MSP for Kharif Crops: खरीफ़ फसलों की MSP में बढ़ोतरी का ऐलान, जानिए कितना बढ़ा न्यूनतम समर्थन मूल्य

अनुराग ठाकुर ने बढ़ी हुई खरीफ़ फसलों की MSP का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार कई फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लेकर आई है। कृषि बजट भी बढ़कर 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपये  हो गया है।

खरीफ़ फसलों की MSP for kharif crops

भारतीय कृषि की दुर्दशा और पिछड़ेपन को दूर करने में MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब केंद्र सरकार ने खरीफ़ फसलों की MSP को लेकर एक और बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी कि सरकार ने 2022-23 के लिए कई खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs, CCEA) की बैठक में ये मंजूरी दी गई। इसके तहत 17 खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की गई है। 

अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि सरकार कई फसलों को एमएसपी के दायरे में लेकर आई है। कृषि बजट भी बढ़कर 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपये  हो गया है। उन्होंने कहा-

“बुवाई के समय एमएसपी की जानकारी हो जाने से किसानों का मनोबल भी बढ़ता है और उन्हें फसल के दाम भी अच्छे मिलते हैं। इसी दिशा में इस बार खरीफ की सभी 14 फसलों और उनकी वैरायटीज सहित 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है।”

किन फसलों की कितनी बढ़ी MSP (प्रति क्विंटल का मूल्य):

फसल MSP 2021-22

        (पहले)

MSP 2022-23

        (अब)

MSP में वृद्धि 
धान (सामान्‍य) 1940 2040 100
धान (ग्रेड ए) 1960 2060 100
ज्‍वार (हाईब्रीड) 2738 2970 232
ज्‍वार (मालदंडी) 2758 2990 232
बाजरा 2250 2350 100
रागी 3377 3578 201
मक्‍का 1870 1962 92
तूर (अरहर) 6300 6600 300
मूंग 7275 7755 480
उड़द 6300 6600 300
मूंगफली 5550 5850 300
सूरजमुखी बीज 6015 6400 385
सोयाबीन (पीला) 3950 4300 350
तिल 7307 7830 523
रामतिल 6930 7287 357
कपास (मध्‍यम रेशा) 5726 6080 354
कपास (लंबा रेशा) 6025 6380 355

कैसे तय होती है MSP?

MSP देश की कृषि मूल्य नीति का एक अभिन्न हिस्सा है। इसका मक़सद किसानों के लिए उनकी फ़सल का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। MSP का निर्धारण भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CAPC) की सिफ़ारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों तथा केन्द्रीय मंत्रालयों के उपयुक्त विभागों से विचार-विमर्श करने के बाद किया जाता है। MSP तय करने के लिए CAPC की ओर से जिन कारकों पर ग़ौर किया जाता है उनमें किसान की उत्पादन लागत, घरेलू एवं अन्तरराष्ट्रीय क़ीमतें, माँग-आपूर्ति की स्थिति, विभिन्न फ़सलों के बीच मूल्य-समानता, कृषि एवं ग़ैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें जैसे अनेक पहलू शामिल होते हैं। सभी तरह के सरकारी सलाह-मशविरे के बाद केन्द्र सरकार की ओर से हरेक ख़रीफ़ और रबी सीज़न की बुवाई से पहले MSP की घोषणा की जाती है।

तस्वीर साभार: businesstoday
तस्वीर साभार: businesstoday

MSP for Kharif Crops: खरीफ़ फसलों की MSP में बढ़ोतरी का ऐलान, जानिए कितना बढ़ा न्यूनतम समर्थन मूल्य

क्या है MSP? 

MSP यानी कृषि उपज का ऐसा न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसे सुनिश्चित करने की गारंटी सरकारों की ओर से किसानों को दी जाती है। इसके पीछे का तर्क ये है कि बाज़ार में फ़सलों की क़ीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर नुकसानदायक असर नहीं पड़े और उन्हें न्यूनतम मूल्य की गारंटी मिले। क्योंकि दरअसल होता ये है कि जब किसानों की उपज के बाज़ार में पहुँचने का मौसम होता है तब बाज़ार पर हावी माँग और पूर्ति की शक्तियों की वजह से किसानों से उनकी उपज ऐसे औने-पौने दाम में नहीं खरीदी जा सके, जिससे किसानों को घाटा हो।

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