Lumpy Skin Disease: क्या हैं लम्पी त्वचा रोग के मौजूदा हालात? सीधा पशुपालकों से ख़ास बात, क्या बरत रहे सावधानियां और क्या हैं बचाव?

देशभर में 15 लाख से ज़्यादा मवेशी संक्रमित

‘जीनस कैप्रिपोक्स’ वायरस से फैलने वाले इस रोग में मवेशियों की त्वचा पर बड़ी-बड़ी गांठें बन जाती हैं। दुधारू उत्पादन अचानक से घट जाता है। लम्पी त्वचा रोग किलनी मच्छर, मक्खी, पशुओं के लार, जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। किलनी, मच्छर व मक्खी जैसे वाहकों द्वारा बीमार पशु से स्वस्थ पशु के शरीर में पहुंचता है।

दुधारू पशुओं में इन दिनों एक बीमारी, महामारी की तरह फैल रही है। लम्पी त्वचा रोग से देश के करीबन 15 लाख से ज़्यादा मवेशी संक्रमित हो चुके हैं। करीबन 49,500 मवेशियों की जान जा चुकी है। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक सहित देश के कई राज्य इसकी चपेट में हैं। राज्य सरकारें अलर्ट मोड पर हैं।

पशु चिकित्सकों को लम्पी त्वचा रोग के निदान के लिए फ़ील्ड पर उतारा गया है। टीकाकरण, दवाईयां सुझाई जा रही हैं। हाल ही में किसान ऑफ़ इंडिया ने नरेन्द्र देव कृषि एंव प्रौधोगकी विश्वविद्यालय कुमारगंज के पशु सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय के सहायक प्रध्यापक पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजपाल दिवाकर से लम्पी त्वचा रोग को लेकर चर्चा की थी। लम्पी त्वचा रोग के लक्षण, बचाव और सावधानियों को लेकर उन्होंने अहम जानकारियां साझा की थी। 

पूरी स्टोरी यहाँ पढ़ें: Lumpy Skin Disease: लम्पी त्वचा रोग से कैसे करें दूधारू पशुओं का बचाव? जानिए पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजपाल दिवाकर से

लम्पी त्वचा रोगलम्पी त्वचा रोग lumpy skin disease
तस्वीर साभार: pashudhanharyana

किसान ऑफ़ इंडिया ने लम्पी त्वचा रोग की मौजूदा स्थिति को और अच्छे से समझने के लिए राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के डेयरी व्यवसाय से जुड़े पशुपालकों से बात की। राजस्थान के जोधपुर ज़िले के नौसर गाँव के रहने वाले रावलचंद पंचारिया कहते हैं कि अब उनके क्षेत्र में स्थिति पहले के मुकाबले नियंत्रण में है। उन्होंने बताया कि लम्पी त्वचा रोग से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर के ज़्यादातर मवेशी रहे। उनके जोधपुर ज़िले में अभी स्थिति नियंत्रण में है। पशुओं में रिकवरी पीरीयड चल रहा है। स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशुओं से अलग रखा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस रोग से मवेशियों का वजन और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) घट जाती है। किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए इम्युनिटी का अच्छा होना ज़रूरी है। वह सुबह शाम काढ़ा पिला रहे हैं ताकि पशुओं की इम्यूनिटी बूस्ट हो यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। रावलचंद पंचारिया कहते हैं कि गिलोय में हल्दी मिक्स कर पिलाने, शाम को गुड़ के साथ तुलसी के पत्तों का टॉनिक बनाकर पिलाने से भी मवेशी को आराम मिलता है। ये काढ़ा स्वस्थ पशु से लेकर संक्रमित पशु को पिलाया जा सकता है।

आगे उन्होंने बताया कि संक्रमित पशु को बुखार होने पर उसे नहलाते हैं तो इससे उसे निमोनिया का खतरा रहता है। ऐसे में मवेशी की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि सभी सावधानियां बरतीं जाएं। 

