हाइब्रिड धान से महिला किसानों ने पाई समृद्धि, आप भी जानिए डिटेल्स

जो बीज दो या अधिक पौधों के संकरण (क्रास पालीनेशन) से उत्पन्न होते हैं वे हाईब्रिड बीज कहलाते हैं। कई तरह के शोधों द्वारा बीजों के गुणों में विकास करने के बाद जो बीज तैयार होते हैं उन्हें ही हाईब्रिड या संकर बीज कहा जाता है।

हाइब्रिड धान hybrid vegetables gardening

हाइब्रिड धान (hybrid rice): महिला किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि कंपनी कोर्टेवा एग्रीसाइंस (Corteva Agriscience) ने एक पहल की है। यह कंपनी बिहार और झारखंड की महिला किसानों को हाइब्रिड बीज एवं उत्पादों के बारे में जानकारी दे रही है। वे महिला किसानों को हाईब्रिड बीज रोपने और उसकी देखभाल करने का प्रशिक्षण दे रही है। इस प्रशिक्षण की अवधि तीन वर्ष की होती है।

इन प्रशिक्षण में किसानों को हाईब्रिड बीज से खेती (Cultivation from Hybrid Seeds) करने की तकनीक सिखाई जाती है। कंपनी द्वारा अब तक लगभग 90,000 महिलाओं को संकर (हाईब्रिड) बीज से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब ये महिलाएं कंपनी की ओर से उपलब्ध हाईब्रिड बीजों का इस्तेमाल करती है। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है।

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क्या होता है हाईब्रिड बीज

जो बीज दो या अधिक पौधों के संकरण (क्रास पालीनेशन) से उत्पन्न होते हैं वे हाईब्रिड बीज कहलाते हैं। कई तरह के शोधों द्वारा बीजों के गुणों में विकास करने के बाद जो बीज तैयार होते हैं उन्हें ही हाईब्रिड या संकर बीज कहा जाता है।

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kisan of india youtubeमहिलाओं ने जानी डीएसआर तकनीक

कंपनी द्वारा प्रशिक्षित महिलाओं में से करीबन 20 प्रतिशत ने डीएसआर तकनीक (DSR Technology) को सीख लिया है। 2020-21 के खरीफ सत्र में तकरीबन 10,000 एकड़ में हाईब्रिड धान के बीज बोए गए हैं। बिहार और झारखंड की महिलाओं को प्रशिक्षण के दौरान धान की बुवाई की डीएसआर तकनीक भी बताई जाती है। कंपनी एक यांत्रिक बुवाई मशीन को महत्त्व दे रही है जिसे ट्रेक्टर पर रखा जाता है।

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इतना ही नहीं प्रशिक्षण के दौरान यह भी बताया जाता है कि एक एकड़ के लिए कितने बीजों की जरूरत होती है। तीन साल के इस कोर्स का उद्देश्य महिला किसानों को हाईब्रिड बीजों से की जाने वाली खेती के लिए तैयार करना है।

कोर्टेवा एंग्रीसाइंस कंपनी बिहार और झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी महिला व पुरुष किसानों को प्रशिक्षित कर रही है।

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क्या है डीएसआर तकनीक

जब धान का पौधा तैयार हो जाता है तो उसकी रूपाई करने की बजाय सीधा बीज बोया जाता है इसे डीएसआर तकनीक कहा जाता है। इसके बाद सिंचाई करके मिट्टी को नम किया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर संचालित लकी बीज ड्रिल की मदद से धान के बीज का बोया जाता है। यह लकी बीज ड्रिल बुवाई के समय ही चावल और खरपतवारनाशी का छिडक़ाव भी करता है। यदि किसी के पास लकी बीज ड्रिल नहीं है तो जीरी की बीज ड्रिल मशीन से धान की बुवाई की जा सकती है।

वैज्ञानिक भी सीखा रहे हैं उत्पादन की तकनीक

सब्जी की खेती करने में लागत ज्यादा लगती है और उस पर भी बीज खराब निकल जाते हैं। या कई बार कीड़े या मौसमी आपदाओं से फसल का नुकसान हो जाता है। इस तरह सारी मेहनत बेकार चली जाती है। इसी समस्या का समाधान करते हुए मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी. एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. यू. एस. धाकड़, वैज्ञानिक एस. के. सिंह एवं डॉ. आर. के. प्रजापति ने भी महिलाओं को उन्नत तकनीक से सब्जी का उत्पादन करने पर प्रशिक्षण दिया।

वैज्ञानिकों ने यह सलाह भी दी कि आप कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से पूरी जानकारी लेकर बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर मुख्यमंत्री योजना से बिना ब्याज के खेती के लिए राशि ले सकते हैं। इससे आप अच्छी किस्म के बीज और कीड़े व बीमारियों के नियंत्रण के लिए दवा खरीदें।

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