प्राकृतिक खेती (Natural Farming): बनना चाहती थीं टीचर, फिर एक मुलाकात ने बदल दिया नज़रिया और बन गईं किसान

लीना शर्मा ने 20 महिला किसानों का एक समूह भी बनाया है। साथ ही उनसे प्रभावित होकर आसपास के इलाकों के 100 से अधिक किसानों ने भी प्राकृतिक खेती का तरीका अपनाया है। जानिए लीना ने क्यों चुनी प्राकृतिक खेती और किन फसलों की करती हैं पैदावार।

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती (natural farming himachal pradesh)

जल्दी फसल प्राप्त करने और अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए कई किसान आजकल रासायनिक खेती कर रहे हैं। इसमें शुरुआत में तो फसल अच्छी होती है, मगर कुछ साल बाद ज़मीन की क्षमता कम हो जाती है। इसके विपरीत कुदरती तरीके से खेती करने पर ज़मीन की क्षमता और पौष्टिकता कम नहीं होती, बल्कि यह बढ़ती जाती है और किसानों को बेहतरीन क्वालिटी की अच्छी फसल प्राप्त होती है। इसलिए पिछले कुछ साल से बहुत से कृषि विशेषज्ञ और कुछ किसान, खुद प्राकृतिक खेती करने के साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला किसान हैं हिमाचल प्रदेश की लीना शर्मा।

कौन हैं लीना शर्मा?

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के पंज्यानु गांव की रहने वाली लीना शर्मा के पति शिक्षक हैं। लीना खुद भी पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वो खुद भी शिक्षा के क्षेत्र में ही करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन एक ट्रेनिंग ने उनका नज़रिया और ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी। कुफरी में पद्मश्री से सम्मानिक सुभाष पालेकर के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Program) में उन्होंने हिस्सा लिया था। पालेकर को प्राकृतिक खेती का जनक कहा जाता है। इस ट्रेनिंग के दौरान वह पालेकर से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने प्राकृतिक खेती करने का फैसला कर लिया। दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने लगीं।  

खड़ा किया महिला किसानों का समूह

लीना शर्मा के पास 5 बीघा ज़मीन है, जो पूरी तरह से सिचांई के लिए बारिश पर निर्भर है। उनके पास एक देसी पहाड़ी गाय भी है। वह पैसे देकर अपने खेतों में जुताई करवाती हैं और खुद की कोई मशीन उनके पास नहीं है। उन्होंने 20 महिला किसानों का एक समूह बनाया है। सभी महिला किसान संयुक्त रूप से काम करते हुए गांव की करीब 80 बीघा ज़मीन पर प्राकृतिक खेती करती हैं। आसपास के इलाकों के 100 से अधिक किसानों ने भी प्राकृतिक खेती का तरीका अपनाया है। 

लीना शर्मा प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत खट्टी लस्सी, अग्निअस्त्र आदि खुद से ही तैयार करती हैं। प्राकृतिक खेती में इनके इस्तेमाल से लीना को पहले साल ही बहुत अच्छी फसल हुई। बेहतरीन परिणाम देखने के बाद पड़ोस की महिला किसानों ने भी प्राकृतिक खेती की तकनीक सीखकर इसे अपनाया।

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हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती (natural farming himachal pradesh)
तस्वीर साभार: agricoop

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): बनना चाहती थीं टीचर, फिर एक मुलाकात ने बदल दिया नज़रिया और बन गईं किसानइन चीज़ों की करती हैं खेती

रबी के मौसम में वह मटर, लहसुन, धनिया, मेथी, बीन्स और खरीफ में मक्का, सोयाबीन, तिल, भिंडी आदि की खेती करती हैं। प्राकृतिक तरीके से खेती करने पर उनकी खेती की लागत बहुत कम हो गई और गुणवत्तापूर्ण अच्छी पैदावार भी होने लगी। वह अपने खेतों में इन फसलों के बीज भी पैदा करती हैं  और इसे गांव के दूसरे किसानों को बांटकर प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करती हैं। लीना की सफलता देखकर न सिर्फ़ आसपास के गांवों, बल्कि दूसरे ज़िले से भी किसान उनसे प्राकृतिक खेती के गुर सीखने आते हैं। वह बच्चों को और NSS कैंप में भी प्राकृतिक खेती के बारे में सिखाती हैं।

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती (natural farming himachal pradesh)
तस्वीर साभार: asiafarming (लहसुन की खेती, सांकेतिक तस्वीर)

उपलब्धियां

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लीना शर्मा को प्राकृतिक खेती की दिशा में उनके सराहनीय कामों के लिए करसोग के एसडीएम एवं विधायक द्वारा सम्मानित किया गया। लीना शर्मा भारत की एकमात्र ऐसी महिला किसान रही हैं, जिन्होंने कृषि गतिविधियों पर पर्यावरण और आर्थिक सहयोग पर प्रभाव के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक वेबिनार में भाग लिया।लीना शर्मा की तरह आप भी प्राकृतिक खेती करके न सिर्फ़ अच्छी पैदावर प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी रसायनों से होने वाली हानि से बचा सकते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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