Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा

मौसमी सब्जी होने के कारण बाज़ार में कंटोला का अच्छा दाम भी मिल जाता है। अभी कंटोला की खेती ज़्यादातर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में हो रही है।

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती kantola ki kheti

मॉनसून में बाज़ार में करेले की तरह दिखने वाली सब्ज़ी कंटोला आपने भी देखी होगी। यह मौसमी सब्ज़ी सिर्फ़ बरसात के समय ही मिलती है। यह कदूवर्गीय कुल का पौधा है। कंटोला की खेती मुख्य रूप से भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है। हमारे देश में इसे कंकोड़ा, कटोला, पपोरा या खेख्सा के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा, अब कंटोला की खेती दुनियाभर में शुरू हो गई है।

देश में भी कंटोला की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अभी ज़्यादातर किसान अपने उपयोग के लिए या फिर अधिक उपज हो जाए तो बची हुई उपज को बाज़ार में बेच देते हैं। अभी कंटोला की खेती ज़्यादातर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में हो रही है।

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती kantola ki kheti
तस्वीर साभार: ICAR-IIHR

मौसमी सब्जी होने के कारण बाज़ार में इसका अच्छा दाम भी मिल जाता है। यह 200 रुपये प्रति किलो तक में बिकता है। कंटोला की व्यावसायिक खेती के लिए अधिक उपज देने वाली किस्म अर्का भारत की पहचान की गई है।

अधिक उपज क्षमता वाली अर्का भारत (Teasel Gourd Variety Arka Bharath)

इस सब्ज़ी को उगाने के बारे में किसानों में जानकारी की कमी है, जिसके चलते वह इस लाभकारी सब्ज़ी का अधिक उत्पदान नहीं कर पाते। बहुत कम किसान छोटे पैमाने पर इसकी खेती करते हैं। कंटोला की भारी मांग के बावजूद महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में सही तकनीक के अभाव में बड़े पैमाने पर इसकी व्यवसायिक खेती नहीं हो पा रही थी। इसके संभावित लाभ को देखते हुए ही ICAR ने इसकी उन्नत किस्म ‘अर्का भारत’ जारी की। यह जनवरी-फरवरी में अंकुरित होती है और अप्रैल-अगस्त तक इसमें लगभग 6 महीने तक फल आते हैं।

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा
तस्वीर साभार- IIHR

लोकप्रिय हुई उन्नत किस्म

CHES (ICAR-IIHR), चेतल्ली ने कर्नाटक के कोडागु, उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जिलों में कंटोला की व्यावसायिक खेती की शुरुआत की और इसे लोकप्रिय बनाया। तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, ओडिशा और महाराष्ट्र के 250 से अधिक किसानों को अर्का भारत किस्म के लगभग 45,000 पौधों दिए गए। इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अर्का भारत किस्म उगाकर बहुत से किसान लाभ कमा रहे हैं और उनकी कमाई में कई गुना इज़ाफा हुआ है।

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा
तस्वीर साभार- IIHR

कंटोला की खेती से लाभ प्राप्त करने वाले किसान

महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले के रंगारी गाँव के किसान मिलिंद कुलकर्णी अर्का भारत की खेती से अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त कर रहे हैं। उनकी सफलता इलाके के अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने 0.17 एकड़ क्षेत्र में 1.5*1.5 मीटर की दूरी पर कंटोला के 300 पौधे लगाएं। जिससे उन्हें करीब 1.5 टन फल प्राप्त हुए। मिलिंद ने उन्हें 150-200 रुपये प्रति किलो की दर से बाज़ार में बेचा, जिससे उन्हें 6 महीने में करीबन 2,10,000 रुपये की आमदनी हुई।

कर्नाटक के शिवमोग्गा ज़िले के कुप्पल्ली गाँव के रहने वाले शंकर मूर्ति बी.कॉम पास हैं और उन्होंने पहली बार व्यावसायिक स्तर पर कंटोला की खेती शुरू की। उन्होंने आधी एकड़ ज़मीन में कंटोला की अर्का भारत किस्म के 1000 पौधे लगाए। इससे उन्हें करीब 3 हज़ार किलोग्राम फसल प्राप्त हुई। अन्य सब्जियों की तुलना में इसकी अच्छी कीमत प्राप्त हुई और बाज़ार में इसे 150-200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचकर उन्हें अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त हुआ। इसलिए कंटोला की खेती से वह खुश हैं।

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा
तस्वीर साभार- IIHR

Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा

कर्नाटक के उत्तरी कन्नड़ ज़िले के येल्लापुरा के रहने वाले गुरुप्रसाद एम. भट्ट ने अर्का भारत के 850 पौधे लगाएं, जिससे उन्हें करीब 4 हज़ार किलो फसल प्राप्त हुई और इसे उन्होंने 80-150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा। साथ ही इसका अचार बनाकर भी गोवा के बाज़ारों में बेचा। दरअसल, कंटोला के मूल्य संवर्धन उत्पादों की भी काफ़ी मांग है।

कर्नाटक के कोडागु ज़िले के कुशल नगर के रहने वाले वेंकटेश ने टीज़ल गॉर्ड (अर्का भारत) के 750 पौधे लगाए, जिससे 750 किलो फसल प्राप्त हुई। सिर्फ़ 0.25 एकड़ भूमि पर इसकी खेती से उन्हें 80 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। कोडागु ज़िले में इस सब्ज़ी की भारी मांग है, जिससे यहां के किसान अब बड़े पैमाने पर इसकी खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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