Falsa Farming: फालसा की खेती इस तरह से दे सकती है किसानों को लाभ, जानिए क्यों मिल रहा प्रोत्साहन

फालसा की फसल पर प्रतिकूल मौसम का बहुत कम असर पड़ता है। ये 44-45 डिग्री सेल्सियस का तापमान भी आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं। फालसा की खेती कर रहे किसान इससे बनने वाले कई उत्पादों से लाभ कमा सकते हैं।

फालसा की खेती (Falsa Farming) fa

फालसा का फल करीब एक सेंटीमीटर व्यास वाला गोलाकार होता है। कच्चे फालसा का रंग मटमैला लाल और जामुनी होता है। मई-जून में पूरी तरह पकने पर फालसा का रंग काला हो जाता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा या चटपटा होता है। फल में बीज पर गूदे की पतली परत होती है। फालसे की झाड़ी में काँटे नहीं होते। इन्हें हाथों से तोड़ते हैं। उपज के लिहाज़ से देखें तो फालसा के फल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही पकते हैं। इन्हें हफ़्ते भर से ज़्यादा वक़्त के लिए बचा पाना मुश्किल होता है, क्योंकि ये जल्दी ख़राब होने लगते हैं। इसीलिए फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) के लिहाज़ से अगर फालसा की व्यावसायिक खेती को अपनाया जाए तो ये असिंचित क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान बन सकता है। इसके पौधे अनुपजाऊ, खराब, घटिया, पथरीली या बंजर मिट्टी में भी पनप सकते हैं। इस लेख में हम आपको फालसा की खेती कर किसान किस तरह से आमदनी अर्जित कर सकते हैं, उसके बारे में बताने जा रहे हैं।

फालसा के तैयार किये जाते हैं कई प्रॉडक्ट्स

फालसा के फल बहुत नाजुक होते हैं। इन्हें आसानी से लम्बी दूरी तक नहीं ले जा सकते। लिहाज़ा, इसकी पैदावार बड़े शहरों आसपास ही सिमटकर रह जाती है। फालसा के बीजों से भी तेल और दवाईयाँ बनती हैं तो फलों से स्क्वैश, जेम, आईस क्रीम, चटनी, अचार और मिठाई वग़ैरह बनाया जाता है। फालसा की पतली टहनियों का टोकरियाँ बनाने और अंगूर की बेल चढ़ाने के लिए जाल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। 

फालसा की खेती (Falsa Farming) fa
तस्वीर साभार: exportersindia

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औषधीय गुणों की खान है फालसा

फालसा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस साइट्रिक एसिड, अमीनों एसिड समेत विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ पाये जाते हैं। गर्मियों में फालसा को कच्चा खाने या इसका शरबत पीने से ठंडक का अहसास होता है। ज़्यादा पका हुआ फालसा शरबत के लिए बेहतरीन होता है। इसके स्वाद के क़ायल लोग इसके कठोर बीजों को भी चबा जाते हैं। इसके बीजों में लिनोलेनिक ऐसिड होता है, जो मनुष्य के शरीर के लिए बेहद उपयोगी है।

चिलचिताती गर्मी में फालसा का शरबत लू लगने और त्वचा को झुलसने से बचाता है। लू लगने पर आये बुखार में ये शानदार उपचार का काम करता है। बुख़ार, ह्रदय रोग, कैंसर, पेट की बीमारियों, ब्लड प्रेशर, मूत्र विकार, डायबिटीज़, दिमाग़ी कमज़ोरी और सूजन से पीड़ित मरीज़ों के लिए भी फालसा बेहद फ़ायदेमन्द है। मधुमेह के रोगियों में फालसा ख़ून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है और विकिरण के दुष्प्रभावों के मामले में भी बहुत राहत देता है।

फालसा की खेती (Falsa Farming) falsa juice
तस्वीर साभार: indiamart

Falsa Farming: फालसा की खेती इस तरह से दे सकती है किसानों को लाभ, जानिए क्यों मिल रहा प्रोत्साहनफालसे की खेती को किया जा रहा है प्रोत्साहित

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में कई किसान फालसा की खेती व्यावसायिक तौर पर होती है। फालसा हिमालयी क्षेत्रों में भी उगता है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (CSIR) के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू क्षेत्र में फालसा की खेती को प्रोत्साहित करने का काम कर रहा है। ताकि इस स्वादिष्ट फल को विलुप्त होने से बचाया जा सके। संस्थान ने फालसा से बने एक हेल्थ ड्रिंक बनाने की तकनीक भी विकसित की है। इसे वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं को बेचा भी जाता है।

फालसा का शरबत बनाने की विधि

जो फालसा इतना गुणकारी है उसके बारे में आख़िर में आपको ये भी बताते चलें कि फालसा का शरबत कैसे बनाया जाता है, ताकि आप भी इस शानदार फल के मुरीद बन सकें।

  • सामग्री– फालसा: 200 ग्राम, गुड़: 25 ग्राम, काला नमक: स्वाद अनुसार और भुना जीरा: 2 चुटकी।
  • विधि: फालसे को अच्छी तरह धोकर गूदे से बीज को अलग कर लें। अब गूदे को एक छन्नी की सहायता से अच्छे से निचोड़कर इसका रस निकाल लें। इस रस में गुड़, काला नमक, भुना जीरा और उपयुक्त मात्रा में पानी मिलाकर परोसें।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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