किसानों का Digital अड्डा

गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग फसलें (Intercropping crops with Sugarcane): जानिए कृषि वैज्ञानिक डॉ आर. पी. सिंह से गन्ने की खेती के साथ इंटर क्रॉप फसलें कैसे देंगी कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा

जानिए गन्ने की बुवाई करने की विभिन्न विधियों के बारे में

कृषि विज्ञान केंन्द्र, पश्चिम चम्पारण के हेड डॉ आर.पी. सिंह का कहना है कि गन्ना एक लम्बे अवधि की फसल है। इसकी उपजों के बीच के समय में इंटर क्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है।

0

देश के करोड़ों किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में गन्ने की खेती, चीनी और गुड़ जैसे उद्योगों का विशेष योगदान है। इससे देश के किसानों और मज़दूरों को रोज़गार का अवसर मिल रहा है। लेकिन गन्ना किसानों को अपने उपज मूल्य के लिए लगभग 12 महीनों का लंबा इंतज़ार  करना पड़ता है।

इसके साथ ही कभी-कभी चीनी मिलों की ओर से होने वाली देरी से गन्ना मूल्य भुगतान की  समस्या का सामना  करना पड़ता है। किसानों और चीनी मिलों के मालिकों के बीच कई समस्यायें देखने को मिलती हैं । गन्ने की खेती से  लाभ बढ़ाने औऱ लंबे इंतज़ार  के बीच अतिरिक्त आय कमाने के लिए, कृषि वैज्ञानिक गन्ने की खेती के साथ अंतरफसल खेती यानी इंटर क्रॉप फ़सलों  की  खेती करने की सलाह दे रहे हैं।

इंटर क्रॉपिंग फसलें बीच के समय में देती हैं किसानों को आमदनी

कृषि विज्ञान केंन्द्र, पश्चिम चम्पारण के हेड डॉ आर.पी. सिंह का कहना है कि गन्ना एक लम्बे अवधि की फसल है। इसकी उपजों के  बीच के समय में इंटर क्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है। इससे किसानों को इनकम में  सहारा मिलता है  और प्रति एकड़ आमदनी में इज़ाफ़ा होता है। उन्होंने कहा कि अगर किसान बंसत कालीन गन्ने की उन्नत तरीके से एक एकड़ में खेती करते हैं, तो 12 महीने बाद 38 से 40 टन गन्ने की उपज ले सकते हैं।

इससे आपको 55 से 60 हज़ार रूपये मिल सकते हैं। अगर किसान बंसत  में इंटर क्रॉप के रूप में भुट्टे वाली मक्का की खेती करते हैं, तो  तीन से चार महीने के अंदर प्रति एकड़ 80 हज़ार रुपये की अतिरिक्त शुद्ध आमदनी कमा सकते हैं। वहीं अगर इंटर क्रॉप फ्रेंचबीन  की खेती करते हैं तो 65 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की अतिरिक्त शुद्ध आमदनी कमा सकते हैं । वहीं गन्ने के साथ उड़द, मूंग, और लोबिया की इंटर क्रॉपिंग से 35 से 40 हजार रुपए प्रति एकड़ की शुद्ध आमदनी ले सकते हैं।

बंसत कालीन गन्ने में अगर प्याज, लौकी,  खीरा और भिंडी की इंटर क्रॉपिंग करते हैं तो 40 हजार से 45 हजार रूपये प्रति एकड़ अतिरिक्त आमदनी आपको मिल सकती है। अगर किसान फरो रेज बेड सिस्टम से गेहूं की बुवाई करता है और  इसके साथ ही इंटर क्रॉप की  फसल के रूप में गन्ना बोता है, तो गेहूं की फसल से शुद्ध आय 25 से 30 हजार प्रति एकड़ मिल सकती है।

गन्ना और मक्का की इंटर क्रॉपिंग
गन्ना और मक्का की इंटर क्रॉपिंग

ये भी पढ़ें: Bud chip technology in sugarcane farming: गन्ने की खेती में बडचिप तकनीक से घटेगी लागत, बढ़ेगी उपज और मुनाफ़ा

