ख़रीफ़ सीज़न के लिए समर्थन मूल्य में इज़ाफ़े के आसार बढ़े

DAP और NPKS की वैरायटी में आये धमाकेदार इज़ाफ़े के बारे में इफ़्को का कहना है कि गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही सरकार के नियंत्रण से बाहर है। इसीलिए कीमतें के बढ़ने की कोई राजनीतिक वजह नहीं है। क्योंकि इफ़्को, किसानों का सहकारी संगठन है। दरअसल, हर साल मार्च में खाद उत्पादक कम्पनियाँ अपनी कीमतों की समीक्षा करती हैं।

किसान कल्याण योजना

डीज़ल के ऊँचे दाम से आहत किसानों के लिए DAP समेत रासायनिक खाद की कीमत में हुई 45 से 58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। ज़ाहिर है, सिंचाई और खाद के बेहद महँगा होने से किसानों की आमदनी घटेगी। इसीलिए ऐसा माना जा रहा है कि ख़रीफ़ सीज़न से पहले जून-जुलाई में सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफ़ा करके किसानों के जख़्मों पर मलहम लगाने की कोशिश कर सकती है।

देश में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक उर्वरकों में यूरिया के बाद सबसे अधिक ख़पत DAP (Di-ammonium phosphate) की ही है। वैसे किसानों के सहकारी संगठन ‘इफ़्को’ (IFFCO) समेत कई खाद उत्पादक कम्पनियाँ देश में DAP का उत्पादन करती हैं, लेकिन घरेलू उत्पादन से माँग पूरी नहीं होती इसीलिए रसायन और खाद मंत्रालय की माँग के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय की एजेंसियाँ DAP का आयात करती हैं। DAP के दाम में आयी बेतहाशा तेज़ी की वजह इसके आयात मूल्य को तेज़ी से बढ़ना है।

क्या है खाद का नया दाम?

IFFCO, देश का सबसे बड़ा खाद विक्रेता है। 1 अप्रैल से कीमत बढ़ने के बाद अब 50 किलो की DAP का बोरी का दाम 1,200 रुपये से बढ़कर 1,900 रुपये हो गया है। ये 58 प्रतिशत ज़्यादा है। अलग-अलग खेतों के ज़रूरी अलग-अलग किस्म की खाद की ज़रूरत को देखते हुए इफ़्को के कारखानों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर (NPKS) के अलग-अलग अनुपात वाली खाद भी तैयार की जाती है। ऐसी सभी वैरायटी का दाम भी बढ़ गया है।

मसलन, 10:26:26 वाले NPKS का दाम 1,175 रुपये से बढ़कर 1,775 रुपये प्रति 50 किलोग्राम हो गया है, तो 12:32:16 वाले NPKS की कीमत 1,185 रुपये से बढ़कर 1,800  रुपये प्रति बैग (50 किलो) हो गयी। इसी तरह 20:20:0:13 वाले NPKS का भाव 925 रुपये से उछलकर 1,350 रुपये प्रति बैग हो गया। इस तरह ये बढ़ोत्तरी क्रमशः 51, 52 और 48 फ़ीसदी की रही है।

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क्यों बढ़े बेतहाशा दाम?

DAP और NPKS की वैरायटी में आये धमाकेदार इज़ाफ़े के बारे में इफ़्को का कहना है कि गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही सरकार के नियंत्रण से बाहर है। इसीलिए कीमतें के बढ़ने की कोई राजनीतिक वजह नहीं है। क्योंकि इफ़्को, किसानों का सहकारी संगठन है। दरअसल, हर साल मार्च में खाद उत्पादक कम्पनियाँ अपनी कीमतों की समीक्षा करती हैं।

ताज़ा बढ़ोत्तरी की वजह अन्तर्राष्ट्रीय कीमतों में बीते 5-6 महीनों में दर्ज़ हुई तेज़ी है। अभी आयातित DAP का दाम करीब 540 डॉलर प्रति टन है, जबकि अक्टूबर में ये 400 डॉलर से कम थी। इसी तरह, अमोनिया का दाम 280 डॉलर से बढ़कर 500 डॉलर और सल्फर का मूल्य 85 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 220 डॉलर प्रति टन हो गया। जबकि यूरिया का दाम 275 डॉलर से बढ़कर 380 डॉलर और पोटाश की भाव 230 डॉलर से बढ़कर 280 डॉलर पर जा पहुँचा। हालाँकि, इस सेक्टर के जानकारों को लगता है कि रासायनिक खाद के इन ज़रूरी तत्वों पर फ़िलहाल बाज़ार की तेज़ी (bull factor) हावी है।

कितनी बढ़ेगी लागत?

अब ज़रा ये समझने की कोशिश करते हैं कि रासायनिक खाद के दाम में हुई 45 से 58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का खेती की लागत पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है? किसान गन्ने की खेती में आमतौर पर 200 किलोग्राम (4 बैग) प्रति हेक्टेयर DAP का इस्तेमाल करते हैं। खाद का दाम बढ़ने से अब प्रति हेक्टेयर 4800 रुपये की जगह 6000 रुपये का खर्च आएगा।

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