कार्बन मिश्रित पेपर (carbon composite paper) तकनीक से फलों को लंबे समय तक रखें ताज़ा, फल उत्पादकों को मिलेगा फ़ायदा

कार्बन मिश्रित पेपर का रैपर बन रहा फल उत्पादकों का साथी

भारत में उत्पादित कुल फल का करीब 50 फीसदी बर्बाद हो जाता है, जिससे फल उत्पादक किसानों को भारी नुकसान होता है। अब ये नई तकनीक फलों के सरंक्षण में कारगर साबित होगी और बर्बादी घटने से किसानों की आय भी बढ़ेगी।

आप जब मार्केट में फल खरीदने जाते हैं तो छांट कर बिल्कुल ताज़े फल ही निकालते हैं। अब फल तो फल हैं, बागानों से तोड़े जाने, पैकिंग, ढुलाई, थोक मंडी और तब जाकर खुदरा फल विक्रेताओं तक पहुंचते हैं तो आधे तो इस प्रक्रिया में ही बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में ताज़ा फलों की मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पाती, लेकिन इस समस्या से परेशान उत्पादकों, विक्रेताओं और खरीदारों सभी के लिए ये आसान समाधान एख खुशख़बरी बनकर आई है।

भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिससे फलों को लंबे समय तक ताज़ा रखा जा सकेगा। नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली के डॉ. पी. एस विजयकुमार के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कार्बन (ग्राफीन ऑक्साइड) से बने मिश्रित कागज़ को विकसित किया है। इस कागज़ को फलों के तोड़े जाने के बाद भी उन्हें ताज़ा रखने के लिए  इस्तेमाल में लाया जा सकेगा।

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जहरीले रसायनों से मिलेगा छुटकारा

वैसे अमूमन फलों को ताज़ा रखने के लिए एडिबल पॉलीमर, मोम का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है। ऐसे में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया ये मिश्रित कागज़ ज़रूरत पड़ने पर ही प्रिजर्वेटिव छोड़ता है। खास बात ये है कि इस पेपर का इस्तेमाल दोबारा भी किया जा सकता है, जो कि अन्य उपलब्ध तकनीकों के साथ संभव नहीं है।

फल अगर सही से ताज़ा नहीं रखे जाएँ तो वो जल्द ही खराब हो जाते हैं। इस वजह से उत्पादित फल का 50% बर्बाद हो जाता है, जिससे भारी नुकसान होता है। ऐसे में ये तकनीक फलों के सरंक्षण में अत्यधिक कारगर साबित होगी।

fruit self life

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ऐसे तैयार किया गया ग्राफीन फ्रूट रैपर

सबसे पहले ग्राफीन ऑक्साइड से भरे अणुओं को प्रिजर्वेटिव के साथ मिश्रित किया जाता है। फिर इस मिश्रण को जब फलों को लपेटने के लिए उपयोग किए जाने वाले कागज में डाला जाता है, तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि फल जहरीले पदार्थ अवशोषित न कर पाएँ। लेकिन जब फल अधिक पक जाता है, ऐसी स्थिति में फल के संरक्षण के लिए ग्राफीन फ्रूट रैपर अपने आप प्रिजर्वेटिव छोड़ने लगता है।

एक तरफ़ अब तक उपयोग की जाने वाली तकनीक में जहां फल को डुबाने की प्रक्रिया में प्रिजर्वेटिव फल के साथ ही व्यर्थ हो जाते हैं, वहीं फलों की अगली खेप के संरक्षण के लिए इन रैपरों का फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया विवरण ‘एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेस’ जर्नल में प्रकाशित भी हुई है।

फलों की गुणवत्ता में होगी बढ़ोतरी

फलों को लंबे समय तक ताज़ा रखने की इस तकनीक से खाद्य उद्योग और किसानों को भी लाभ मिल सकता है। साथ ही इस रैपर का इस्तेमाल करने से फलों की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी। इस ग्राफीन फ्रूट रैपर को बनाने के लिए केवल जैविक पदार्थों (बायोमास) की ऊष्मा से उत्पादित कार्बन की ज़रूरत होती है। इस वजह से ये बायोमास की खपत बढ़ने और रोजगार को बढ़ावा देने भी कारगर साबित हो सकता है।

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