छत्तीसगढ़ का महुआ फूल महक रहा है फ्रांस की सरजमीं

छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों के महुआ की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर खिली मुस्कान

महुए के पेड़ वनवासी इलाकों में रहने वाले लोगों की आमदनी का मुख्य स्रोत हैं। देश के कई राज्यों में महुआ फूल की खेती की जाती है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।

महुआ फूल की एक खेप छत्तीसगढ़ से समुद्र के रास्ते फ्रांस को निर्यात की गई है। निर्जलित महुआ के फूलों का इस्तेमाल ज़्यादातार दवा, सिरप और शराब बनाने के लिए किया जाता है। निर्यात किए गए महुआ के फूल छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के जंगलों से एकत्र किए गए और कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा इन्हें निर्यात के लिए संशोधित किया गया। इन महुआ के फूलों को इकट्ठा करने में छत्तीसगढ़ के कोरबा, काठघोरा, सरगुजा, पासन, पाली, चुर्री के जंगलों के वनवासी शामिल रहे। आदिवासी क्षेत्रों से उपज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए इस अहम कदम ने महुआ फूल से जुड़े स्थानीय लोगों की तरक्की की नई राह खोल दी है।

क्यों खास है महुआ फूल

महुआ फूल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन फूलों को संग्रहित करके लंबे समय के लिए रखा जा सकता है। छोटे आकार और पीले सफेद रंग के दिखने वाले इन फूलों से कस्तूरी की सुगंध आती है। इससे प्राप्त लकड़ी, फल और फूल से कई प्रकार की औषधियां तैयार की जाती है। यह मूल रूप से भारत में पाया जाने वाला वृक्ष है। महुआ या मधुका लोंगिफोलिया फूल के वृक्ष मुख्य रूप से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश राज्य में पाए जाते हैं तथा कुछ लोग बकायदा इसकी खेती भी करते हैं। महुआ के फूल मार्च से अप्रैल माह में आते हैं।

Chhattisgarh mahua flowers export france ( महुआ फूल की खेती )

महुआ फूलों के निर्यात से फ़ायदा 

महुआ फूलों के निर्यात से किसानों को फ़ायदा होने के साथ ही देसी पौधे को भी पहचान मिलेगी। इसके अलावा, यह गैर-पारंपरिक क्षेत्रों से कृषि उपज के निर्यात की दिशा में भी एक सकारात्मक विकास है। महुआ के फूलों के निर्यात से किसानों और आपूर्तिकर्ताओं की आय में भी वृद्धि होगी।

वनवासियों की आय का मुख्य स्रोत 

महुए के पेड़ आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोगों की आमदानी का मुख्य स्रोत है। इन्हें सुखाकर खाने और अन्य कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। मार्च के आख़िरी सप्ताह से लेकर अप्रैल महीने तक ज़्यादातार परिवार इस पुश्तैनी कार्य में लग जाते हैं। ज़्यादातार वनवासी परिवार इसे बाजार में सीधा बेच देते हैं, लेकिन जब दाम घट जाते हैं तो महुआ का आचार या शराब बनाकर इन्हें बेचा जाता है।

Chhattisgarh mahua flowers export france ( महुआ फूल की खेती )

स्वास्थ्यवर्धक पोषण से भरपूर 

महुआ का पेड़ पेट के विकारों को दूर करने में मददगार है। वात, गैस, पित्त, कमजोरी, खांसी, और कफ़ जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में आराम देता है। महुआ में कैल्शियम, आयरन, पोटाश, एन्जाइम्स, एसिड्स आदि काफ़ी मात्रा में होते हैं।

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