पशु पालन में कैसे बढ़ेगी आमदनी?

पशु पालन से जुड़ी ज़्यादातर कर्ज़ योजनाओं के तहत बैंकों की ओर से कोई गारंटी नहीं ली जाती, बल्कि कर्ज़ से ख़रीदे गये पशु का बीमा करवाकर किसान को किसी भी आशंकित ख़तरे से सुरक्षित करने की कोशिश की जाती है।

पशु पालन में कैसे बढ़ेगी आमदनी?

यदि आप पशु पालक किसान हैं और पशुपालन के ज़रिये अपनी आमदनी को और बढ़ाना चाहते हैं तो आपको अपने प्रदेश में चली रही पशु पालन प्रोत्साहन योजनाओं के ज़रूर जानना चाहिए और समझना चाहिए कि आपकी राज्य सरकारें आपको कैसे और क्या सहयोग देना चाहती हैं? इसके लिए पशु पालकों को अपने बैंक से या पशुपालन विभाग से सम्पर्क करना चाहिए। ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि गाय-भैंस, भेड़-बकरी और मुर्गी-मछली जैसे तमाम किस्म के पशु पालकों के लिए अलग-अलग राज्य सरकारें अपने सूबे की ज़रूरतों को देखते हुए योजनाएँ चला रही हैं।

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किफ़ायती और उदार हैं कर्ज़ की शर्तें

पशु पालकों के लिए चलायी जाने वाली हरेक योजना के तहत बैंकों के ज़रिये किफ़ायती दरों और उदार शर्तों पर कर्ज़ और अनुदान मुहैया करवाया जाता है, ताकि पशुपालकों की कमाई को ज़्यादा से ज़्यादा किया जा सके। अनुदान की भरपाई केन्द्र और राज्य सरकारें मिलजुलकर करती हैं। पशु पालन से जुड़ी ज़्यादातर कर्ज़ योजनाओं के तहत बैंकों की ओर से कोई गारंटी नहीं ली जाती, बल्कि कर्ज़ से ख़रीदे गये पशु का बीमा करवाकर किसान को किसी भी आशंकित ख़तरे से सुरक्षित करने की कोशिश की जाती है।

पशु बीमा है बेहद ख़ास

पशु बीमा की अहमियत बहुत ज़्यादा है। क्योंकि यदि किसी वजह से उन पशुओं की मौत हो जाए जिसे पशु पालक किसान ने अपनी आमदनी बढ़ाने के मक़सद से ख़रीदा था तो ऐसी दशा में एक तो पशु धन डूब जाता है, उसकी आमदनी का ज़रिया बन्द हो जाता है और दूसरा ओर किसान पर उस कर्ज़ चुकाने की ज़िम्मेदारी बनी रहती है, जो उसने अपने पशु को ख़रीदने के लिए लिया था। पशु बीमा किसानों को इसी दोहरी मार से बचाता है। इसके तहत, बैंक के बकाया कर्ज़ को बीमा कम्पनी चुकाती है।

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हरियाणा का पशु किसान क्रेडिट कार्ड

पशु पालकों को अलग पहचान और प्राथमिकता देने के लिए हरियाणा सरकार ने पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना भी चालू की है। ये पशु क्रेडिट कार्ड भी उसी किसान क्रेडिट कार्ड की ही तरह हैं जिसे 23 साल पर यानी 1998 में चालू किया गया था। दोनों तरह के कार्ड पर मिलने वाले कर्ज़ पर ब्याज़ की दर 7 प्रतिशत होती है। लेकिन यदि कर्ज़ की किस्तें वक़्त पर चुकायी जाती रहें तो प्रभावी वास्तविक ब्याज़ की दर 4 फ़ीसदी ही रह जाती है, क्योंकि केन्द्र सरकार की ओर से 3 प्रतिशत ब्याज़ के बराबर अनुदान मिल जाता है।

किसान क्रेडिट कार्ड की हुई उपेक्षा

दुर्भाग्यवश, केन्द्र और राज्यों की सरकारों ने किसान क्रेडिट कार्ड के विस्तार के लिए उतनी ज़बरदस्त कोशिश नहीं की, जितनी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PMKSN) को लेकर बीते दो साल में दिखायी दी है। PMKSN के तहत किसानों को 500 रुपये की दर से साल भर में 6,000 रुपये मिलते हैं। ये रकम सीधे किसानों के जनधन खातों में भेज दी जाती है।

12 फरवरी 2021 तक करीब 10.69 करोड़ किसानों को PMKSN का लाभार्थी बनाया जा चुका था। हालाँकि, दो साल पहले इस योजना से 12 करोड़ किसानों को फ़ायदा पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया था। अब यदि PMKSN के सभी लाभार्थियों को स्वाभाविक रूप से यानी ऑटोमेटिकली किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ने की नीति अपनायी गयी होती तो इसे भी देश की एक ख़ास उपलब्धि के रूप में देखा जाता।

19 फ़ीसदी से भी कम हैं लाभार्थी

लेकिन लचर क्रियान्वयन की वजह से अभी तक सिर्फ़ पौने दो करोड़ या 174.96 लाख किसानों को ही किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा जा सका है। ये संख्या PMKSN के लाभार्थियों की तुलना में 19 फ़ीसदी से भी कम है। ग़ौरतलब है कि देश में हरेक किसान PMKSN का लाभार्थी नहीं हो सकता। आयकर भरने वाले या 2 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन के मालिक या किसी भी तरह पेंशन पाने वाले PMKSN के लाभार्थी नहीं बन सकते, लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ अवश्य ले सकते हैं।

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