ऐसा गांव, जहां देश की सेवा करना चाहता है हर युवा

बालासोर जिले के अम्बाकुडुची गांव का हर युवा देश की सेवा करना चाहता है। 570 घरों वाले इस छोटे से […]

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बालासोर जिले के अम्बाकुडुची गांव का हर युवा देश की सेवा करना चाहता है। 570 घरों वाले इस छोटे से गांव में क्या लड़का-क्या लड़की, दसवीं पास करने के बाद सभी आर्मी में जाने का सपना देखते हैं। वर्तमान में गांव के 15 जवान आर्मी में देश की सेवा कर रहे हैं।

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युवाओं का बढ़ाते हैं उत्साह

अम्बाकुडुची से आर्मी ज्वाइन कर चुके हैं, वह छुट्टियों में गांव के युवाओं को आर्मी और पुलिस के विभिन्न पदों-क्रियाकलापों के बारे में ट्यूशन देते हैं। भारतीय सशस्त्र सेना जॉइन करने के लिए हौसला बढ़ाते हैं।

प्रकाश कुमार जेना, जो गांव में एक ट्रेनर हैं, बताते हैं कि, “गांव के जो युवा आर्मी में है उन्हें लगता है गांव की युवा पीढ़ी में काबिलियत है कि वो देश की सेवा कर सके। भारतीय सशस्त्र सेना ज्वाइन कर सकती है।”

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जेना का सपना है कि वह भी आर्मी जॉइन करें। आर्मी जॉइन करने का तरीका उन्होंने खुद गांव के एक आर्मी के जवान से सीखा। अब गांव में युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

4 साल से चल रहा प्रोग्राम

गांव में 4 साल पहले यह ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू हुआ था। जब सेना से कोई जवान गांव आता है, तो वह गांव के युवाओं को ट्रेनिंग देता है। जब गांव में कोई सेना का जवान नहीं होता है तब जेना ट्रेनिंग देते हैं। जेना बताते हैं की सही ट्रेनिंग नहीं होने और आर्थिक समस्याओं के कारण गांव के युवा आर्मी में नहीं जा पा रहे। इसलिए देश की सेवा करने के लिए यह ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया। पहले जेना ने आर्मी वाले से खुद ट्रेनिंग ली। फिर गांव के अन्य युवाओं को ट्रेन करना शुरू किया।

जेना का मानना है कि ऐसे ट्रेनिंग कैम्पों से निकालकर बच्चे आर्मी में जाएंगे तो राज्य की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। बिशनपुरिया बरीक (प्रशिक्षु) सपना है कि वह देश के लिए कुछ करें। उन्हें भरोसा है कि वो भारतीय सशस्त्र सेना ज्वाइन कर लेंगे।

स्कूल बना ट्रेनिंग ग्राउंड

अम्बाकुडुची नोडल प्राइमरी स्कूल सुबह के वक्त मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप में तब्दील हो जाता है। युवा वहां जी भर के पसीना बहाते हैं। उसी गांव में रहने वाले ज्योतिर्मया नंदा बताते हैं कि “गांव के लोगों ने ठाना है, हर घर से एक बच्चा भारतीय सशस्त्र सेना, भारतीय नौसेना या भारतीय वायु सेना में भेजेंगे”

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