इंटर क्रॉपिंग फसल हेतु गन्ना बोने की उन्नत विधियां

डॉ आर.पी. सिंह  के अनुसार गन्ने  की बुवाई विधियों में कुंड विधि, समतल विधि, गड्ढा विधि और नाली विधि विभिन्न परिस्थितियों हेतु विकसित की गई हैं। इसमें नाली विधि एवं गड्ढा विधि द्वारा बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाती है। नाली विधि द्वारा गन्ने की बुवाई 30 सेंटीमीटर चौड़ी एवं 30 सेंटीमीटर गहरी नालियों में की जाती हैं। एक नाली में गन्ने की दो पंक्तियां रखी जाती है।

वर्तमान में नई बुआई पद्धतियों में गन्ना पौध रोपण विधि बहुत ही उपयोगी पाई गयी है। इस तकनीक में पहले  गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है। इसके बाद तैयार नर्सरी पौध की  मुख्य खेत में रोपाई की जाती है। डॉ. सिंह का कहना है कि यह विधि इंटर क्रॉपिंग फसल लेने के लिए अधिक उपयोगी पाई गयी है। इस विधि में दो तरीकों से पौध रोपण किया जाता है।

पहला, लाइन से लाइन की दूरी पांच फीट और पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट रखी जाती है पर गन्ने की पौध रोपाई करने पर 5000 पौध प्रति एकड़ लगता है। दूसरा, इस विधि में लाइन से लाइन की दूरी 4 फ़ीट और पौधों के बीच 1.5 फ़ीट की दूरी पर रखकर पौधरोपण करते हैं। इस तरीके से रोपण करने में  8000 पौध प्रति एकड़ लगाए जाते हैं। इसमें इंटर क्रॉपिंग वाली कम अवधि वाली फसलों की बुवाई करते हैं। इससे किसानों को तीन से चार महीने के अंदर अतरिक्त आमदनी मिल जाती है  और गन्ने की उपज भी बेहतर मिलती है।

कृषि विशेषज्ञ डॉ आर. पी. सिंह के अनुसार ,बसंत कालीन गन्ने के साथ मूंग, उड़द, लोबिया या फ्रेंचबीन की  इंटर क्रॉपिंग से काफी फ़ायदा है। इन फसलों की फली तोड़ने के बाद पौधों को हरी अवस्था में ही गन्ने की दो पंक्तियों के बीच लगाया जाता है। इनको भूमि में पलट कर दबा देने से 12 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ की बचत होती है ।

गन्ना-गेहूं की इंटर क्रॉपिंग फसल से बेहतर लाभ

ग्राम गोदिया, ज़िला लखीमपुर, उत्तर प्रदेश के किसान गुरसेवक सिंह, जिन्होंने गन्ने के साथ गेहूं की इंटर क्रॉपिंग फसल चार एकड़ में लगाई है। इस तरह हमें दो फ़सलों  का लाभ मिल जाएगा।

उन्होंने बताया कि पहले गेहूं की फसलकटाई के बाद अप्रैल-मई में देर से गन्ने की बुवाई करते थे। उन्हें गन्ने  से बहुत कम उपज मिलती थी । लेकिन अब फरो रेज मशीन से खेत में बेड बनाया है। इसके बाद बेड पर पहले गेहूं की बुवाई की और  इसके बाद एक महीने उपरान्त नालियों में गन्ने की तैयार नर्सरी पौध की रोपाई की। इसके लिए उन्होंने 7200 गन्ने के पौध लगाये हैं।

गुरसेवक सिंह का कहना था कि गेहूं से उन्हें प्रति एकड़ 17 क्विंटल पैदावार और 60 टन गन्ने की पैदावार मिल जाएगी। इस तरह उन्हें गेहूं की फसल से अतिरिक्त आमदनी मिल जाती है। किसान गुरसेवक सिंह ने कहा कि छोटे किसानों के लिए गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग फसल काफी फ़ायदे का सौदा है।

ये भी पढ़ें: गन्ना किसानों के लिए बड़े काम का है ये ऐप, देगा सिंचाई से जुड़ी हर जानकारी

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.