाफ़ा नहीं हुआ। पारंपरिक किस्म के मुकाबले नई किस्मों से उत्पादन कम रहा। मॉनसून सीज़न में अधिक बारिश होने से भी नई किस्म को नुकसान पहुंचता है। इन किस्मों को पॉड बग और फुसैरियम रोट जैसी बीमारी और कीटों का खतरा भी था।

ज़ोरिन बीन्स की पहचान

नई किस्मों की तुलना में स्थानीय फ्रेंच बीन्स का सींचित परिस्थितियों में सर्दियों में अधिक उत्पादन होता था। स्थानीय फ्रेंच बीन्स की उच्च उपज क्षमता को देखते हुए मिजोरम स्थित आईसीएआर-अनुसंधान परिसर ने कृषि निदेशालय (अनुसंधान और विस्तार) से साझेदारी कर मिजोरम सरकार के सहयोग से फसल में आनुवंशिक संसाधनों का संग्रह शुरू किया। फिर कई जगहों पर ट्रायल शुरू किया। 

बीन की किस्म ज़ोरिन बीन्स zorin beans
तस्वीर साभार: ICAR

बीन्स की किस्म: ज़ोरिन बीन्स से बढ़ा फसल का उत्पादन, जलवायु अनुकूल है बैंगनी रंग की ये किस्मइसके परिणामस्वरूण बैंगनी रंग के अधिक उत्पादन देने वाली फ्रेंच बीन्स की पहचान की गई। इसे ज़ोरिन बीन्स के नाम से जाना जाता है। इसे मिज़ोरम में पहली बार 5 मार्च 2019 में राज्य किस्म विमोचन समिति (SVRC) द्वारा जारी किया गया। अपने खास बैंगनी रंग, उच्च उत्पादक क्षमता और जलवायु अनुकूल के कारण यह किस्म बहुत लोकप्रिय हुई।

बीन की किस्म ज़ोरिन बीन्स zorin beans
तस्वीर साभार: ICAR

बीन्स की किस्म: ज़ोरिन बीन्स से बढ़ा फसल का उत्पादन, जलवायु अनुकूल है बैंगनी रंग की ये किस्मबीज का उत्पादन बढ़ाने की पहल

ज़ोरिन बीन्स तो लोकप्रिय हुई ही इसके साथ ही इसके बीज की मांग भी बढ़ने लगी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों के खेतों में आदिवासी उप योजना के तहत गुणवत्ता बीज उत्पादन पर उद्यमिता विकास कार्यक्रम (Entrepreneurship Development Programme on Quality Seed Production) शुरू किया। टीएसपी योजना के तहत किसानों को सभी ज़रूरी चीज़ें जैसे बीज, खाद, सिंचाई और पौध संरक्षण उपायों की जानकारी उपलब्ध कराई गई। उन्हें कोलासिब के नम चावल क्षेत्र में सर्दियों के महीने में ज़ोरिन बीन्स के गुणवत्ता पूर्ण बीजों की संख्या बढ़ाने की सुविधा प्रदान की गई। कई किसानों ने इस उद्यम को अपनाकर बीज़ों का खूब उत्पादन किया ताकि राज्य में बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। केंद्र की पहल ने आदिवासी उप योजना कार्यक्रम के तहत भविष्य में बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मिजोरम में ‘वोकल फॉर लोकल’ के सिद्धांत पर अमल करने में मदद की।

ज़ोरिन बीन्स मिज़ोरम किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अनोखे रंग और अधिक उत्पादन क्षमता के कारण इसकी मांग बढ़ी है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

बीन की किस्म ज़ोरिन बीन्स zorin beans
ज़ोरिन बीन्स के बीज (तस्वीर साभार: ICAR)

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