किसानों का आंदोलन आज चौथे दिन भी जारी, रणनीति को लेकर हो रही मीटिंग्स

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद से किसान नेताओं की बैठक चल रही है।

किसानों का आंदोलन kisan strategy

किसानों का आंदोलन आज रविवार को चौथे दिन जारी है। केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद से किसान नेताओं की बैठक चल रही है।

बताया जा रहा है कि बैठक में आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। दिल्ली-हरियाणा सीमा स्थित सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि किसान नेताओं की कोर कमेटी की बैठक चल रही है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

गृहमंत्री ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है।

किसानों का संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सिंघू बॉर्डर पर चल रही बैठक में आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बैठक में यह तय होगा कि आगे कहां जाना है। राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश से आए किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

बता दें कि नये कृषि कानून से संबंधित मसले समेत किसानों की समस्याओं को लेकर पंजाब के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बीते दिनों 13 नवंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान-भवन में हुई बैठक में कई घंटे तक बातचीत हुई थी और दोनों पक्षों ने आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई थी। बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।

इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने पंजाब के किसान नेताओं को नये कृषि कानून पर चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है, जिसका जिक्र गृहमंत्री ने भी किया है। किसान नेता सरकार से नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों के बजाय कॉरपोरेट को फायदा होगा। किसान नेता किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी चाहते हैं और इसके लिए नया कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह भी आशंका है कि नये कानून से राज्यों के एपीएमसी एक्ट के तहत संचालित मंडियां समाप्त हो जाएंगी जिसके बाद उनको अपनी उपज बेचने में कठिनाई आ सकती है। नये कानून में अनुबंध पर आधारित खेती के प्रावधानों को लेकर भी वे स्पष्टता चाहते हैं।

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