बिहार की इस महिला ने गोबर की खाद के इस्तेमाल से बंजर भूमि को बना दिया उपजाऊ

बिहार के बांका ज़िले की रहने वाली वंदना कुमारी की 50 फ़ीसदी से ज़्यादा ज़मीन बंजर हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने गोबर के खाद की बदौलत अपनी मेहनत और अथक प्रयास से बंजर ज़मीन को सींच दिखाया।

गोबर की खाद से ज़मीन बनी उपजाऊ cow dung compost

खेती में फसल ज़्यादा और अच्छी गुणवत्ता वाली हो, इसके लिए कुदरती खाद (Organic Fertilizer) का इस्तेमाल ज़रूरी है और गोबर की खाद से अच्छी खाद भला और क्या हो सकती है। गोबर की खाद में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों के विकास में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, यह तो इतना उपयोगी है कि बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना सकती है और बिहार के बांका ज़िले की वंदना कुमारी ने इस बात को सच कर दिखाया है।

बंजर भूमि को कैसे बनाया उपजाऊ?

बांका ज़िले की रहने वाली वंदना कुमारी प्रगतिशील महिला किसान हैं। वह खेती में भी नए-नए प्रयोग करती रहती हैं। पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होल्डर वंदना कुमारी के पास कृषि योग्य 40 एकड़ भूमि है। खेती की जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उस दौरान ज़मीन की पैदावार बहुत कम थी। लगभग 50 फीसदी भूमि बंजर यानी खेती योग्य नहीं थी।  

इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने एक हेक्टेयर भूमि पर आम के पौधे लगाएं और गाय के गोबर की खाद (Cow Dung Compost) का इस्तेमाल किया। इससे फसल अच्छी हुई। गोबर की खाद के इस्तेमाल से 5 साल में उन्होंने 1.75 हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बना दिया। इस काम में उन्हें बांका ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से तकनीकी सहयोग मिला।

गोबर की खाद से ज़मीन बनी उपजाऊ cow dung compost
तस्वीर साभार: agricoop

बढ़ गया मुनाफ़ा

वंदना की मेहनत रंग लाई और उनकी खेती की लगत कम और उत्पादकता अधिक हो गई। इससे उनका लाभ 4 गुना बढ़ गया। वंदना का सालाना मुनाफ़ा 30 हज़ार से रुपये से बढ़कर करीबन साढ़े तीन लाख हो गया। 

आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से लाभ

आमदनी बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि खेती की लागत को कम किया जाए। इसके लिए खेती की नई तकनीकों जैसे ZTT, DSR, वर्षा आधारित खेती की तकनीक अपनाकर वंदना ने अपनी लागत को कम किया। 

गोबर की खाद से ज़मीन बनी उपजाऊ cow dung compost
तस्वीर साभार: agricoop

बिहार की इस महिला ने गोबर की खाद के इस्तेमाल से बंजर भूमि को बना दिया उपजाऊक्या है ZTT तकनीक? (Zero Tilage Technology)

फसल की जुताई किए बिना, एक बार में ही ज़ीरो टिलेज मशीन द्वारा फसल की बुवाई करनें को जीरो टिलेज तकनीक कहा जाता है। जीरो टिलेज मशीन से गेहूं के बीज और खाद एकसाथ खेतों में डाले जा सकते है। इस विधि से धान कटने के तुरंत बाद गेहूं लगाने में आसानी होती है। समय की बचत होती है।

क्या है DSR तकनीक? (Direct Seeding of Rice)

इस तकनीक में धान की नर्सरी तैयार करने की बजाय बीजों की खेत में सीधे बुवाई कर दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस तकनीक को अपनाने से खेत की ज्यादा जुताई नहीं करना पड़ती है, जिससे मिट्टी में पर्याप्त पोषक तत्व बने रहते हैं।

खेती में खाद की अहमियत

अच्छी फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाली खाद समय-समय पर देनी ज़रूरी है और फसल की अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद बहुत फ़ायदेमंद मानी जाती है। आप भी इसे तैयार करके अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं। इसे तैयार करने का तरीका-

एक प्लास्टिक के बड़े ड्रम में देसी गाय, भैंस आदि का गोबर डालें। फिर इसमें गोमूत्र मिलाएं, साथ ही खराब गुड़ भी डाल दें। इसके बाद इसमें पिसी हुई दाल (खराब या सड़ी हुई) और लकड़ी का बुरादा डालकर मिलाएं। अब इस मिश्रण को 1 किलो मिट्टी में अच्छी तरह से मिला लें। इन सभी सामग्रियों को हाथ से या डंडे की मदद से मिलाएं। फिर इसमें 1-2 लीटर पानी डालकर मिक्स करें और 20 दिन के लिए इसे ढंक कर रख दें। ध्यान रहे कि खाद बनाने के लिए सभी चीज़ सही मात्रा में मिलाना बहुत ज़रूरी है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, 10 किलो गोबर में, 10 लीटर गोमूत्र, एक किलो चोकर या सड़ी दालें और एक किलो गुड़ मिलाना चाहिए।

गोबर की खाद से ज़मीन बनी उपजाऊ cow dung compost
तस्वीर साभार: sanjeevnitoday

बिहार की इस महिला ने गोबर की खाद के इस्तेमाल से बंजर भूमि को बना दिया उपजाऊबुवाई से पहले डालें खाद

गोबर की खाद का इस्तेमाल फसलों की बुवाई के 3-4 हफ़्ते पहले करना चाहिए। गोबर की खाद गीली मिट्टी में अच्छी तरह अवशोषित हो जाती है, जिससे इसके पोषक तत्व फसलों की वृद्धि में मदद करते हैं। गोबर की खाद सब्जियों और फलों के पौधों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है।

इस तरह आप पशुपालन और खेती दोनों काम एकसाथ करके डबल मुनाफ़ा कमा सकते हैं और व्यवसाय की लागत भी कम हो जाएगी।

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