World Soil Day: दुनियाभर में नमक से बंजर हो रही खेती की ज़मीनें, ये आंकड़ा आंखें खोल देने वाला है

नमक निगल रही खेती की ज़मीन तो कैसे उगेगा सोना?

World Soil Day 2021 पर संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि अब वक़्त आ गया है मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इस दिशा में कई कड़े कदम उठाएं जायें। नमक के अंधाधुंध इस्तेमाल से ज़मीन की उत्पादकता घट जाती है, जिससे वो बंजर होती चली जाती हैं।
Story Courtesy: UN News

विश्व मृदा दिवस (World Soil Day): “मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती…” ये 1967 में आई हिन्दी फिल्म ‘उपकार’ का गाना है। यहां हम इस गाने का ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब देश ही नहीं, दुनियाभर में भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार कम हो रही है। अगर इस स्थिति से वक़्त रहते नहीं निपटा गया तो ये धरती, फसल रूपी सोना और हीरा-मोती नहीं उपज पाएगी। यहां हम आपको डरा नहीं रहे हैं, सतर्क कर रहे हैं।

उपजाऊ क्षमता के कम होने का एक प्रमुख कारण मिट्टी में खारेपन यानी नमक की मात्रा का लगातार बढ़ना है। मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को नमक नुकसान पहुंचाता है, वहीं जमीन को धीरे-धीरे बंजर करने लगता है। इससे पेड़-पाधों के विकास पर बुरा असर पड़ता है। मिट्टी में नमक की मात्रा बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। जल की कमी (Water Crisis), गहन वाष्पीकरण (Deep Evaporation), या फिर मानवीय गतिविधियां (Human Activity) भी मिट्टी में खारेपन की वजह बन सकती हैं।

5 दिसंबर को World Soil Day यानी विश्व मृदा दिवस है। यूएन एजेंसी के महानिदेशक क्यू डोन्गयू ने 3 दिसंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मिट्टी, खेती-किसानी का मूलभूत आधार है। मिट्टी कृषि क्षेत्र की बुनियाद है। दुनिया के किसान हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन का लगभग 95 प्रतिशत उत्पादन करने के लिए मिट्टी पर निर्भर हैं। इसके बावजूद मिट्टी की गुणवत्ता खतरे में है।

world soil day salt in soilविश्व मृदा दिवस
तस्वीर साभार: biosaline

संयुक्त राष्ट्र ने चलाया जागरूकता अभियान

इस साल World Soil Day 2021 के तहत संयुक्त राष्ट्र ने जागरूकता का अभियान चलाया है। ये अभियान मिट्टी का खारापन रोककर मिट्टी की उत्पादन शक्ति उन्नत करने का है। इस अभियान का उद्देश्य स्वस्थ मिट्टी की अहमियत को समझकर मृदा संसाधनों के टिकाऊ इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है।

83 करोड़ से ज़्यादा हेक्टेयर की भूमि खारेपन से प्रभावित

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने ज़ोर देते हुए कहा कि कृषि के टिकाऊ तौर-तरीक़ों के अभाव, प्राकृतिक संसाधनों के ज़्यादा दोहन, साथ ही बढ़ती वैश्विक आबादी के कारण मिट्टी पर दबाव बढ़ रहा है।  दुनिया भर में चिन्ताजनक दर से मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है। यूएन न्यूज़ के प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 83 करोड़ से ज़्यादा हेक्टेयर की भूमि खारेपन से प्रभावित है। ये आंकड़ा विश्व में भूमि की कुल सतह का 9 फ़ीसदी है यानी भारत के आकार का लगभग चार गुना है।

इन क्षेत्रों में है सबसे ज़्यादा खारेपन की समस्या

खारेपन से प्रभावित मिट्टी, सभी महाद्वीपों और लगभग हर तरह की जलवायु परिस्थितियों में पाई जाती है। मिट्टी में खारेपन की समस्या मध्य एशिया, मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका, उत्तर अफ़्रीका और प्रशान्त क्षेत्रों में ज़्यादा है।

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तस्वीर साभार: ensia

मिट्टी जांचने की सुविधा का अभाव

इसके अलावा, FAO ने मिट्टी की गुणवत्ता पर सटीक डेटा की उपलब्धता पर भी ज़ोर दिया। FAO ने एक ग्लोबल सॉयल लेबोरेटरी असेसमेंट रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में एक सर्वे का ज़िक्र किया गया है। सर्वे से पता चलता कि 142 देशों में से 55 प्रतिशत के पास मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के लिए ज़रूरी संसधान ही नहीं है। इनमें ज़्यादातर देश अफ्रीका और एशिया के हैं।

ज़्यादा से ज़्यादा मिट्टी जांच केंद्र बनाने पर दिया ज़ोर

यूएन एजेंसी के महानिदेशक क्यू डोन्गयू ने मिट्टी की जांच के लिए ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोगशालाओं में निवेश करने की बात कही। साथ ही जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये स्वस्थ मिट्टी की अहमियत पर ज़ोर दिया।

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तस्वीर साभार: healthy land & water

लगातार घट रही है उत्पादन क्षमता

खेतों से अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान बड़ी तादाद में नमक का इस्तेमाल करते हैं। खेत में नमक डालने से ज़मीन में मौजूद सूक्ष्म खनिज तत्व जैसे मैगनीज़, बोरान आदि की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिसका फ़ायदा फसल पर दिखाई देता है। लेकिन खेतों में नमक का लगातार और लंबे समय तक इस्तेमाल होने से ज़मीन बंजर होने लगती है।

नमक एक प्रकार का खनिज है, जिसे रसायन विज्ञान की भाषा में सोडियम क्लोराइड कहते हैं। ये सोडियम क्लोराइड खेत में मौजूद अन्य तत्वों से मिलने के बाद उनके गुण बदल देता है। इससे खेत में सल्फर की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, जो ज़मीन के लिए नुकसानदायक है। शुरुआत में भले ही किसानों को इसका लाभ दिखता हो, लेकिन नमक के अंधाधुंध इस्तेमाल से ज़मीन की उत्पादकता घट जाती है, जिससे वो बंजर हो जाती है। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
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