बता दें कि राजस्थान में अब तक सबसे ज़्यादा लम्पी त्वचा रोग का संक्रमण देखने को मिल रहा है। एक आँकड़े के मुताबिक, अब तक राज्य में लगभग आठ लाख के आसपास मवेशी लम्पी त्वचा रोग से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 7.40 लाख का उपचार हो चुका है और लगभग 4.30 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। राजस्थान के कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने हाल ही में जानकारी भी दी कि पश्चिमी राजस्थान में संक्रमण की दर तेज़ी से घट रही है। 

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उधर हरियाणा के करनाल ज़िले के नलवी खुर्द गाँव में अरविन्द डेयरी फ़ार्म चलाने वाले रवि खोखर ने जानकारी दी कि उनके क्षेत्र में लम्पी त्वचा रोग की वजह से कई पशुपालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है। लगभग सभी फ़ार्मों में मवेशी इस रोग से ग्रसित रहे हैं। अब स्थिति में ज़रूर सुधार है। अभी भी पानीपत, गोंडा क्षेत्र में लम्पी त्वचा रोग का ज़्यादा प्रभाव है। बता दें कि हरियाणा में लम्पी स्किन बीमारी से प्रदेश के 14 ज़िले प्रभावित हैं। आज की तारीख में अरविन्द डेयरी फ़ार्म में 85 गायें हैं। दो गायों को छोड़कर सभी होल्स्टीन फ्रीज़ियन नस्ल की हैं।

उत्तर प्रदेश में भी लम्पी त्वचा रोग दस्तक दे चुका है। यूपी में करीबन 8 लम्पी त्वचा रोग के मामले आ चुके हैं। इस पर उत्तर प्रदेश मेरठ ज़िले के भगवानपुर बांगर गाँव के रहने वाले ओमवीर सिंह से हमने बातचीत की। ओमवीर सिंह ने अपनी डेयरी में गिर और साहीवाल नस्ल की 100 से ऊपर देसी गायें पाली हुईं हैं। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में तो अभी तक कोई लम्पी त्वचा रोग का मामला नहीं आया है। हालांकि, वो पूरी सावधानी बरत रहे हैं। साफ-सफाई से लेकर बाहर से किसी शख्स को फ़ार्म में आने की अनुमति नहीं है। 

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क्या है लम्पी त्वचा रोग और लक्षण?

‘जीनस कैप्रिपोक्स’ वायरस से फैलने वाले इस रोग में मवेशियों की त्वचा पर बड़ी-बड़ी गांठें बन जाती हैं। दुधारू उत्पादन अचानक से घट जाता है। LSD से संक्रमित पशुओं में 4 से लेकर 14 दिनों के बीच 104 डिग्री फ़ॉरेनहाइट तक तेज़ बुखार पहुंच जाता है। उनके नाक और आँख से स्राव (discharge) निकलता रहता है।

लम्पी त्वचा रोग किलनी मच्छर, मक्खी, पशुओं के लार, जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। किलनी, मच्छर व मक्खी जैसे वाहकों द्वारा बीमार पशु से स्वस्थ पशु के शरीर में पहुंचता है।

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तस्वीर साभार: pashudhanharyana

क्या हैं बचाव? 

टीकाकरण ही रोकथाम और नियंत्रण का सबसे प्रभावी साधन हैं। वहींबीमारी से बचने के लिए स्टेरॉयडल एंटी इनफॉर्मेटरी और एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। 

संक्रमित पशु को एक जगह बांधकर रखें। उन्हें स्वस्थ पशुओं के संपर्क में न आने दें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं तथा बीमार पशुओं को बुखार एवं दर्द की दवा तथा लक्षण के अनुसार उपचार करें। पशु मंडी या बाहर से नए पशुओं को खरीद कर पुराने पशुओं के साथ न रखें। उन्हें कम से कम 15 दिन तक अलग रखें।

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